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स्वैच्छिक बधियाकरण क्राइम नहीं : कोर्ट

नयी दिल्ली. दिल्ली की अदालत ने सिर्फ किन्नरों को ‘बधाई’ अधिकार पाने के लिए अपना बधियाकरण करा लेनेवाले दो लोगों को यह कहते हुए बरी कर दिया कि स्वैच्छिक बधियाकरण क्राइम नहीं है. पीडि़तों ने इसे खुद स्वेच्छा से चुना है. अदालत ने इसे ‘विडंबना और पाखंड’ बताया कि जहां भारत में कोई पुरुष ‘बधाई’ […]

नयी दिल्ली. दिल्ली की अदालत ने सिर्फ किन्नरों को ‘बधाई’ अधिकार पाने के लिए अपना बधियाकरण करा लेनेवाले दो लोगों को यह कहते हुए बरी कर दिया कि स्वैच्छिक बधियाकरण क्राइम नहीं है. पीडि़तों ने इसे खुद स्वेच्छा से चुना है. अदालत ने इसे ‘विडंबना और पाखंड’ बताया कि जहां भारत में कोई पुरुष ‘बधाई’ अधिकार पा कर धन के लाभ उठाने के एकमात्र मकसद से अपना बधियाकरण करा लेते हैं, शृंखलाबद्ध बलात्कार करनेवालों को बधियाकरण की सजा देने की सलाह पर पर तीखी प्रतिक्रिया होती है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लाव ने कहा,’अभी जो कानून है, अपनी स्वैच्छा और सहमति से पुरुष का बधियाकरण कोई अपराध नहीं है. सिर्फ जबरिया पुंस्त्वहरण-बधियाकरण अपराध है.’ अदालत ने कहा कि देश को ‘बधाई’ वसूलने की प्रतिगामी प्रथा को बढ़ावा नहीं देना चाहिए.

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