जम्मू कश्मीर में गवर्नर रूल से बाढ़ पीडि़तों की उम्मीदें बढ़ीं
1986 में जगमोहन ने कई परियोजनाएं शुरू की थींएजेंसियां, श्रीनगरजम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगने से बीते वर्ष की भयंकर बाढ़ के पीडि़तों में इस बात की उम्मीदें बढ़ी हैं कि अब पुनर्वास की प्रक्रिया तेज होगी. इस बीच, राजनीतिक दल राज्य मंे राज्यपाल शासन लागू होनेे के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.बीते वर्ष […]
1986 में जगमोहन ने कई परियोजनाएं शुरू की थींएजेंसियां, श्रीनगरजम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगने से बीते वर्ष की भयंकर बाढ़ के पीडि़तों में इस बात की उम्मीदें बढ़ी हैं कि अब पुनर्वास की प्रक्रिया तेज होगी. इस बीच, राजनीतिक दल राज्य मंे राज्यपाल शासन लागू होनेे के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.बीते वर्ष सितंबर में आयी बाढ़ में अपना सब कुछ गंवा चुके अब्दुल राशिद ने कहा, ‘हमें आशा है कि केंद्र सरकार अब बाढ़ पीडि़तों के पूरी तरह से पुनर्वास के अपने वादे पर तेजी से काम करेगी. आसपास कोई चुनाव नहीं हैं और राज्यपाल शासन में पुनर्वास पर कोई राजनीति नहीं हो सकती.’ राशिद ने कहा कि केंद्र को पुनर्वास प्रक्रिया तेज करनी चाहिए और अब कोई बहाना नहीं बनाया जा सकता.उन्होंने कहा, ‘चुनाव प्रचार के दौरान, केंद्र मंे सत्तारूढ़ भाजपा नेताओं ने पीडि़तों के पूर्ण पुनर्वास का वादा किया था. अब उनके पास खुद को सही साबित करने का अवसर है.’ शहर के एक अन्य बाढ़ पीडि़त इश्तियाक अहमद ने कहा कि राज्यपाल शासन लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गयी सरकार के विपरीत हो सकता है, लेकिन कश्मीरी जनता का अनुभव है कि यह बाढ़ पीडि़तों के लिए बेहतर रहेगा.कांग्रेस के समर्थन वापस लेने के बाद गुलाम मोहम्मद शाह नीत अल्पमत सरकार गिर गयी थी और जम्मू-कश्मीर में वर्ष 1986 में राज्यपाल शासन लगा था. उस समय राज्य के राज्यपाल रहे जगमोहन ने राज्य में कई विकास परियोजनाएं शुरू कीं, जिन्हें अब भी योजना के संदर्भ में भविष्यवादी बता कर उनकी प्रशंसा होती है.