गर्भवती के लिए अलग लैब शुरू नहीं

नहीं हैं लैब टेक्निशियन, नियुक्ति की प्रक्रिया शुरूवरीय संवाददाता, रांचीरिम्स में गर्भवती व प्रसूती महिलाओं के लिए अलग जांच प्रयोगशाला अब तक शुरू नहीं हो सकी है. लैब बनाने का निर्णय जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (जेएसएसके) की समीक्षा के दौरान छह माह पूर्व लिया गया था. रिम्स निदेशक डॉ एसके चौधरी के अनुसार गर्भवती महिलाओं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 11, 2015 11:02 PM

नहीं हैं लैब टेक्निशियन, नियुक्ति की प्रक्रिया शुरूवरीय संवाददाता, रांचीरिम्स में गर्भवती व प्रसूती महिलाओं के लिए अलग जांच प्रयोगशाला अब तक शुरू नहीं हो सकी है. लैब बनाने का निर्णय जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (जेएसएसके) की समीक्षा के दौरान छह माह पूर्व लिया गया था. रिम्स निदेशक डॉ एसके चौधरी के अनुसार गर्भवती महिलाओं के लिए प्रसूती विभाग में एक प्रयोगशाला तो है, लेकिन मैन पावर (लैब टेक्निशियन व अन्य) के नहीं रहने से लैब शुरू नहीं हो सका है. लैब टेक्निशियन की बहाली की प्रक्रिया अभी शुरू की गयी है. आचार संहिता के कारण यह काम करने में विलंब हुआ है. पहले की बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि लैब के लिए उपकरण तथा लैब टेक्निशियन की व्यवस्था क्रमश: रिम्स व आरसीएच से कर ली जायेगी, पर आरसीएच से मैन पावर नहीं मिला. दरअसल गर्भवती व प्रसूती महिलाओं को जांच के कई दौर से गुजरना होता है. इसमें विलंब होने से ऑपरेशन या इलाज में देरी होती है और गर्भवती महिलाओं या शिशु की जान जोखिम में पड़ जाती है. इसी के समाधान के लिए अलग प्रयोगशाला बनाने का निर्णय लिया गया था. यह भी तय हुआ कि कार्यक्रम के तहत गर्भवती व प्रसूती महिलाओं को प्रतिदिन 50 रुपये का भोजन देय है, लेकिन रिम्स में इसके अपने बजट से मिलनेवाला भोजन ही दिया जाता है. उधर, विशेष देखरेख में रहनेवाले नवजात शिशु के लिए दवा मद में अभी 250 रुपये खर्च किये जा रहे हैं, जबकि यह खर्च कहीं अधिक होता है. इस पर निर्णय लिया गया था कि इस मद में गत छह माह के खर्च का आकलन कर रिपोर्ट बनायी जाये. अधिक राशि के लिए केंद्र सरकार को लिखा जायेगा. यह काम भी नहीं हो सका है तथा अभी रिम्स से मिलने वाली सुविधा ही बहाल है.

Next Article

Exit mobile version