जमीन अधिग्रहण के पेंच में फंसा नयी रांची का निर्माण

विडंबना : अब तक सिर्फ सर्वे का काम होकर ही रह गया रांची : नयी रायपुर की तर्ज पर नयी रांची बनाने की योजना में जमीन अधिग्रहण का पेंच फंसा है. राज्य बनने के बाद से अब तक नयी रांची के लिए केवल सर्वे का काम किया गया है. कांके और ओरमांझी (आंशिक) क्षेत्र में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 15, 2015 6:28 AM
विडंबना : अब तक सिर्फ सर्वे का काम होकर ही रह गया
रांची : नयी रायपुर की तर्ज पर नयी रांची बनाने की योजना में जमीन अधिग्रहण का पेंच फंसा है. राज्य बनने के बाद से अब तक नयी रांची के लिए केवल सर्वे का काम किया गया है.
कांके और ओरमांझी (आंशिक) क्षेत्र में प्रस्तावित नयी रांची के लिए सरकार ने परामर्शी कंपनी कंसल्टिंग इंजीनियरिंग सर्विसेज (सीइएस) से सर्वे रिपोर्ट तैयार करायी है. परामर्शी ने राजधानी के आस-पास के कुल 35 ग्रामों को मिला कर नयी रांची निर्माण की योजना बनायी है. वर्ष 2001 की जनगणना के मुताबिक इन ग्रामों की कुल आबादी 54,735 हजार है.
नयी रांची के उपयोग में आने वाली गांवों की कुल भूमि 28,397.95 एकड़ है. इनमें से 21,435.63 एकड़ भूमि का स्वामित्व निजी हाथों में हैं. जबकि शेष 6962.32 एकड़ जमीन सरकारी है. राजधानी के आस-पास के इलाके में बड़े पैमाने पर खेती होती है. परामर्शी कंपनी के सर्वे से यह साफ है कि प्रस्तावित नयी रांची में साढ़े पांच हजार एकड़ से अधिक जमीन खेती योग्य है. इस प्रकार की भूमि का अधिग्रहण राज्य सरकार के लिए कठिन हो सकता है.
93.24 एकड़ पर है कृषि फार्म
सीइएस ने सरकार को नयी रांची के लिए प्रस्तावित भूमि के उपयोग की सूची भी सरकार को सौंपी है. बताया है कि प्रस्तावित नयी रांची में 93.24 एकड़ भूमि पर कृषि फार्म है. 5665.38 एकड़ भूमि पर खेत हैं. इसके अलावा 932.04 एकड़ जमीन पर भवन बने हुए हैं. भवनों के संलग्न भूमि 21.97 एकड़ है.
7.11 एकड़ भूमि पर इंस्टीटय़ूट, 8.26 एकड़ भूमि पर उद्योग, 84.62 एकड़ पर ईंट भट्ठा, 58.42 एकड़ पर खुली खदान, 225.16 एकड़ भूमि पर सड़क, 15157.87 एकड़ भूमि परती, 2212.41 एकड़ भूमि अकृषि, 1814.57 एकड़ भूमि बंजर, 1257.3 एकड़ भूमि पर सब्जियों की खेती, 522.99 एकड़ पर वृक्ष और 336.51 एकड़ भूमि पर जलाशय हैं.
एमडी का पद भी खाली
नयी रांची बनाने का जिम्मा ग्रेटर रांची डेवलपमेंट अथोरिटी (जीआरडीए) को दिया गया है. जीआरडीए के एमडी का पद काफी दिनों से खाली है. पूर्व एमडी डीके तिवारी के तबादले के बाद से किसी को जीआरडीए का एमडी नहीं बनाया गया है. सरकार के कई वरीय अधिकारियों को सूचना है कि योजना सचिव के पास ही जीआरडीए के एमडी का अतिरिक्त प्रभार है. जबकि ऐसा नहीं है.
योजना सचिव अरुण कुमार सिंह हैं. श्री सिंह को जीआरडीए का एमडी बनाने के संबंध में कोई अधिसूचना जारी नहीं की गयी है. इस वजह से उन्होंने जीआरडीए के एमडी का प्रभार नहीं लिया है.

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