भूमि अध्यादेश को बताया काला कानून, झामुमो ने राजभवन के समक्ष दिया धरना

रांची : भूमि अधिग्रहण अध्यादेश 2014 व स्थानीय नीति के बिना बहाली का झामुमो सड़क से लेकर संसद तक विरोध करेगा. इस क्रम में झामुमो ने गुरुवार को राजभवन के समक्ष महाधरना दिया. साथ ही राज्यपाल को ज्ञापन भी सौंपा. राज्यपाल को सौंपे ज्ञापन में भूमि अधिग्रहण अध्यादेश 2014 को काला कानून बताया गया है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 23, 2015 6:40 AM
रांची : भूमि अधिग्रहण अध्यादेश 2014 व स्थानीय नीति के बिना बहाली का झामुमो सड़क से लेकर संसद तक विरोध करेगा. इस क्रम में झामुमो ने गुरुवार को राजभवन के समक्ष महाधरना दिया. साथ ही राज्यपाल को ज्ञापन भी सौंपा. राज्यपाल को सौंपे ज्ञापन में भूमि अधिग्रहण अध्यादेश 2014 को काला कानून बताया गया है.
लिखा गया है कि भारत को 22 पूंजीपतियों के हाथों गिरवी रखने की साजिश है. देश के लोग अपने ही देश में भूमिहीन और बेघर हो जायेंगे.
लिखा गया है कि राज्य में पहले से ही सीएनटी एक्ट, एसपीटी एक्ट, पेसा तथा कई पारंपरिक ग्राम समाज शासन व्यवस्था लागू है, जिसके तहत जमीन का अधिग्रहण एक गंभीर चुनौती है. ज्ञापन में स्थानीयता नीति को बनाये बिना ही सभी प्रकार की सरकारी नौकरी को बाहरी लोगों को देने का आरोप लगाया गया है. लिखा गया है कि सरकार छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तरप्रदेश, प बंगाल, ओड़िशा और अन्यत्र के लोगों को नौकरी देगी. यहां के लोग मजदूर, रेजा कुली, रिक्शावाले बन जायेंगे.
राज्यपाल से दोनों बिंदुओं पर व्यक्तिगत स्तर पर गहन अध्ययन कर झारखंड के लिए भूमि अधिग्रहण अध्यादेश 2014 को निरस्त करने एवं राज्य सरकार स्थानीय नीति परिभाषित करने के लिए राष्ट्रपति से आग्रह करने की मांग की गयी है. सभा को रवींद्र महतो,कुणाल षाड़ंगी, दीपक बिरुवा, अनिल मुमरू,हाजी हुसैन अंसारी, नलिन सोरेन समेत कई विधायक व पूर्व विधायकों ने संबोधित किया. स्वागत भाषण सुप्रियो भट्टाचार्य ने दिया व संचालन विनोद पांडेय ने किया.
खनिजों को बाहर जाने से रोकेंगे : हेमंत सोरेन
इसके पूर्व धरना को संबोधित करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने कहा कि केंद्र सरकार जबरन भूमि अधिग्रहण कानून को थोपना चाहती है. वहीं राज्यों में बाहर के लोगों को नौकरी देने की तैयारी चल रही है. केंद्र सरकार अपने व्यापारिक सहयोगियों के लिए ऐसा कर रही है. सात-आठ माह के शासनकाल में दर्जनों अध्यादेश लाये गये. राष्ट्रपति ने भी चिंता जतायी है.
लेकिन राज्य की जनता इसे बरदाश्त नहीं करेगी. इधर राज्य में 28 दिन की सरकार केवल मीडिया में चल रही है. यहां के लोगों को नौकरी भी नहीं मिलेगी और भूमि भी छीनी जायेगी. झामुमो चुप नहीं रहेगा. उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो यहां से खनिजों को भी बाहर जाने से रोकेंगे.
एक साथ आवाज उठानी होगी : साईमन
विधायक साईमन मरांडी ने कहा कि आज समय आ गया है कि सबको एक साथ मिलकर इसके खिलाफ आवाज उठानी होगी. विधायक चंपई सोरेन ने कहा कि सरकार यदि स्थानीय नीति नहीं बनायी, तो राज्य सुलग उठेगा. विधायक कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि केंद्र सरकार पूंजीपतियों के दबाव में है. सरकार ने अच्छे दिन का वादा किया था, पर अच्छी रातें भी नहीं आयेंगी.

Next Article

Exit mobile version