साइंस से मुंह मोड़ रहे झारखंड के बच्चे

इंटर साइंस : 2013 में खाली रह गयी 49 हजार सीटें सुनील कुमार झा रांची : झारखंड के बच्चे साइंस से मुंह मोड़ रहे हैं. इंटर साइंस की परीक्षा में इस वर्ष 78,957 परीक्षार्थी शामिल होंगे. यह संख्या पिछले वर्ष की तुलना में करीब छह हजार कम है. पिछले पांच वर्षो में तो परीक्षार्थियों की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 24, 2015 6:02 AM
इंटर साइंस : 2013 में खाली रह गयी 49 हजार सीटें
सुनील कुमार झा
रांची : झारखंड के बच्चे साइंस से मुंह मोड़ रहे हैं. इंटर साइंस की परीक्षा में इस वर्ष 78,957 परीक्षार्थी शामिल होंगे. यह संख्या पिछले वर्ष की तुलना में करीब छह हजार कम है. पिछले पांच वर्षो में तो परीक्षार्थियों की यह संख्या सबसे कम है.
2012 में 1,08,854, 2013 में 81,831 और 2014 में 84,582 परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल हुए थे. इस वर्ष परीक्षा में शामिल हो रहे 78,957 परीक्षार्थी में से करीब 39 हजार मात्र सात जिलों से हैं. अन्य 17 जिलों से 39 हजार परीक्षार्थी हैं. यानी इन 17 में प्रत्येक जिले से औसतन 2294 परीक्षार्थी हैं. राज्य में इंटर साइंस में कुल 1,09,056 सीट हैं. इनमें से लगभग 50 फीसदी सीट प्रति वर्ष रिक्त रह जा रही है.
परीक्षा देनेवालों में करीब 60 हजार परीक्षार्थियों ने 2013 में किस ने किसी कॉलेज या स्कूल में नामांकन लिया था. वहीं, करीब 18 हजार पिछले वर्ष फेल होनेवाले हैं. इस तरह 2013 में इंटर साइंस में करीब 49,000 सीटें खाली रह गयी. यानी 49,000 विद्यार्थियों ने इंटर साइंस में नामांकन नहीं लिया.
2014 में सुधरा है रिजल्ट : इंटर में लगातार खराब हो रहे रिजल्ट के कारण साइंस के विद्यार्थियों की संख्या कम हो रही है. 2011 में इंटर साइंस में 70 फीसदी विद्यार्थी फेल हो गये थे. इसका सबसे बड़ा कारण है, राज्य के इंटर कॉलेजों व प्लस टू स्कूलों में संसाधनों की कमी. संसाधनों की कमी के कारण विद्यार्थी यहां नामांकन नहीं लेते. जो विद्यार्थी मजबूरी में नामांकन ले भी लेते हैं, उनमें आधे से अधिक पास नहीं होते. वैसे वर्ष 2014 में इंटर साइंस के रिजल्ट में सुधार हुआ था. रिजल्ट में सुधार के बाद परीक्षार्थी की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है.
किस वर्ष कैसा रहा साइंस का रिजल्ट
वर्ष प्रतिशत
2006 43.09
2007 45.11
2008 50.29
2009 50.39
2010 30.33
2011 33.05
2012 48.37
2013 38.28
2014 63.65
किस जिले के कितने परीक्षार्थी
जिला संख्या
रांची 9,686
गुमला 2,158
लोहरदगा 688
सिमडेगा 390
खूंटी 550
हजारीबाग 5,924
गिरिडीह 3,918
धनबाद 7,067
चतरा 1,560
बोकारो 5,590
कोडरमा 1264
रामगढ़ 2093
पलामू 9,226
गढ़वा 4,377
लातेहार 1,004
दुमका 2,637
देवघर 2454
साहेबगंज 2058
पाकुड़ 956
गोड्डा 2847
जामताड़ा 1,731
जमशेदपुर 6,048
चाईबासा 1,815
सरायकेला 2,916
घट रहे हैं परीक्षार्थी
– इस वर्ष कम हुए छह हजार
– रांची, हजारीबाग, धनबाद बोकारो, पलामू, जमशेदपुर गढ़वा से 39 हजार देंगे परीक्षा
– अन्य 17 जिलों से 39 हजार यानी हर जिले से औसतन 2200
विशेषज्ञ की टिप्पणी
राज्य में साइंस में शिक्षकों की कमी है. जो हैं, उनमें भी क्वालिटी की कमी है. बच्चे साइंस पढ़ना चाहते हैं. नामांकन भी लेते हैं, पर व्यवस्था नहीं होने के कारण फेल हो जाते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति और खराब है. स्कूल-कॉलेजों में प्रयोगशाला नहीं है. इसलिए साइंस में बच्चे कम हो रहे हैं.
लक्ष्मी सिंह, पूर्व अध्यक्ष, जैक
क्या हैं कारण
– डिग्री कॉलेजों से इंटर की पढ़ाई अलग नहीं हुई है. यूजीसी ने इंटर की पढ़ाई अलग करने का दिया है निर्देश
– इंटर का पाठ्यक्रम 220 दिन का है. पर पढ़ाई होती है 100 दिन
– 171 प्लस टू स्कूल में गणित व भौतिकी के शिक्षक नहीं
– अधिकतर स्कूल-कॉलेज में प्रायोगिक कक्षा नहीं होती
– राज्य में इंटर की पढ़ाई में एकरूपता नहीं. चार स्तर पर होती है
– इंटर के शिक्षकों की योग्यता में एकरूपता नहीं है

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