हमारे पूर्वजों का डीएनए एक है : संघ प्रमुख

देवघर: आरएसएस प्रमुख डॉ मोहन भागवत ने कहा कि भारतवर्ष हिंदुस्तान है, यहां विविधता में एकता है. भाषाएं-धर्म अलग हैं, फिर भी एकता है. क्योंकि 44 हजार वर्षो पूर्व से ही हमारे पूर्वजों का डीएनए एक है. वही पुरानी परंपरा व संस्कृति से यह समाज बढ़ता आया है. संस्कृति का प्रभाव अभी भी है. इसलिए […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 25, 2015 6:11 AM
देवघर: आरएसएस प्रमुख डॉ मोहन भागवत ने कहा कि भारतवर्ष हिंदुस्तान है, यहां विविधता में एकता है. भाषाएं-धर्म अलग हैं, फिर भी एकता है. क्योंकि 44 हजार वर्षो पूर्व से ही हमारे पूर्वजों का डीएनए एक है. वही पुरानी परंपरा व संस्कृति से यह समाज बढ़ता आया है. संस्कृति का प्रभाव अभी भी है. इसलिए मातृभूमि को सुरक्षित रखने के लिए पूर्वजों की संस्कृति और गौरव को बचाना होगा. क्योंकि भारत खड़ा होगा, तो दुनिया ठीक होगी और हिंदू खड़ा होगा, तो देश ठीक होगा. डॉ भागवत शनिवार को देवघर में आरएसएस के एकत्रीकरण कार्यक्रम में बोल रहे थे.
संपूर्ण देश को जोड़नेवाला सूत्र हिंदुत्व है : डॉ भागवत ने कहा कि भाषा या धर्म कोई भी हो, सबका उद्देश्य एक ही है. सभी धर्म कहता है जैसा काम करोगे, वैसा भरोगे. सबमें एक ही उपदेश है. इसलिए विचित्रता को स्वीकार करके, उसका सम्मान करें. क्योंकि हम एक से ही अनेक बने हैं. इसे एक सूत्र में बांधे रखने का सूत्र मात्र हिंदुत्व में है. बल्कि संपूर्ण देश को जोड़नेवाला सूत्र हिंदुत्व है.
समाज परिवर्तन पर भी ध्यान देना चाहिए : डॉ भागवत ने गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के निबंध का उद्धरण पेश करते हुए कहा कि देश में राजनीति के परिवर्तन से देश में परिवर्तन नहीं आ सकता है. बल्कि समाज में परिवर्तन आने से सबकुछ बदल जाता है. उन्होंने राजनेताओं को नसीहत दी कि उन लोगों को राजनीति के साथ-साथ समाज परिवर्तन पर भी ध्यान देना चाहिए. गांव-गांव में समाज के साथ आत्मीय संपर्क रखना होगा. कथनी और करनी करनेवाले नायक चाहिए. अब एक नायक पर्याप्त नहीं है. गांव-गांव में अनेकों शुद्ध चरित्रवाले नायक चाहिए. तभी भारत विश्व गुरु बनेगा.
भारत खड़ा होगा, तो दुनिया ठीक होगी
उन्होंने कहा कि नागरिकों को भी संघ का दर्शक बन कर रहने से काम नहीं चलेगा. एक होकर देश को संपूर्ण विश्व का पथप्रदर्शक बनाना होगा. देश का भाग्य परिवर्तन करना होगा. सभी स्वार्थ, भेद भूल कर देश कार्य में योगदान करें. डॉ भागवत ने कहा कि भारत को विश्व गुरु बनना है, तो सबको मिल कर देश की भलाई के लिए काम करना होगा.
संघ में स्वार्थ का कोई स्थान नहीं
संघ प्रमुख डॉ भागवत ने कहा : संघ में स्वार्थ का कोई स्थान नहीं है. क्योंकि स्वार्थ साधना है, तो संघ से दूर रहिए. इससे आपका भी भला है और संघ का भी. नि:स्वार्थ भावना से राष्ट्र व समाज सेवा के लिए संघ से जुड़िए. देश का भाग्य बदलने का काम ठेके से नहीं हो सकता है. एक आदमी देश का भाग्य नहीं बदल सकता है. इसके लिए समाज को मिल कर काम करना होगा. यह काम संघ कर रहा है. संघ पोपुलरिटी के पीछे नहीं भागता है. सबको मिल कर भारत को विश्व का पथप्रदर्शक बनाना होगा.
दर्शक बन कर न रहें, संघ से जुड़ें
नागरिक दर्शक बनकर न रहें, एक-दो साल संघ से जुडे, जाने, समङों, अनुभव प्राप्त करें, तब कोई धारणा बनायें. इसमें शामिल होने के लिए कोई फीस नहीं लगती है. लेकिन नि:स्वार्थ भाव से आयें. संघ की शाखाओं में सदगुणों की ट्रेनिंग होती है. संघ समाज हित और देशहित में सार्वजनिक काम करता है. देश को बड़ा करना है, तो यह सब करना होगा. संघ में समाज का भाग्य बदलनेवाली एकता का चिंतन किया जाता है.
हिंदू-मुसलिम एकता भी हिंदू तरीके से होगा
संघ प्रमुख डॉ मोहन भागवत ने कहा कि रवींद्रनाथ ठाकुर ने स्वदेशी समाज नामक एक निबंध लिखा था, जिसमें तीन महत्वपूर्ण प्रकरण का उल्लेख किया गया है. डॉ भागवत ने कहा कि उनके विचार अध्यात्म पर आधारित परंपरा से आयी हुई विचारधारा, देशकाल और परिस्थिति के अनुरूप है. अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक मानवेंद्र नाथ राय की बातों को भी उद्धृत किया. कहा : सामान्य व्यक्ति के अंत:करण में देशात्म बोध की चेतना जागृत किये बिना व सदगुणों को ऊपर उठाये बिना, देश और समाज का उत्थान नहीं हो सकता.
पहला प्रकरण
डॉ भागवत ने कहा कि रवींद्रनाथ ठाकुर ने तीसरे प्रकरण में अंग्रेजों से कहा है कि वे संप्रदाय के आधार पर समाज को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं. आप लोग क्या समझते हैं, ऐसा करके हिंदू- मुसलमान लड़ते-लड़ते खत्म हो जायेंगे. ऐसा कभी नहीं होगा. हिंदू-मुसलिम एकता भी हिंदू तरीके से होगा. क्योंकि भारत सदियों से हिंदू राष्ट्र रहा है. इसलिए यहां हिंदू तरीके से ही सबकुछ होगा.
दूसरा प्रकरण
उन्होंने कहा कि हमारे देश में राजनीतिक परिवर्तन से देश का परिवर्तन कभी नहीं हुआ है. समाज में परिवर्तन आने से देश में परिवर्तन आया है. क्योंकि समाज में परिवर्तन आने से सबकुछ बदल जाता है.
तीसरा प्रकरण
समाज में परिवर्तन केवल भाषणों से नहीं होता. राजनीति करनेवालों को राजनीति के साथ-साथ समाज परिवर्तन पर भी ध्यान देना चाहिए. गांव-गांव में समाज के साथ आत्मीय संपर्क रखना होगा. कथनी जैसी करनीवाले नायक चाहिए जो अपने आचरण से संपूर्ण समाज से आत्मीय संबंध रखते हैं. ऐसे नायक गांव-गांव में चाहिए.
नेताओं को नसीहत
– कथनी और करनी करनेवाले नायक चाहिए
-राजनेताओं को राजनीति के साथ समाज परिवर्तन पर भी ध्यान देना चाहिए
-गांव-गांव में समाज के साथ आत्मीय संपर्क रखना होगा

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