दाई का काम कर रही हैं तीन लाख महिलाएं
रांची: झारखंड की तीन लाख से अधिक महिलाएं दिल्ली में दाई का काम कर रही हैं. महिलाओं को दिल्ली पहुंचाने के लिए एक बड़ा रैकेट काम कर रहा है. इस रैकेट को खत्म करना जरूरी है. एडीजी सीआइडी एसएन प्रधान ने बताया कि सीआइडी इस रैकेट को खत्म करने पर काम कर रही है. दिल्ली […]
रांची: झारखंड की तीन लाख से अधिक महिलाएं दिल्ली में दाई का काम कर रही हैं. महिलाओं को दिल्ली पहुंचाने के लिए एक बड़ा रैकेट काम कर रहा है. इस रैकेट को खत्म करना जरूरी है. एडीजी सीआइडी एसएन प्रधान ने बताया कि सीआइडी इस रैकेट को खत्म करने पर काम कर रही है. दिल्ली पुलिस ने भी अब इस रैकेट के खिलाफ कार्रवाई करनी शुरू कर दी है. एडीजी ने बताया कि आंकड़ा इससे भी ज्यादा हो सकता है. आंकड़े के आधार के बारे में एडीजी ने बताया कि कुछ दिन पहले दिल्ली में इस मुद्दे पर सेमिनार हुआ था, जिसमें एनजीओ की रिपोर्ट से साफ हुआ था कि दिल्ली में सबसे अधिक झारखंड की महिलाएं घरेलू काम में लगी हुई हैं. उनकी संख्या तीन लाख से अधिक है. अधिकांश महिलाओं को उचित मजदूरी नहीं मिलती है. उनका शारीरिक शोषण भी होता है.
कई एजेंट हैं सक्रिय
एडीजी के मुताबिक महिलाओं को दिल्ली भेजने के काम में कई एजेंट सक्रिय हैं. बाबा वामदेव और पन्ना लाल की गिरफ्तारी के बाद इस मामले पर राज्य पुलिस के साथ-साथ दिल्ली पुलिस का भी ध्यान गया है. एजेंट महिलाओं को दिल्ली ले जाते हैं और प्लेसमेंट एजेंसी के जरिये काम में लगा देते हैं. कई मामलों में यह भी देखा गया है कि जो महिलाएं दिल्ली में काम कर रही है, वह भी सेमी एजेंट के रूप में काम करने लगती है. वहां से गांव आकर चार-पांच महिलाओं को साथ ले जाती हैं. इसमें गलत यह है कि एजेंट की जवाबदेही और जिम्मेदारी तय नहीं है. इस कारण महिलाओं को कम मजदूरी मिलती है. मजदूरी का एक बड़ा हिस्सा कमीशन के रूप में एजेंट के पास चला जाता है. कई बार महिलाएं गलत हाथों में भी पहुंच जाती हैं.
जल्द शुरू होगी कार्रवाई: एडीजी ने बताया कि जिन महिलाओं के साथ गलत हो रहा है, उन्हें चिह्न्ति करने की कार्रवाई शुरू कर दी गयी है. इसके लिए सीआइडी में रिसोर्स सेंटर खोला गया है. इसमें यूनिसेफ, कई अन्य स्वयंसेवी संस्था, श्रम विभाग और सीआइडी के अधिकारी हैं. दिल्ली में काम कर रही महिलाओं को चिह्न्ति करने के बाद आगे की कार्रवाई शुरू की जायेगी.