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बंद हो सकती है पीजी की पढ़ाई
रांची: रिम्स के हड्डी विभाग में पीजी एवं डिप्लोमा की पढ़ाई बंद हो सकती है. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ( एमसीआइ) अगर निरीक्षण करता है तो फैकल्टी की कमी के कारण पीजी की सीट को समाप्त किया जा सकता है, क्योंकि विभाग में एक भी प्रोफेसर नहीं है. हड्डी विभाग में तीन पीजी सीट एवं […]
रांची: रिम्स के हड्डी विभाग में पीजी एवं डिप्लोमा की पढ़ाई बंद हो सकती है. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ( एमसीआइ) अगर निरीक्षण करता है तो फैकल्टी की कमी के कारण पीजी की सीट को समाप्त किया जा सकता है, क्योंकि विभाग में एक भी प्रोफेसर नहीं है. हड्डी विभाग में तीन पीजी सीट एवं तीन डिप्लोमा की सीट है. विभागाध्यक्ष की जिम्मेदारी एसोसिएट प्रोफेसर को दी गयी है. रिम्स प्रबंधन को मामले की जानकारी है, लेकिन पीजी सीट के संकट पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जा रहा है.
सहायक चला
रहे हैं यूनिट
फैकल्टी की कमी के कारण रिम्स के महत्वपूर्ण विभाग के दो यूनिट असिस्टेंट प्रोफे सर चला रहे हैं. डॉ विजय कुमार एवं डॉ एके वर्मा को यूनिट चलाने का जिम्मा दिया गया है. चिकित्सक के पास अनुभव है, लेकिन कागज में वह असिस्टेंट प्रोफेसर ही हैं.
जानकारों की मानें तो एमसीआइ के मानक के अनुसार यूनिट के संचालन के लिए कम से कम एसोसिएट प्रोफेसर होना चाहिए, लेकिन विभाग का काम प्रभावित नहीं हो इसलिए असिस्टेंट प्रोफेसर से काम लिया जा रहा है.
क्या है निदान
चिकित्सकों को पदोन्नति.
असिस्टेंट को एसोसिएट प्रोफेसर बनाया जाये.
सीट खाली होने पर नयी नियुक्ति की जाये.
मरीजों की ज्यादा संख्या
एक ओर चिकित्सकों की कमी है वहीं दूसरी ओर विभाग पर मरीजों का अत्यधिक भार है. विभाग में 86 बेड हैं, लेकिन मरीज भरती रहते हैं 200 के करीब. चिकित्सकों की कमी के कारण कई मरीजों का ऑपरेशन दो से तीन माह तक नहीं हो पाता है.
कमी का असर विभाग पर तो पड़ ही सकता है. प्रबंधन को जानकारी दी गयी है. मैं इसमें कुछ ज्यादा नहीं कह सकता हूं.
डॉ एलबी मांझी, प्रभारी विभागाध्यक्ष, हड्डी विभाग
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