रांची: मुख्य सचिव राजीव गौबा बुधवार को सुबह प्रोजेक्ट भवन पहुंचने वाले पहले अधिकारी रहे. वह सुबह नौ बजे प्रोजेक्ट भवन पहुंच गये थे. उस समय पूरे सचिवालय में सन्नाटा था. मुख्य सचिव कार्यालय को छोड़ किसी विभाग में लोग नहीं पहुंचे थे.
श्री गौबा ने मुख्य सचिव के पास काफी संख्या में जमा हो गयी रूटीन फाइलों को निबटाना शुरू किया. उन्होंने पत्रकारों को बताया : पिछले कुछ समय से मुख्य सचिव का पद रिक्त था. इस वजह से काफी संख्या में फाइलें जमा हो गयी थी. फाइलें निपटाने के लिए समय से पहले दफ्तर आ गया. दूसरे विभागों में अधिकारी और कर्मचारी अपने समय पर आते हैं. मैं उनको देखने नहीं, अपना काम निबटाने आया था. श्री गौबा ने पत्रकारों को मुलाकात के लिए अपने कार्यालय में बुलाया था. बातें करते हुए उन्होंने कहा : प्रशासन में अचानक बदलाव नहीं आता है.
बदलाव एक सतत प्रक्रिया है. झारखंड में अनुभवी और वरीय अधिकारी हैं. सभी पूरी तरह सक्षम हैं. सबको टीम एफर्ट से काम करने की जरूरत है और सभी टीम एफर्ट से ही काम करेंगे. निश्चित रूप से राज्य आगे बढ़ेगा. झारखंड में नक्सल समस्या के बारे में पूछे गये प्रश्न के जवाब में श्री गौवा ने कहा : मेरे पास केंद्र सरकार के गृह मंत्रलय में काम करने का अनुभव है. मैं नक्सल समस्या को अच्छी तरह समझता हूं.
अफसरों के साथ बैठक कर समीक्षा करूंगा. आपने केंद्र में लंबे समय तक काम करने के दौरान झारखंड को किस रूप में देखा? श्री गौबा ने जवाब दिया : सभी राज्यों की अपनी ताकत और अपनी विशेषता होती है. किसी योजना में कोई राज्य बढ़िया करता है, तो किसी दूसरी योजना में कोई दूसरा राज्य. झारखंड के साथ भी ऐसा ही कुछ है. झारखंड में जनकल्याण के लिए मिली राशि खर्च नहीं होती है. इस साल भी खर्च की स्थिति ठीक नहीं है. दो महीनों में कैसे करेंगे? श्री गौबा ने कहा : इसमें नया कुछ नहीं है. लगभग हर साल ऐसी ही स्थिति बनती है. बचे समय में बेहतर करने का प्रयास करेंगे.
उन्होंने दोहराया : रिफॉर्म इस द कंटीन्यूअस प्रोसेस. मुख्य सचिव ने पत्रकारों द्वारा राज्य के विकास, पूर्व की सरकार के काम और पूर्व मुख्य सचिव से संबंधित किसी भी सवाल का जवाब देने से परहेज किया. उन्होंने सवालों को टालते हुए कहा कि ब्यूरोक्रैसी अपना काम शांति से करती है.
मुख्य सचिव आज करेंगे बैठक
मुख्य सचिव राजीव गौबा गुरुवार को कल्याण विभाग की समीक्षा करेंगे. इसके लिए विभाग के सचिव राजीव अरुण एक्का, आदिवासी कल्याण आयुक्त और अन्य अधिकारियों को चालू वित्तीय वर्ष की प्रगति रिपोर्ट के साथ बैठक में भाग लेने का निर्देश दिया गया है. विभाग का बजट चालू वित्तीय वर्ष में 929 करोड़ है, जबकि अब तक सिर्फ 25 प्रतिशत राशि ही खर्च हो पायी है.