देश के औद्योगिक विकास में झारखंड की अहम भूमिका, द्वितीय झारखंड माइनिंग समिट में बोले राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन
झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि खनन किये जाने के बाद सुनियोजित तरीके से माइंस के रख-रखाव एवं पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए कार्ययोजना तैयार कर उस पर कार्रवाई की जानी होगी. अब तो ऐसी तकनीक विकसित हो चुकी है कि दुनिया के कई देश मरुस्थल को उर्वरक बनाते हुए उसमें खेती कर रहे हैं.
रांची: झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने आज शुक्रवार को रांची में आयोजित ‘द्वितीय झारखंड माइनिंग समिट’ को संबोधित करते हुए कहा कि झारखंड खनिज के दृष्टिकोण से अहम स्थान रखता है और देश के औद्योगिक विकास के क्षेत्र में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है, लेकिन यहां के लोगों के जीवनस्तर में अपेक्षित प्रगति नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि देश के विकास के लिए औद्योगिक विकास का होना नितांत आवश्यक है, लेकिन हमें यह देखना होगा कि इसका पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े. माइनिंग का स्वरूप अब लगातार बदल रहा है. पारंपरिक तरीके से की जाने वाली माइनिंग के स्थान पर अब अग्रणी तकनीक से माइनिंग करना प्रारंभ हो गया है. इस अग्रणी तकनीक में ऑटोमेशन, रोबोट, डाटा एनालिटिक्स इत्यादि का उपयोग होने से माइनिंग की क्षमता, वहां कार्य करने वाले व्यक्तियों की सुरक्षा एवं पर्यावरण की रक्षा पहले की अपेक्षा बेहतर तरीके करना शुरू कर दिया गया है. हम खनन वहीं कर सकते है, जहां पर खनिज पदार्थ उपलब्ध हैं. यदि वहां पर उत्खनन किया जाना है तो हमें संवेदनशील होकर नवीनतम उन्नत तकनीकी का प्रयोग करते हुए उत्खनन करना पड़ेगा और पर्यावरण का भी ध्यान रखना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि माइनिंग में काम करने वाले व्यक्तियों की सुरक्षा एवं उनके स्वास्थ्य की रक्षा पर विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए.
बंद पड़े अनुपयोगी खदानों का यथोचित उपयोग करें
झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि खनन किये जाने के बाद सुनियोजित तरीके से माइंस के रख-रखाव एवं पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए कार्ययोजना तैयार कर उस पर कार्रवाई की जानी होगी. अब तो ऐसी तकनीक विकसित हो चुकी है कि दुनिया के कई देश मरुस्थल को उर्वरक बनाते हुए उसमें खेती कर रहे हैं, तो हम बंद पड़े अनुपयोगी खदानों का यथोचित उपयोग क्यूं नहीं कर सकते हैं?
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लगातार बदल रहा माइनिंग का स्वरूप
झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि माइनिंग का स्वरूप अब लगातार बदल रहा है. पारंपरिक तरीके से की जाने वाली माइनिंग के स्थान पर अब अग्रणी तकनीक से माइनिंग करना प्रारंभ हो गया है. इस अग्रणी तकनीक में ऑटोमेशन, रोबोट, डाटा एनालिटिक्स इत्यादि का उपयोग होने से माइनिंग की क्षमता, वहां कार्य करने वाले व्यक्तियों की सुरक्षा एवं पर्यावरण की रक्षा पहले की अपेक्षा बेहतर तरीके करना शुरू कर दिया गया है. इसके साथ-साथ माइनिंग के अपशिष्ट पदार्थों के प्रबंधन पर भी जोर दिया जा रहा है. वस्तुत: राष्ट्र के विकास के लिए औद्योगिक विकास आवश्यक है और औद्योगिक विकास के लिए खनन भी आवश्यक है.
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पर्यावरण का भी रखें ध्यान
झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि हम खनन वहीं कर सकते है, जहां पर खनिज पदार्थ उपलब्ध हैं. यदि वहां पर उत्खनन किया जाना है तो हमें संवेदनशील होकर नवीनतम उन्नत तकनीकी का प्रयोग करते हुए उत्खनन करना पड़ेगा और पर्यावरण का भी ध्यान रखना पड़ेगा. हम जानते हैं कि भारत में वर्ष 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा गया है.
माइनिंग में काम करने वालों की सुरक्षा पर दें ध्यान
झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि माइनिंग में काम करने वाले व्यक्तियों की सुरक्षा एवं उनके स्वास्थ्य की रक्षा पर विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए. माइनिंग क्षेत्र के सामाजिक एवं आर्थिक पहलुओं पर भी ध्यान देना जरूरी है तभी हम सतत विकास के लक्ष्य (SDGs) को प्राप्त कर सकते हैं. इसके लिए इस समिट में गंभीरतापूर्वक विचार करने की आवश्यकता है.