रांची, सुनील चौधरी : अदाणी ग्रुप के गोड्डा पावर प्लांट की दूसरी यूनिट भी चालू हो गया है. इसे तकनीकी भाषा में सिंक्रोनाइज किया जाना कहा जाता है. यानी टेस्ट रन में 800 मेगावाट की यह यूनिट पूरी क्षमता से उत्पादन कर रही है. इसके पूर्व 800 मेगावाट की पहली यूनिट को 15 दिसंबर, 2022 को चालू किया गया था. इसके साथ ही अदाणी पावर प्लांट से 1600 मेगावाट बिजली का उत्पादन आरंभ हो गया है. पहली यूनिट से उत्पादित 800 मेगावाट बिजली का कॉमर्शियल उत्पादन (सीओडी) 25 मार्च] 2023 को हुआ. यानी उस दिन से बांग्लादेश को 800 मेगावाट बिजली भेजी जा रही है. दूसरी यूनिट को इसी माह चालू कर टेस्ट रन पूरा कर लिया गया है. अब इसे सिंक्रोनाइज कर लिया गया है. यूनिट को अगले 14 दिनों तक लगातार चलाया जायेगा. इस दौरान रिलायबिलिटी रन टेस्ट (आरआरटी) किया जायेगा. इस दौरान यह देखा जायेगा कि कहीं तकनीकी खामी तो नहीं है. इसके बाद कंपनी द्वारा सीओडी के लिए आवेदन दिया जायेगा. इस माह के अंत तक सीओडी मिलने की संभावना है. इसके बाद पूरी बिजली बांग्लादेश को भेजी जायेगी.
झारखंड को मिलेगी 400 मेगावाट बिजली
झारखंड सरकार साथ हुए एमओयू की शर्तों के अनुरूप राज्य में लगने वाले प्लांट के कुल उत्पादन क्षमता की 25 प्रतिशत बिजली राज्य को दी जानी है. यानी 400 मेगावाट बिजली झारखंड को मिलेगी. हालांकि, गोड्डा से उत्पादित सारी बिजली भले ही बांग्लादेश को जायेगी. पर अदाणी शर्तों के तहत 400 मेगावाट बिजली ओपन एक्सेस सिस्टम के माध्यम से अपने अन्य प्लांट से झारखंड को देने के लिए राजी है. अदाणी द्वारा झारखंड बिजली वितरण निगम को 400 मेगावाट बिजली लेने के लिए पावर परचेज एग्रीमेंट (पीपीए) करने का प्रस्ताव दिया गया है. पर, जेबीवीएनएल द्वारा अब तक इस मामले में फैसला नहीं लिया गया है. अदाणी के सूत्रों ने बताया कि जेबीवीएनएल यदि पीपीए कर ले, तो अदाणी अपने अन्य प्लांट से झारखंड को 400 मेगावाट बिजली हर समय उपलब्ध करवा सकता है. पर, फिलहाल यह मामला लंबित है.
बांग्लादेश बिजली भेजने के लिए 105 किमी की बनी है लाइन
गोड्डा के मोतिया गांव में 700 एकड़ में अदाणी का पावर प्लांट बना है. इसकी लागत 16 हजार करोड़ रुपये है. भारत सरकार और बांग्लादेश के बीच हुए समझौते के तहत यह पावर प्लांट बना है. इससे उत्पादित सारी बिजली बांग्लादेश को भेजी जायेगी. बांग्लादेश तक बिजली पहुंचाने के लिए गोड्डा से मुर्शिदाबाद तक 105 किमी के ट्रांसमिशन लाइन का निर्माण भी अदाणी द्वारा कराया गया है. यह अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट है. जिसमें 800-800 मेगावाट की दो यूनिट है. जिसमें अत्याधुनिक प्रदूषण नियंत्रण डिवाइस लगे हुए हैं. जिससे प्रदूषण न के बराबर होता है. पानी की जरूरत के लिए साहिबगंज से गोड्डा तक 95 किमी वाटर पाइप लाइन बिछायी गयी है. गंगा नदी से पावर प्लांट में पानी की जरूरत पूरी होगी.
झारखंड बनने के बाद पांचवां प्लांट हुआ चालू
झारखंड अलग राज्य बनने के बाद से राज्य में यह पांचवां प्लांट है, जिससे बिजली उत्पादन आरंभ हो चुका है. हालांकि, उनमें गोड्डा स्थित पावर प्लांट सबसे बड़ा है. यहां 1600 मेगावाट का उत्पादन हो रहा है. इसके पूर्व 500 मेगावाट की आधुनिक पावर और 50 मेगावाट की इनलैंड पावर से भी उत्पादन हो रहा है. वहीं, मैथन में टाटा पावर और डीवीसी का संयुक्त उपक्रम 1000 मेगावाट का प्लांट भी चालू हो चुका है. डीवीसी द्वारा कोडरमा में भी 1000 मेगावाट का पावर प्लांट चालू हो चुका है. एनटीपीसी के नॉर्थ कर्णपुरा में भी 660 मेगावाट का उत्पादन आरंभ हो चुका है.