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कमजोर हुई कोयला मजदूर यूनियनों की धार!

कई मुद्दों पर प्रबंधन व यूनियन आमने-सामने रांची : देश की कोयला कंपनियों को मजदूरों की शर्तो पर चलानेवाले मजदूर यूनियनों की धार अब कमजोर होती दिख रही है. हाल के वर्षो में कई बार कोयला उद्योग के विभिन्न कंपनियों में काम करनेवाले मजदूरों के यूनियनों को पीछे हटना पड़ा है. कई मुद्दों पर उनके […]

कई मुद्दों पर प्रबंधन व यूनियन आमने-सामने
रांची : देश की कोयला कंपनियों को मजदूरों की शर्तो पर चलानेवाले मजदूर यूनियनों की धार अब कमजोर होती दिख रही है. हाल के वर्षो में कई बार कोयला उद्योग के विभिन्न कंपनियों में काम करनेवाले मजदूरों के यूनियनों को पीछे हटना पड़ा है. कई मुद्दों पर उनके विरोध के बावजूद सरकार ने निर्णय लिया है.
मजदूर यूनियनों के प्रतिनिधि इसके कई कारण बताते हैं. मजदूर यूनियनों ने एकता का प्रयास भी किया है. एकता के इस प्रयास को हर बार धक्का लग जाता है, जब एक मत होकर फैसला नहीं हो पाता है. कर्मचारियों के साथ-साथ अधिकारियों की मांगों पर कोयला मंत्रलय ध्यान नहीं दे रहा है. इस कारण 2007 से अब तक पीआरपी भुगतान का मामला लटका हुआ है.
जब केंद्र में यूपीए की सरकार थी, तो इंटक आंदोलन में सक्रिय नहीं रहता था. अब यही स्थिति भारतीय मजदूर संघ के साथ है. वैसे, इस बार भारतीय मजदूर संघ ने कोल इंडिया के निजीकरण व कोल ब्लॉक के लिए लाये गये अध्यादेश के विरोध में हुए आंदोलन में सक्रिय भागीदारी निभायी है.
क्या नहीं हुआ
– विनिवेश की प्रक्रिया जारी
– ठेका मजदूरों को अब तक तय मानदेय नहीं
– कोयलाकर्मियों के पेंशन फंड की स्थिति खराब
– कोल इंडिया के रिस्ट्रर पर एजेंसी का गठन
– कोल ब्लॉक के निजीकरण की प्रक्रिया जारी
क्या कहते हैं मजदूर नेता
एक बात सही है कि मजदूर यूनियनों की ताकत कम हुई है. इसके पीछे कई कारण है. इसमें प्रमुख कारण कंपनियों में ज्यादा से ज्यादा काम निजी हाथों में चला जाना है. कर्मियों का वेतन भी इतना हो गया है कि एक दिन का पैसे कटने से परेशानी होती है. इसके बावजूद हम लोगों का प्रयास है कि ताकत को एक बार फिर से मजबूत किया जाये. उम्मीद है कि हमलोग मजबूती के साथ आगे आयेंगे.
नाथूलाल पांडेय, एचएमएस
लोकतंत्र कमजोर होता है, तो मजदूर आंदोलन भी कमजोर होता है. अभी देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था कमजोर हो गयी है. सरकार देश को अमेरिका परस्त शासन की ओर ले जाना चाहती है. इस कारण यह स्थिति हो गयी है. कोल इंडिया में हड़ताल के दौरान हम लोगों को तोड़ने की कोशिश की गयी थी. लेकिन, हम लोग एक बार फिर खड़ा होने का प्रयास कर रहे हैं.
जीवन राय, सीटू
बीएमएस किसी पार्टी से बंधा नहीं है. हम विनिवेश का विरोध कर रहे हैं. कई मुद्दों पर सरकार अच्छा काम कर रही है. उसमें हम सरकार के साथ हैं. जहां मजदूर हितों के खिलाफ मामला होगा. हम मजदूरों के साथ खड़े होंगे.
प्रदीप दत्ता, बीएमएस
अब तो मां (भारत सरकार) ही बच्चे की डायन (कोल इंडिया) हो गयी है. वही चाहती है कि हम अपने बच्चे को बेच दें, तो क्या कर सकते हैं. हम लोग प्रयास कर रहे हैं. दो दिन की हड़ताल के बाद वार्ता हुई थी. उसमें जो तय हुआ था, उससे भी सरकार मुकर रही है. कोशिश कर रहे हैं कि सरकार को अपनी ताकत का एहसास करायें. एक बार फिर एकजुट होकर लड़ेंगे.
रमेंद्र कुमार, अध्यक्ष, एटक
आंदोलन को एक बार फिर मजबूत करने की कोशिश है. हम लोग कमजोर नहीं हुए हैं. जल्द ही हम बैठक करनेवाले हैं. इसमें आगे की रणनीति पर विचार किया जायेगा.
राजेंद्र सिंह, अध्यक्ष, इंटक

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