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376 सड़कों पर नहीं हो पा रहा है फैसला

रांची: ग्रामीण सड़कों की 376 योजनाओं पर काम बंद है. इन बंद सड़कों के बारे में सरकार कोई फैसला नहीं ले पा रही है. इस काम को पूरी तरह क्लोज कर देना है या इसे पूरा कराना है, इस संबंध में फैसला काफी समय से लटका हुआ है. काम बंद होने की वजह से ये […]

रांची: ग्रामीण सड़कों की 376 योजनाओं पर काम बंद है. इन बंद सड़कों के बारे में सरकार कोई फैसला नहीं ले पा रही है. इस काम को पूरी तरह क्लोज कर देना है या इसे पूरा कराना है, इस संबंध में फैसला काफी समय से लटका हुआ है. काम बंद होने की वजह से ये योजनाएं लटकी हुई है. सड़कें अधूरी पड़ी है.
सरकार व ठेकेदार का इस पर पैसा भी लग गया है, फिर भी सड़क कोई काम की नहीं है. सड़कें चलने लायक भी नहीं बन सकी हैं. आधी-अधूरी सड़कों पर वाहनों का परिचालन भी मुश्किल है. यह स्थिति गुमला, सिमडेगा, लोहरदगा, लातेहार, चतरा, पश्चिमी सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम में मुख्य रूप से है. सारे जिलों के आकलन के बाद पाया गया कि 376 सड़कें ऐसे ही पड़ी है. ठेकेदारों ने इन पर काम बंद कर दिया है. इसमें ज्यादातर काम प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की है. हाल ही में केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री के साथ हुई बैठक में भी इस पर नतीजा नहीं निकला.
क्यों लटका है काम
अधिकतर योजनाएं उग्रवाद के कारण लटकी हुई है. उग्रवादियों ने ठेकेदारों को धमकी दी है या फिर उग्रवादी हमले के कारण ठेकेदारों ने काम बंद कर दिया है. कहीं-कहीं पर तो उग्रवादियों ने ठेकेदारों के मशीन जला दिये थे. वहीं गोली भी चलायी थी. इतना ही नहीं काम करानेवालों की हत्या भी की थी. जमीन नहीं मिलने, वन भूमि आदि कारणों की वजह से भी सड़कों पर काम बंद है.
होना था फैसला
ग्रामीण कार्य विभाग इस पर विचार कर रहा है कि इन योजनाओं पर कोई ठोस फैसला हो. यानी सड़कें बन जाये और ठेकेदारों को भी राहत मिले. जिन सड़कों का काम वास्तविक कारणों से बंद है, उस पर ठेकेदारों के पक्ष में निर्णय हो. वहीं, जहां ठेकेदारों ने बिना कारण काम बंद किया है, तो उन कार्यो को बंद कर ठेकेदारों की सिक्यूरिटी जब्त की जाये. फिर नये सिरे से टेंडर निकाल कर काम हो.
8-10 साल पहले शुरू हुआ था काम
इन जिलों में कई ऐसी भी योजनाएं हैं, जो 8-10 साल पहले शुरू हुई थी. इतने साल से काम ऐसे ही पड़ा हुआ है. आधी-अधूरी जो सड़कें बनी थी, वह भी टूट गयी है. इंजीनियरों-ठेकेदारों के प्रयास के बाद भी सड़क का निर्माण नहीं हो सका है.
फंसे हुए हैं ठेकेदार और इंजीनियर
काम पूरा नहीं होने के कारण ठेकेदारों की सिक्यूरिटी मनी विभाग के पास पड़ी हुई है. उनका पैसा भी फंसा हुआ है. वहीं सरकार का भी पैसा फंसा हुआ है. इंजीनियरों की सूची में भी काम अपूर्ण दिखायी दे रहा है. चूंकि पीएमजीएसवाइ केंद्रीय योजना है. ऐसे में बिना केंद्र की अनुमति के उसे ऐसे ही क्लोज करना संभव नहीं है. कुल मिला कर मामले में सब फंसे हुए हैं.

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