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परिवर्तन के वाहक बने वीडियो वॉलंटियर्स
ग्रामीण क्षेत्र के लोग वीडियो के जरिये उठा रहे हैं मुद्दों को प्रवीण मुंडा, रांची मुख्यधारा की पत्रकारिता से इतर, झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 49 वीडियो वॉलंटियर्स (सामुदायिक संवाददाता) पत्रकारिता की नयी इबारत लिखने में जुटे हैं. ये वीडियो वालंटियर्स ग्रामीण क्षेत्रों से हैं और इनमें भी ज्यादातर जनजातीय समाज से आते हैं. […]
ग्रामीण क्षेत्र के लोग वीडियो के जरिये उठा रहे हैं मुद्दों को
प्रवीण मुंडा, रांची
मुख्यधारा की पत्रकारिता से इतर, झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 49 वीडियो वॉलंटियर्स (सामुदायिक संवाददाता) पत्रकारिता की नयी इबारत लिखने में जुटे हैं. ये वीडियो वालंटियर्स ग्रामीण क्षेत्रों से हैं और इनमें भी ज्यादातर जनजातीय समाज से आते हैं. कम पढ़े लिखे ये लोग छोटे वीडियो कैमरा के जरिये या फिर मोबाइल के जरिये अपने परिवेश में उन मुद्दों को उठाते हैं, जिससे उनका समुदाय जुड़ा होता है.
मनरेगा की स्थिति, जनवितरण प्रणाली, ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति, मानवाधिकार से जुड़े मुद्दे और ऐसे ही अनेक विषयों पर तीन से पांच मिनट की वीडियो फिल्में बनायी जाती है. ये इन वीडियों को संबंधित पदाधिकारियों को दिखाते हैं और उनसे उन समस्याओं के निराकरण का आग्रह करते हैं. कई मामलों में इनके बनाये वीडियो से समस्याओं का समाधान होता है.
कौन हैं वीडियो वॉलंटियर्स
वीडियो वालंटियर्स भारत के 24 राज्यों में कार्यरत हैं. इसकी शुरुआत यूएसए की जेसिका नेबरी व स्टालिन ने की थी. संस्था का मुख्यालय गोवा में है. झारखंड में इसकी शुरुआत 2012 से हुई. आनंद हेंब्रोम इसके राज्य समन्वयक हैं. हर महीने झारखंड में 40 शार्ट वीडियो बनाये जाते हैं. वीडियो वालंटियर्स (जिन्हें सामुदायिक संवाददाता) को वीडियो शूट करने व मुद्दों की पहचान करने की जानकारी दी जाती है. अब तक भारत में एक हजार से अधिक वीडियो बनाये गये हैं और उन्हें लोगों को दिखाया गया है. चुनिंदा वीडियो वेबसाइट 666.5्रीि5’4ल्ल3ी12.1ॅ पर देखी जा सकती है.
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