कंपनियों को देना होगा विकास फंड
रांची: खान व खनिज (विकास व विनियमन) अध्यादेश-2015 में यह प्रावधान है कि खान कंपनियों को अपनी कुल रॉयल्टी की एक तिहाई रकम जिला विकास फंड के लिए देना होगा. जिला खनन फाउंडेशन को दी जाने वाली यह रकम रॉयल्टी के अतिरिक्त होगी. यानी यदि कोई कंपनी सरकार को 100 करोड़ रुपये रॉयल्टी देती है, […]
रांची: खान व खनिज (विकास व विनियमन) अध्यादेश-2015 में यह प्रावधान है कि खान कंपनियों को अपनी कुल रॉयल्टी की एक तिहाई रकम जिला विकास फंड के लिए देना होगा. जिला खनन फाउंडेशन को दी जाने वाली यह रकम रॉयल्टी के अतिरिक्त होगी. यानी यदि कोई कंपनी सरकार को 100 करोड़ रुपये रॉयल्टी देती है, तो उसे 33.33 करोड़ रुपये जिला विकास फंड में देने होंगे. यानी उसे कुल 133.33 करोड़ रुपये अदा करने होंगे.
एटीआइ में शनिवार को खान व खनिज (विकास व विनियमन) अध्यादेश-2015 पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसके बाद खान सचिव अरुण ने पत्रकारों को यह जानकारी दी.
30 फीसदी रकम वहां रहनेवालों पर खर्च होगी
उन्होंने कहा कि 30 फीसदी की रकम मिनरल एरिया तथा वहां निवास करने वालों के विकास व बुनियादी सुविधाओं पर खर्च होगी. इससे पारिस्थितिकी (इकोलॉजी) व पर्यावरण सुधार के कार्यक्रम भी चलेंगे.
उन्होंने बताया कि अध्यादेश 13 जनवरी 2015 से प्रभावी है. इसमें खानों का पट्टा ऑक्शन रूट (बोली) के जरिये पारदर्शी तरीके से देने को कहा गया है. अध्यादेश लागू करने के लिए नियम-परिनियम अभी एडवांस स्टेज में हैं तथा इसकी तैयारी चल रही है. ऐसे में यह निर्णय हुआ है कि सामान्य खान से संबंधित कंपनियां 31 मार्च 2020 तक खनन कर सकती हैं. वहीं कैप्टिव कंपनियों का खनन अधिकार मार्च 2023 तक बरकरार रहेगा. इस समय सीमा के बाद सभी खदानों का पट्टा बोली के जरिये आवंटित होगा.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में लीज छोड़ चुकी फर्म को फिर से खनन पट्टा देने संबंधी सवाल पर श्री अरुण ने कहा कि अभी इस पर अंतिम निर्णय नहीं हुआ है. पर सरकार ने यह तय किया है कि ऐसी कंपनियां यदि फिर से खनन पट्टे के लिए आवेदन देती हैं, तो उन्हें सरकार को यह लिखित देना होगा कि लीजधारी रहते उन्होंने खनन कानूनों का कोई उल्लंघन नहीं किया था.
राज्य सरकार को कई अधिकार दिये गये हैं
नये अध्यादेश में राज्य सरकार को भी कई अधिकार दिये गये हैं. शिडय़ूल-वन में शामिल 10-11 खनिजों के विनियमन का अधिकार पहले केंद्र सरकार के पास था, जिसे अब राज्य सरकार के अधीन कर दिया गया है. वहीं पहले राज्य सरकार को 24 लघु खनिजों के विनियमन (रेगुलेशन) का अधिकार था. अब इसमें 31 लघु खनिज और जोड़ दिये गये हैं. यानी अब राज्य सरकार कुल 55 लघु खनिजों का विनियमन करेगी. उधर अवैध खनन की सजा नये अध्यादेश में सख्त की गयी है. अब अवैध खनन करते पकड़े जाने पार पांच लाख रुपये जुर्माना व पांच साल तक की कैद होगी.