नीति आयोग की बैठक में सीएम रघुवर दास ने रखी झारखंड की समस्याएं
रांची : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने नयी राजधानी के लिए केंद्र से विशेष पैकेज मांगा है. रविवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई नीति आयोग की बैठक में उन्होंने झारखंड की समस्याएं गिनायी. राज्य के विकास के लिए केंद्र से सहयोग मांगा. कहा : राज्य सरकार के लिए नया सचिवालय व उच्च न्यायालय […]
रांची : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने नयी राजधानी के लिए केंद्र से विशेष पैकेज मांगा है. रविवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई नीति आयोग की बैठक में उन्होंने झारखंड की समस्याएं गिनायी. राज्य के विकास के लिए केंद्र से सहयोग मांगा. कहा : राज्य सरकार के लिए नया सचिवालय व उच्च न्यायालय भवन के साथ ही नयी राजधानी विकसित करना चुनौती है. इसमें भारी पूंजी की जरूरत होगी. राज्य सरकार अपने संसाधन से इन आवश्यकताओं को पूर्ति करने में कठिनाई महसूस कर रही है. मेक इन इंडिया को पीएम की क्रांतिकारी पहल बताते हुए कहा कि राज्य में 30 फीसदी खनिज संपदा है. बागवानी, लघु वनोपज व औषधीय उत्पाद के लिए भी राज्य उपयुक्त है. औद्योगिक शांति है. निपुण मजदूर हैं. ऐसे में केंद्र सरकार से बढ़-चढ़ कर सहयोग की अपेक्षा है.
13 वें वित्त आयोग के 2300 करोड़ नहीं मिले
मुख्यमंत्री ने कहा कि 13 वें वित्त आयोग में राज्य को कुल 7238 करोड़ की राशि आवंटित की जानी थी. इसके विरुद्ध अभी तक 4929 करोड़ रुपये ही प्राप्त हो सकी है. शेष 2300 करोड़ रुपये अभी तक नहीं मिली है.
पेंशन में 2600 करोड़ का अतिरिक्त बोझ है
सीएम ने कहा : बिहार पुनर्गठन अधिनियम 2000 के अंतर्गत पेंशन देयता का बोझ अत्यधिक है. 2600 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ रहा है. आबादी के अनुपात में पेंशन देयता का विभाजन हो. द्र से 102 करोड़ नहीं मिल पाया है : श्री दास ने कहा : अल्पकालीन सहकारी साख संरचना के पुनरुद्धार व पुनर्गठन के लिए गठित वैद्यनाथन समिति की अनुशंसा के आलोक में भारत सरकार, नाबार्ड व राज्य सरकार के बीच समझौता हुआ था. इसके आलोक में राज्य ने अपने हिस्से का 15 करोड़ रुपये दे दिया है, पर केंद्र ने 102.14 करोड़ रुपये अभी तक नहीं दिया है. राज्य सरकार द्वारा कई बार पत्रचार भी किया है, पर नतीजा कुछ नहीं निकला.
भौगोलिक कारणों से लाभ नहीं मिल पा रहा
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य को वार्षिक योजना आकार का करीब एक तिहाई हिस्सा केंद्र सरकार से प्रात होता है, लेकिन यह किसी न किसी योजना विशेष से संबद्ध रहता है. शर्ते पूरे देश में एक जैसी होती है, जबकि राज्यों की भौगोलिक, सामाजिक व आर्थिक स्थिति समान नहीं होती. ऐसे में कई राज्यों को योजनाओं का पूरा लाभ नहीं मिल पाता है. झारखंड जैसे पठारी भौगोलिक प्रदेशों में एक स्थल पर एक साथ 10 एकड़ समतल भूमि चिह्न्ति करने में काफी कठिनाई होती है. ऐसे में झारखंड इसका लाभ नहीं ले पाता है.
प्रति व्यक्ति आय की गणना में बदलाव हो
मुख्यमंत्री ने कहा : झारखंड में कोयला, लोहा आदि खनिज व इनके आधारित उद्योगों की बहुलता है. इनके उत्पादों को राज्य के जीएसडीपी में जोड़ कर राज्य की प्रति व्यक्ति आय का आकलन किया जाता है, जबकि इन उत्पादों से राज्य की जनता को कोई भी वास्तविक आय नहीं होती है. इस प्रक्रिया से प्रति व्यक्ति आय की गणना कर राष्ट्रीय संसाधनों का वितरण किया जाना सही प्रतीत नहीं होता है, क्योंकि इससे केंद्रीय संसाधनों में अपेक्षित अंश राज्य को प्राप्त नहीं होता है. अत: निधि के वितरण में वर्षो पुराने गाडगिल फॉमरूले पर पुनर्विचार किया जाये.
मैचिंग ग्रांट की हो रही है समस्या
मुख्यमंत्री ने कहा : केंद्रांश के विरुद्ध मैचिंग ग्रांट की व्यवस्था राज्य सरकार को करनी पड़ती है. राज्यांश के अनुपात में भी साल-दर-साल बढ़ोतरी की प्रवृत्ति केंद्र संचालित योजनाओं में होती है, जिसके फलस्वरूप राज्य निधि पर लगातार दबाव बनता जाता है. इससे राज्य सरकार को स्वतंत्र रूप से नयी योजनाएं चयन करने में कठिनाई होती है. ऐसे में नीति आयोग कोई भी योजना बनाते समय राज्यों के नजरिये पर विचार करे, क्योंकि किसी भी योजना का कार्यान्वयन राज्यों को ही करना होता है.
पीएम जन-धन योजना
श्री दास ने कहा : प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत अब तक राज्य सहकारी बैंक ने करीब 50 हजार लाभुकों का बैंक खाता खोला है. लेकिन लाभुकों को प्राप्त होनेवाले दुर्घटना बीमा, ऋण आदि की सुविधाएं राज्य सरकार कर रही है. ऐसे में राज्य के सहकारी बैंकों को केंद्र सरकार के द्वारा संचालित इस योजना में नाबार्ड द्वारा सहयोग की अपेक्षा है.
कोयला रॉयल्टी की दर 14 से बढ़ा कर 20 प्रतिशत हो
मुख्यमंत्री ने कोयले की रॉयल्टी 14 फीसदी से बढ़ा कर 20 फीसदी करने का आग्रह किया. साथ ही लिंकेज कोयले की मात्र पर भी बाजार दर/इ-ऑक्शन दर के आधार पर राज्य को रॉयल्टी मिले, ताकि आर्थिक संसाधनों में बढ़ोतरी हो सके. कहा : कोयले के लंबित खनन पट्टों का भी शीघ्र निष्पादन किये जाने की जरूरत है, ताकि राज्य को निबंधन व अन्य शुल्कों से आय की प्राप्ति हो सके.