खजाने में जमा करें 49.50 किलो सोना
रांची : सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश योगेश्वर मणी की अदालत ने चारा घोटाले के सजायाफ्ता मुजरिम त्रिपुरारी मोहन प्रसाद के ठिकानों से जब्त 49 किलो 475 ग्राम सोना सरकारी खजाने में जमा करने का आदेश दिया है. अदालत ने मुजरिम केएम प्रसाद, दयानंद कश्यप और घोटाले के किंग पिन स्व श्याम बिहारी सिन्हा के ठिकानों […]
रांची : सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश योगेश्वर मणी की अदालत ने चारा घोटाले के सजायाफ्ता मुजरिम त्रिपुरारी मोहन प्रसाद के ठिकानों से जब्त 49 किलो 475 ग्राम सोना सरकारी खजाने में जमा करने का आदेश दिया है. अदालत ने मुजरिम केएम प्रसाद, दयानंद कश्यप और घोटाले के किंग पिन स्व श्याम बिहारी सिन्हा के ठिकानों से जब्त सोना जमा करने के मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
इन सभी मुजरिमों के पास से कुल 207 किलो 513 ग्राम सोना जब्त किये गये थे. अदालत ने मुजरिम सिलास तिर्की और सरकारी गवाह दीपेश चांडक के ठिकानों से जब्त 1.67 करोड़ रुपये पर भी अपना फैसला सुरक्षित रखा है.
सीबीआइ की ओर से दायर आवेदन पर विचार करने के बाद सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश ने मंगलवार को अपना फैसला सुनाया. उन्होंने अपने फैसले में आरसी 20ए/96 में सजायाफ्ता मुजरिम त्रिपुरारी मोहन प्रसाद उसके भाई सुनील सिन्हा और सुशील कुमार व अन्य पारिवारिक सदस्यों के नाम सीबीआइ द्वारा जब्त किये गये 49 किलो 475 ग्राम सोना सरकारी खजाने में जमा करने का आदेश दिया है.
उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक में जमा गोल्ड बांड को लेने और उसे राज्य सरकार के खजाने में जमा करने के लिए एक अधिकारी को अधिकृत करने के लिए राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखने का आदेश दिया है. साथ ही झारखंड के मुख्य सचिव द्वारा अधिकृत अधिकारी के हवाले गोल्ड बांड करने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (पटना) के महा प्रबंधक को पत्र लिखने का आदेश दिया है.
अदालत ने यह निर्देश आरसी 20ए/96 में दिये गये फैसले के आलोक में किया है. सीबीआइ के तत्कालीन न्यायाधीश पीके सिंह ने चारा घोटाले के इस सबसे बड़े मामले में मुजरिमों के पास से जब्त सोना और रुपये सरकारी खजाने में जमा करने का फैसला भी सुनाया था.
त्रिपुरारी और बैंक ने आपत्ति की थी
आरसी 20ए/96 के फैसले के आलोक में सीबीआइ की ओर से विशेष न्यायाधीश योगेश्वर मणी की अदालत में एक आवेदन दाखिल किया गया था. इसमें त्रिपुरारी मोहन, श्याम बिहारी सिन्हा, केएम प्रसाद और दयानंद कश्यप के पास से जब्त सोना को सरकारी खजाने में जमा कराने की अनुमति मांगी थी.
इसके अलावा तत्कालीन कोषागार पदाधिकारी सिलास तिर्की और सप्लायर सह सरकारी गवाह दीपेश चांडक के पास से जब्त 1.67 करोड़ रुपये भी सरकारी खजाने में जमा कराने की अनुमति मांगी गयी थी. सीबीआइ के अधिवक्ता पीएमपी सिंह द्वारा आवेदन दाखिल किये जाने के बाद पटना के मेसर्स सजिर्को के मालिक त्रिपुरारी मोहन प्रसाद और वैष्णव इंटरप्राइजेज के मालिक दयानंद कश्यप के बदले पंजाब नेशनल बैंक ने अपनी-अपनी आपत्ति दर्ज करायी थी. पंजाब नेशनल बैंक ने यह कहा था कि मुजरिम दयानंद कश्यप ने बैंक से कर्ज लिया है.
कर्ज की रकम उसने वापस नहीं की है, इसलिए कश्यप के ठिकानों के जब्त होना बैंक के हवाले कर दिया जाये. सीबीआइ के अधिवक्ता बीएमपी सिंह ने इन याचिकाओं का विरोध करते हुए सबीआइ के पक्ष में दलील दी थी और जब्त किये गये सोने को घोटाले के पैसों से खरीदा गया बताते हुए उसे सरकारी खजाने में जमा करने अनुरोध किया था.