अकेले चले थे, अकेले ही चलेंगे : बाबूलाल
झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी पार्टी के छह विधायकों के पाला बदलने से दु:खी हैं. विधानसभा चुनाव में और फिर चुनाव के बाद बाबूलाल मरांडी को बड़ा झटका लगा है. पहले चुनाव में मिली पराजय और बाद में उनके जीते हुए विधायकों के पार्टी छोड़ने का मुकाबला करने के लिए वह आंदोलन के मूड में हैं. […]
झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी पार्टी के छह विधायकों के पाला बदलने से दु:खी हैं. विधानसभा चुनाव में और फिर चुनाव के बाद बाबूलाल मरांडी को बड़ा झटका लगा है. पहले चुनाव में मिली पराजय और बाद में उनके जीते हुए विधायकों के पार्टी छोड़ने का मुकाबला करने के लिए वह आंदोलन के मूड में हैं. भाजपा के खिलाफ आंदोलन की रणनीति बना रहे हैं.
विधायकों के भाजपा में जाने के मुद्दे पर वह कानूनी संघर्ष करने की बात भी कर रहे हैं. बाबूलाल मरांडी ने साफ किया कि वह किसी भी कीमत में अपनी पार्टी का भाजपा में विलय नहीं करेंगे.
उन्होंने कहा कि विधायक हमारी ताकत नहीं है. भाजपा विधायकों को ले जा सकती है, लेकिन ताकत जनता से मिलती है. प्रभात खबर ने ताजा राजनीतिक घटनाक्रम और उनके पार्टी के विधायकों के पाला बदलने के मुद्दे पर विशेष बातचीत की. पेश है बातचीत के मुख्य अंश.
– मेरी ताकत विधायक नहीं, जनता है, मुङो समाप्त करने का पहले भी प्रयास किया गया
– भाजपा नोट का खेल खेल रही है, अनैतिक खेल में भाजपा ने कांग्रेस को भी पीछे छोड़ दिया
– बार-बार आपकी पार्टी टूट रही है, आपके यहां दलीय निष्ठा नहीं है?
किसी को बांध कर नहीं रख सकते हैं. मैं अपना कर्तव्य करता हूं. भाजपा घृणित राजनीति कर रही है. पैसे और प्रलोभन की राजनीति कर रही है. भाजपा को बेनकाब करेंगे. हमारी कोशिश आदर्शवादी राजनीति की होगी.
भाजपा की यह अंतिम साजिश होगी. भाजपा का अंत का कारण भी ऐसी ही राजनीति बनेगी. पार्टी मूल्यों की राजनीति करती थी. 2014 में हमारे विधायकों को तोड़ा गया. दूसरे दल के विधायक रहते हुए, भाजपा ने इनको शामिल कराया. हमने विधानसभा अध्यक्ष से सदस्यता खत्म करने की मांग की, तो उनसे त्याग पत्र दिलाया गया.
भाजपा ने पहले मुङो समाप्त करने की कोशिश की. फिर हम 10 प्रतिशत मत के साथ आठ लोगों के साथ आये, तो संतुष्टि नहीं मिली. हम भाजपा का पाखंड जनता के सामने लायेंगे. भाजपा कांग्रेस के रास्ते पर चल रही है. अनैतिक राजनीति के खेल में उसने कांग्रेस को भी पीछे छोड़ दिया. भाजपा नोट का खेल खेल रही है.
पार्टी के पदाधिकारी भी जा रहे हैं. आरोप है कि पार्टी में अनिर्णय की स्थिति है.
मैं भाजपा में नहीं जा सकता. भाजपा में जाना होता, तो छोड़ते क्यों? मैं भाजपा से एमपी था,पद छोड़ कर ही अलग पार्टी बनायी.
आपके विधायक दल के नेता प्रदीप यादव के खिलाफ भी नाराजगी की बात कही जाती है. विधायक उनसे नाराज थे?
ये विधायक तो नये थे. इनका ठीक से परिचय भी प्रदीप यादव से नहीं हुआ था. हमने इनको चुनाव लड़ाया था. गणोश गंझू का तो परिचय मैंने प्रदीप यादव से कराया था. प्रदीप यादव से नाराजगी की बात कहां से आ गयी. हां समरेश सिंह पहले जरूर विधायक दल का नेता बनना चाहते थे. प्रदीप यादव काम करने वाले नेता हैं. इसलिए जवाबदेही मिलती है. इसमें नाराजगी जैसी क्या बात है.
आपकी पार्टी में भाजपा के साथ विलय करने का भी दबाव था. आप तैयार नहीं थे?
मैं पार्टी का विलय नहीं कर सकता. भाजपा से अलग हो कर जनता के लिए संघर्ष कर रहा हूं. 2006 में पार्टी बनायी, तो हमारे साथ पांच विधायक थे. रवींद्र राय व कुंती सिंह भाजपा में चले गये. मनोहर टेकरीवाल, विष्णु भइया झामुमो में चले गये. फिर 2009 में दीपक प्रकाश और कई पदाधिकारी चले गये. 2009 में 11 सीट जीत कर आया. 2014 में हमारे कई विधायक भाजपा में भाग गये. मेरे लिए यह कोई नयी बात नहीं है. मैं अकेला चला था, अकेले ही चलूंगा. मेरी ताकत विधायक नहीं है. जनता से ताकत मिलती है. मुङो समाप्त करने की कितनी भी कोशिश हो, मैं आगे बढ़ता रहूंगा.
जनता के बीच किन मुद्दों को लेकर जायेंगे?
झारखंड का गठन यहां की जन भावनाओं को देखते हुए हुआ था. झारखंड को यहां के लोग अपने हाथों से बनायेंगे. मामला आदिवासी-गैर आदिवासी का नहीं है. लेकिन यहां झारखंड की भावना के साथ खिलवाड़ किया गया. भूमि अधिग्रहण का मामला हो या फिर शिक्षक नियुक्ति का मामला हो. झारखंड के लोगों के साथ अन्याय हो रहा है. मैं भाजपा के साथ कानूनी लड़ाई भी लड़ूंगा. आसानी से छोड़ने वाला नहीं हूं. भाजपा की अपनी सरकार है, विधानसभा अध्यक्ष उनके हैं. लेकिन मैं इस मामले को कानून की चौखट तक ले जाऊंगा. लोकतंत्र में जनता बड़ी है. पूरे मामले को जनता की अदालत में भी ले जाऊंगा.
विधायकों की दलीय निष्ठा टूटती रहती है. आगे क्या विधायकों को टिकट देने से पहले कोई मापदंड रखेंगे?
निश्चित रूप से आगे इस पर विचार होगा. हम ऐसे लोगों को जवाबदेही देंगे, जो जनता के लिए पार्टी से जुड़ कर काम करें. पार्टी के साथ जुड़नेवाले और निष्ठावान लोगों को ही जवाबदेही दी जायेगी. संगठन के अंदर दलीय निष्ठावालों को आगे किया जायेगा.
राज्यपाल से की जांच कराने की मांग
हाइकोर्ट के जज की अध्यक्षता में कमेटी बना कर जांच कराने का आग्रह
रांची : झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी ने राज्यपाल को पत्र लिख कर भाजपा पर पद व पैसे का प्रलोभन देकर विधायकों को अपने पक्ष में करने का आरोप लगाया है. राज्यपाल को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि सामान्य बहुमत मिलने के बाद भी भाजपा गंठबंधन की ओर से पैसे और पद का प्रलोभन देकर दूसरे दलों के विधायकों को तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है.
ऐसा कर भाजपा और मजबूत बहुमत की सरकार कायम करना चाहती है. यह स्वच्छ लोकतंत्र के लिए अनुचित है. मुख्यमंत्री और भाजपा नेताओं के इस घृणित आचरण से लोकतंत्र शर्मसार हो रहा है.
जांच दल गठित करने की मांग : अपने पत्र में बाबूलाल मरांडी ने मांग की है कि मुख्यमंत्री और भाजपा नेताओं के इस घृणित आचरण की जांच के लिए हाइकोर्ट के न्यायाधीश की अध्यक्षता में विशेष जांच दल का गठन किया जाये, ताकि मामले का खुलासा हो सके.
उन्होंने कहा है कि राजनैतिक दलों के जोड़-तोड़ को रोकने के लिए संविधान की अनुसूची 10 में निहित प्रावधान संपूर्ण नहीं है. इस कारण झाविमो संविधान में संशोधन करने की मांग करता है. ऐसा करने पर कोई भी निर्वाचित सदस्य जनादेश का उल्लंघन कर दूसरे दल में नहीं जा सकेगा. उन्होंने राज्यपाल से मामले में हस्तक्षेप कर उचित कार्रवाई करने का अनुरोध किया है.