रांची: मसीही विश्वासियों ने रविवार को पुरोहितों के संरक्षक, संत योहन बपतिस्त मेरी वियन्नी का पर्व मनाया. इस अवसर पर संत मरिया महागिरजाघर में मुख्य अनुष्ठाता कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो ने कहा कि उनकी जीवनी लिखने वालों ने उनके कार्यो को तीन वर्गो में बांटा है. उन्होंने चमत्कारिक रूप से अनाथों के लिए बड़ी राशि एकत्र की, अतीत और भविष्य का उनका ज्ञान ईश्वरीय चमत्कार था. उनमें बीमारों को चंगा करने की अपार ईश्वरीय शक्ति थी. वस्तुत: उनका जीवन ही सबसे बड़ा चमत्कार था.
पुरोहिताई का विशेष महत्व
कार्डिनल ने कहा कि कैथोलिक कलीसिया में पुरोहिताई का विशेष महत्व है. पुरोहित प्रभु यीशु मसीह के निकट सहयोगी हैं. उन्हें दूसरा ख्रीस्त भी कहा जाता है. इसलिए संत योहन मेरी वियन्नी लोगों को एक पुरोहित में प्रभु यीशु का दर्शन करने की सलाह देते थे. वे कहते थे कि पुरोहिताई में प्रभु यीशु के पवित्र हृदय का सच्च प्रेम निहित है. अपने पुरोहितों के लिए सतत प्रार्थना करें, ताकि वे संत योहन मेरी वियन्नी के पदचिन्हों पर चलते हुए आत्मिक लाभ के लिए काम करें और लोग अपने पुरोहितों में प्रभु यीशु को प्रत्यक्ष देख सकें.
अब तक सुरक्षित है पार्थिव शरीर
चार अगस्त 1859 को 73 वर्ष की उम्र में संत योहन बपतिस्त मेरी वियन्नी का निधन हुआ. आठ जनवरी 1905 को पोप पीयूष 10वें ने उन्हें धन्य घोषित किया और उसी वर्ष उन्हें फ्रांस के पुरोहितों का संरक्षक घोषित किया.
पोप पीयूष 11वें ने 1925 में उन्हें संत घोषित किया. वर्ष 1929 में उन्हें समस्त विश्व के पल्ली पुरोहितों का संरक्षक संत घोषित किया गया. 1962 में संत पिता पॉल छठे ने उनका पर्व दिवस चार अगस्त निर्धारित किया. संत के निधन के 150 वें वर्ष के अवसर पर संत पिता बेनेडिक्ट 16वें ने उन्हें विश्व के समस्त पुरोहितों का संरक्षक संत घोषित किया . उनका पार्थिव शरीर अब तक सुरक्षित है.