झारखंड में रहती हैं 32 जनजातियां, जानें भारत के किस राज्य में आदिवासियों की कितनी है आबादी
भारत में 461 जनजातियां निवास करतीं हैं. इनमें से 32 जनजातियां झारखंड में निवास करतीं हैं. आइए, आज हम आपको बताते हैं कि झारखंड में किस जनजाति की कितनी आबादी है और भारत के किस राज्य में कितने आदिवासी रहते हैं.
भारत की कुल आबादी में आदिवासियों की हिस्सेदारी 8.6 फीसदी है. वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, देश में अनुसूचित जनजाति के लोगों की संख्या 10 करोड़ 45 लाख से अधिक है. जनजाति की सबसे ज्यादा संख्या मध्यप्रदेश में है. इस राज्य में 1.53 करोड़ से अधिक आदिवासी निवास करते हैं. इसके बाद नंबर आता है महाराष्ट्र का. पश्चिमी भारत के इस राज्य में भी एक करोड़ से अधिक आदिवासी हैं. यहां आदिवासियों की आबादी 1.05 करोड़ से अधिक है. झारखंड में 86.45 लाख आदिवासी हैं. इस प्रदेश में 32 जनजातियां निवास करतीं हैं.
ओडिशा व राजस्थान में आदिवासियों की आबादी 90 लाख से ज्यादा
ओडिशा और राजस्थान दो ऐसे राज्य हैं, जहां आदिवासियों की संख्या 90 लाख से अधिक है. ओडिशा में 95.91 लाख, तो राजस्थान में 92.39 लाख अनुसूचित जनजाति के लोग रहते हैं. गुजरात में 89.17 और झारखंड में 86.45 लाख आदिवासी बसते हैं. इसके बाद नंबर छत्तीसगढ़ का आता है. यहां की आदिवासी आबादी 78.23 लाख है. पश्चिम बंगाल में 52.97 लाख और कर्नाटक में 42.49 लाख आदिवासी रहते हैं. असम में 38.84 लाख, तेलंगाना में 32.87 लाख, आंध्रप्रदेश में 26.31 लाख और मेघालय में 25.56 लाख आदिवासी हैं.
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सबसे कम आदिवासी दमन एवं दीव में
नगालैंड में 17.11 लाख, जम्मू-कश्मीर में 14.93 लाख, बिहार में 13.37 लाख, त्रिपुरा एवं मणिपुर में 11.67 लाख, उत्तर प्रदेश में 11.34 लाख, मिजोरम में 10.36 लाख, अरुणाचल प्रदेश में 9.52 लाख, तमिलनाडु में 7.95 लाख, केरल में 4.85 लाख, हिमाचल प्रदेश में 3.92 लाख, उत्तराखंड में 2.92 लाख, सिक्किम में 2.06 लाख, दादरा-नगर हवेली में 1.79 लाख, गोवा में 1.49 लाख, लक्षद्वीप में 61 हजार, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में 29 हजार और दमन एवं दीव में 15 हजार आदिवासी निवास करते हैं.
झारखंड : 32 में 8 जनजातियों की आबादी 10 हजार से कम
भारत की 461 में से 32 जनजातियां झारखंड में निवास करतीं हैं. इनमें से 2 की आबादी 500 से कम है, तो 2 की 5,000 से कम. 4 जनजातियों की आबादी 5 हजार से 10 हजार के बीच है. किसी की आबादी 10 हजार नहीं है. इन जनजातियों में खोंड, बंजारा, बैगा, बाथुडी, गोरैत, बिरजिया, कांवर और सबर हैं.
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झारखंड की आदिवासी आबादी में सबसे ज्यादा संताली
झारखंड में सबसे ज्यादा आबादी संतालियों की है. इस प्रदेश में 28 लाख से अधिक संताली रहते हैं. उरांव की आबादी 17.44 लाख, मुंडा की आबादी 12.52 लाख है. इसके बाद खड़िया, गोंड, कोल, कांवर, सबर, असुर, बैगा, बंजारा, बाथुडी, बेदिया, बिंझिया, बिरहोर, बिरजिया, चेरो, चिक–बड़ाइक, गोरैत, हो, करमाली, खरवार, खोंड, किसान (नगेसिया), कोरा (मुंडी–कोरा), कोरवा, लोहरा, महली, माल–पहाड़िया, परहैया, सौरिया–पहाड़िया और भूमिज की आबादी है.
आदिवासी का अर्थ क्या होता है?
विश्व आदिवासी दिवस पर आपको बता दें कि आदिवासी दो शब्दों से मिलकर बना है. ‘आदि’ और ‘वासी’. इसका अर्थ है मूल निवासी. संविधान में आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) कहा गया है. संताल, उरांव, मुंडा, खड़िया, हो, भील, गोंड, बोडो, खासी, नगा, मिजो, सहरिया, गरासिया, मीणा, असुर, बिरहोर, पहाड़िया, बैगा, मारिया, कोंध, कोटा, बगादा, टोडा, कुरूंबा, कादर, चेंचु, ग्रेट अंडमानी आदि समेत 461 आदिवासी समुदाय भारत में निवास करते हैं. ये सभी सात क्षेत्रों में रहते हैं.
इन 7 क्षेत्रों में निवास करते हैं आदिवासी
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उत्तरी क्षेत्र : जम्मू-कश्मीर, उत्तरांचल और हिमाचल प्रदेश
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पूर्वोत्तर क्षेत्र : पश्चिम बंगाल का दार्जिलिंग, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, त्रिपुरा और मिजोरम
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पूर्वी क्षेत्र : झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और ओडिशा
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मध्य क्षेत्र : मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़
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पश्चिमी क्षेत्र : गुजरात, राजस्थान, पश्चिमी मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र
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दक्षिण क्षेत्र : केरल, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना
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द्वीपीय क्षेत्र : अंडमान-निकोबार
आठवीं अनुसूची में दो आदिवासी भाषा
भारत की 114 मुख्य भाषाओं में से 24 भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है. इसमें सिर्फ दो आदिवासी भाषा हैं- संताली और बोडो. भारत के एकमात्र राज्य झारखंड में 5 आदिवासी भाषाओं (संताली, मुंडारी, हो, कुड़ुख और खड़िया) को 2011 में द्वितीय राज्यभाषा का दर्जा दिया गया.