47 हजार पुलिसकर्मियों के पास आवास नहीं
रांची: झारखंड में पुलिस (सिपाही से डीजी तक) की स्वीकृत संख्या 73,323 है. इसमें से करीब 17 हजार पद रिक्त पड़े हुए हैं. अभी 56,323 पुलिसकर्मी कार्यरत हैं. इनमें से सिर्फ 8,966 पुलिसकर्मियों को ही सरकार आवास उपलब्ध करा पायी है. शेष 47,357 पुलिसकर्मियों को आवास सुविधा अब तक नहीं मिल पायी है. इन्हें सरकार […]
रांची: झारखंड में पुलिस (सिपाही से डीजी तक) की स्वीकृत संख्या 73,323 है. इसमें से करीब 17 हजार पद रिक्त पड़े हुए हैं. अभी 56,323 पुलिसकर्मी कार्यरत हैं. इनमें से सिर्फ 8,966 पुलिसकर्मियों को ही सरकार आवास उपलब्ध करा पायी है. शेष 47,357 पुलिसकर्मियों को आवास सुविधा अब तक नहीं मिल पायी है. इन्हें सरकार पद के हिसाब से आवास भत्ता देती है.
रांची, जमशेदपुर, बोकारो, धनबाद, देवघर, हजारीबाग व रामगढ़ जैसे शहरों में काम करनेवाले पुलिसकर्मियों को सरकार द्वारा आवास भत्ता के मद में जितनी राशि मिलती है, उतने में भाड़े पर आवास भी नहीं मिलते हैं.
आवास की स्थिति जजर्र: रांची, जमशेदपुर, हजारीबाग, पलामू, दुमका, धनबाद, चाईबासा व देवघर जैसे पुराने जिलों में पुलिस कॉलोनी है. इन कॉलोनियों में वर्षो पहले आवास बनाये गये थे, जिसे पुलिसकर्मियों को अलॉट किया गया था. समय पर मरम्मत नहीं होने से अधिकतर आवासों की स्थिति जजर्र हो गयी है. झारखंड पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन के द्वारा पांच-सात साल पहले कई पुलिस लाइनों में तीन तल्ला भवन बनाये गये हैं. कॉरपोरेशन के द्वारा बनायी गयी अधिकांश बिल्डिंग की स्थिति खराब हो चली है.
कैंटीन से सामान मिलना भी हुआ बंद
पुलिसकर्मियों को सस्ते दर (वैट में छूट) पर घरेलू सामान उपलब्ध कराने के उद्देश्य से वर्ष 2014 में पुलिस विभाग ने विभिन्न जिलों व वाहनियों में पुलिस कैंटीन खोली. अब तक 16 कैंटीन खोले जा चुके हैं. लेकिन, अब इन कैंटीनों में सस्ते दर पर सामान मिलने बंद होनेवाले हैं. सरकार ने अब तक वैट में छूट का आदेश जारी नहीं किया है. अब तक पुलिस कैंटीन को सीआरपीएफ की कैंटीन से सस्ते दर पर सामान उपलब्ध कराये जा रहे थे, लेकिन सेल्स टैक्स विभाग की आपत्ति के बाद सीआरपीएफ की कैंटीन ने पुलिस कैंटीन को सामान देने से इनकार कर दिया है.
नहीं पूरी हुई इंटीग्रेटेड पुलिस लाइन की योजना
पुलिसकर्मियों के परिवार के लोगों को आवास, बच्चों के लिए खेल का मैदान, पार्क, स्कूल आदि उपलब्ध कराने के उद्देश्य से वर्ष 2011 में इंटीग्रेटेड पुलिस लाइन बनाने की योजना शुरू की गयी थी. पहले चरण में रांची, जमशेदपुर व पलामू में इस तरह की पुलिस लाइन बनाने की योजना तैयार की गयी थी, लेकिन इस योजना पर आगे कार्रवाई नहीं हुई. सिर्फ आठ तल्ला भवन बनाने का काम ही शुरू किया जा सका.