100 तक गिनती भी नहीं जानते बच्चे
जिले के दर्जन भर आवासीय विद्यालयों में शिक्षा का हाल बदहालसंसाधन की कमी से जूझ रहे हैं विद्यार्थीकल्याण विभाग पलामू द्वारा होता है संचालनप्रतिनिधि, लातेहारअनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के बच्चों को नि:शुल्क आवासीय व्यवस्था के साथ शिक्षा मुहैया कराने के उद्देश्य से जिले में दर्जन भर विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है. […]
जिले के दर्जन भर आवासीय विद्यालयों में शिक्षा का हाल बदहालसंसाधन की कमी से जूझ रहे हैं विद्यार्थीकल्याण विभाग पलामू द्वारा होता है संचालनप्रतिनिधि, लातेहारअनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के बच्चों को नि:शुल्क आवासीय व्यवस्था के साथ शिक्षा मुहैया कराने के उद्देश्य से जिले में दर्जन भर विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है. लेकिन ये विद्यालय बदहाल हैं. कमरों में रोशनी की व्यवस्था नहीं है. कई विद्यालय भवन तो जीर्ण-शीर्ण हैं. एक ही कमरे में चार कमरे के छात्रों को भेड़-बकरी की तरह रखा जा रहा है. जबकि प्रत्येक माह इन विद्यालयों के संचालन में सरकार का लगभग 30 लाख रुपये व्यय हो रहा है. उपलब्धि के नाम पर भी ये विद्यालय शून्य हैं. कई विद्यालयों के चौथी से छठे तक के विद्यार्थी सौ तक गिनती भी नहीं जानते. पहाड़ा का नाम भी नहीं सुने हैं.कहां-कहां है विद्यालयजिले में दो उच्च विद्यालय क्रमश: महुआडांड़ एवं गारू प्रखंड में अवस्थित हैं. जबकि डोमाखांड़, छिपादोहर एवं हेरेहास में मध्य विद्यालय है. होटवाग, हड़गढ़वा, औराटांड़, कुटमू, नेतरहाट, बालूमाथ तथा बनियो में प्राथमिक आवासीय अनुसूचित जाति आवासीय विद्यालय संचालित है. सिर्फ एक गारू प्रखंड में प्राथमिक बालिका आवासीय विद्यालय है. इन विद्यालयों का संचालन उप निदेशक कल्याण विभाग पलामू द्वारा होता है.भोजन की गुणवत्ता ठीक नहींइन विद्यालयों में बच्चों को निम्न स्तर का भोजन दिया जाता है. बच्चों का कहना है कि कभी-कभार मेनु के मुताबिक खाना मिलता है. कभी दाल मिलती है, तो सब्जी नहीं, सब्जी मिलती है, तो दाल नहीं.आवंटन की कमी से परेशानीइस संबंध में कल्याण पदाधिकारी कार्यालय कर्मियों ने बताया कि आवंटन की कमी के कारण कभी-कभी परेशानी होती है.