एचएएल ने अपनायी हॉक एजेटी प्रौद्योगिकी
बेंगलुरु. हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने ब्रिटेन के ब्रिटिश एडवांस्ड जेट ट्रेनर ‘हॉक’ की प्रौद्योगिकी को पूरी तरह अपना लिया है. यह अगले 40 साल तक परियोजना को समर्थन देने में सक्षम होगी. एचएएल के चेयरमैन टी सुवर्ण राजू ने यह बात कही. एयरो इंडिया 2015 के दौरान एचएएल मंडप में एचएएल द्वारा भारतीय वायु […]
बेंगलुरु. हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने ब्रिटेन के ब्रिटिश एडवांस्ड जेट ट्रेनर ‘हॉक’ की प्रौद्योगिकी को पूरी तरह अपना लिया है. यह अगले 40 साल तक परियोजना को समर्थन देने में सक्षम होगी. एचएएल के चेयरमैन टी सुवर्ण राजू ने यह बात कही. एयरो इंडिया 2015 के दौरान एचएएल मंडप में एचएएल द्वारा भारतीय वायु सेना को 75वां हॉक विमान सौंपे जाने के मौके पर उन्होंने यह बात कही. शहर के बाहरी इलाके स्थित येलाहंका एयर बेस में इस शो का आयोजन किया जा रहा है.एचएएल की विनिर्माण सुविधा में इस विमान का उत्पादन बीएइएस ब्रिटेन से प्राप्त लाइसेंस के तहत किया जा है. एचएएल विनिर्मित पहला विमान अगस्त 2008 में भारतीय वायु सेना को सौंपा गया था. हॉक की सुपुर्दगी के इस समारोह के बाद एचएएल द्वारा जारी एक बयान में एयर मार्शल रमेश राय के हवाले से कहा गया कि हॉक भारतीय वायु सेना की सेवा में अहम् भूमिका निभाता रहा है. इसने 70,000 घंटे से अधिक की उड़ान भरी है. एचएएल ने कहा कि हॉक-132 एक एडवांस्ड जेट ट्रेनर है, जिसमें दो सीट होतीं हैं. यह हथियारों को लेकर चलने के साथ अत्याधुनिक उडान प्रशिक्षण उपलब्ध कराता है.