नयी दिल्ली. शिशु लिंग अनुपात में निरंतर कमी को अत्यंत चिंता का विषय बताते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को कहा कि सरकार ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की शुरुआत की है जो लोगों की सोच में बदलाव लाने के लिए है ताकि वे बेटियों के जन्म पर भी हर्षित हों. सोमवार से शुरू हुए बजट सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में कहा, ‘ सन 1961 से ही शिशु लिंग अनुपात में निरंतर कमी होना अत्यंत चिंता का विषय है. इस चलन को बदलना होगा. बेटियों के जीवन, सुरक्षा एवं शिक्षा को सुनिश्चित करने के लिए मेरी सरकार ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की शुरुआत की है जो लोगों की सोच में बदलाव लाने के लिए है ताकि वे बेटियों के जन्म पर भी हर्षित हों.’ उन्होंने कहा, ‘ बेटियों की शिक्षा को प्रभावी बनाने के लिए सुकन्या समृद्धि खाता नामक एक लघु बचत योजना अधिसूचित की गयी है.’ मुखर्जी ने कहा कि सरकार ने महिलाओं की गरिमा की रक्षा और उन्हें सशक्त बनाने के लिए भी अनेक कदम उठाये हैं. हिंसा पीडि़त महिलाओं को पूर्ण सहायता देने के लिए समन्वित सेवाओं का प्रावधान करने के उद्देश्य से प्रत्येक राज्य में ‘वन स्टाप क्राइसिस सेंटर’ की स्थापना की जा रही है जिसमें चिकित्सा, पुलिस सहायता, अस्थायी आश्रय तथा कानूनी एवं मनोवैज्ञानिक परामर्श शामिल हैं.
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बेटियों के जन्म पर खुश हों लोग, लायें ऐसा बदलाव
नयी दिल्ली. शिशु लिंग अनुपात में निरंतर कमी को अत्यंत चिंता का विषय बताते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को कहा कि सरकार ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की शुरुआत की है जो लोगों की सोच में बदलाव लाने के लिए है ताकि वे बेटियों के जन्म पर भी हर्षित हों. सोमवार से […]
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