गड़बड़ी की जांच शुरू

रांची : बच्चों को नि:शुल्क पाठय़ पुस्तक वितरण के टेंडर में गड़बड़ी की जांच शुरू हो गयी है. वर्ष 2013-14 में नि:शुल्क किताब वितरण के टेंडर में हुई गड़बड़ी की जांच के लिए सरकार ने विकास आयुक्त की अध्यक्षता में चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया था. झारखंड शिक्षा परियोजना ने वर्ष 2013-14 के किताब […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 25, 2015 5:24 AM
रांची : बच्चों को नि:शुल्क पाठय़ पुस्तक वितरण के टेंडर में गड़बड़ी की जांच शुरू हो गयी है. वर्ष 2013-14 में नि:शुल्क किताब वितरण के टेंडर में हुई गड़बड़ी की जांच के लिए सरकार ने विकास आयुक्त की अध्यक्षता में चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया था. झारखंड शिक्षा परियोजना ने वर्ष 2013-14 के किताब टेंडर की फाइल जांच कमेटी को सौंप दी है.
26 फरवरी को कमेटी की पहली बैठक होने की संभावना है. वर्ष 2013-14 में 55 लाख सेट किताबें छपवायी गयी थी. किताब छपाई पर लगभग 99 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. इससे पूर्व किताब छपाई पर इतनी अधिक लागत कभी नहीं आयी थी. आरोप है कि शैक्षणिक सत्र 2013-14 में पुस्तक छपवाने के लिए प्रकाशित निविदा में कई अतार्किक व गलत शर्त जोड़े गये थे. टेंडर की शर्त में बदलाव एक पेपर मिल या उसके अधिकृत विक्रेता को गलत तरीके से उसका एकाधिकार स्थापित करने के लिए किया गया था. टेंडर में शर्त लगायी गयी थी कि आवेदक के पास पेपर मिल या उसके अधिकृत विक्रेता द्वारा जारी इस बात का प्रमाणपत्र होना चाहिए कि वह निर्धारित समय सीमा में अनुसार कागज की आपूर्ति करेगा.
प्रमाण पत्र ऐसी कंपनी या अधिकृत विक्रेता द्वारा जारी किया जाना था जो पिछले दो वित्तीय वर्ष 2010-12 में सरकारी किताबों की छपाई के लिए प्रति वर्ष औसतन तीन हजार टन कागज की बिक्री कर चुका हो. टेंडर हासिल करने के लिए यह भी अनिवार्य किया गया था कि संबंधित कंपनी का दैनिक उत्पादन 300 एमटी हो. वित्तीय वर्ष 2011-12 में कंपनी के वाटर मार्क या लोगो से कम से कम पांच लाख एमटी सौ फीसदी बांस के कागज का उत्पादन कियागया हो.
केंद्र के निर्देश पर जांच
किताब टेंडर में गड़बड़ी की शिकायत भारत सरकार को भी मिली थी. भारत सरकार ने किताब टेंडर की गड़बड़ी के संबंध में झारखंड शिक्षा परियोजना से रिपोर्ट भी मांगी थी. भारत सरकार ने टेंडर गड़बड़ी की जांच पूरी होने तक प्रकाशकों के राशि भुगतान पर रोक लगा दी थी. उल्लेखनीय है कि किताब छपाई की लागत की 65 फसदी राशि भारत सरकार द्वारा दी जाती है. इसके बाद राज्य सरकार ने मामले की जांच करने का निर्णय लिया. जांच के लिए विकास आयुक्त की अध्यक्षता में चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है.

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