धनबाद में आरएसएस का एकल संगम, बोले मोहन भागवत धर्म स्थलों को ठीक करना है

धनबाद: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सर संचालक मोहन भागवत ने कहा है कि मंदिर, धर्मस्थल को हमें ठीक करना है. जो काम आगे करना है, उस पर विचार करना चाहिए. देश की संस्कृति रीति-नीति को मानना चाहिए. सबको स्वीकार करना हमारी नीति है. भविष्य में हमें स्वरूप बदल कर काम करना पड़ सकता है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 3, 2015 12:51 AM
धनबाद: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सर संचालक मोहन भागवत ने कहा है कि मंदिर, धर्मस्थल को हमें ठीक करना है. जो काम आगे करना है, उस पर विचार करना चाहिए. देश की संस्कृति रीति-नीति को मानना चाहिए. सबको स्वीकार करना हमारी नीति है. भविष्य में हमें स्वरूप बदल कर काम करना पड़ सकता है. अब तक के परिणाम अच्छे हैं, यह सोच कर काम नहीं चलेगा. हर्ष करो, गर्व न करो. मोहन भागवत सोमवार को धनबाद में मदन बाबू नगर (गोल्फ ग्राउंड) टाउन हॉल में आरएसएस के परिणाम कुंभ के दूसरे दिन एकल संगम के उदघाटन में बोल रहे थे. इस दौरान मुख्यमंत्री रघुवर दास भी मौजूद थे. स्वयं सेवकों के साथ मंच के सामने बैठे थे.
असली कार्यकर्ता असुविधा में : उन्होंने कहा : असली कार्यकर्ता असुविधा में काम करते हैं. जो सुविधाभोगी कार्यकर्ता हैं, वे काम नहीं करते. संघ प्रमुख ने कहा कि हमें क्या करना है, इसका ध्यान रखना चाहिए़.
सामथ्र्य से बदली है स्थिति : उन्होंने कहा : भारत में धनपतियों की कमी नहीं रही. लेकिन महाराणा प्रताप को दान देने के लिए नाम भामाशाह का हुआ़ जो काम किया है, उसका चिंतन करें. काम हमलोगों ने किया है, इस कारण यहां पहुंचे हैं़ सामथ्र्य और पुरुषार्थ के कारण स्थिति बदली है.जो विधिवत नहीं, समाज उसे स्वीकार नहीं करता. जो विधि से नहीं चलते, वे अराजक होते हैं.
बदलनी पड़ सकती है रणनीति
मोहन भागवत ने कहा : परिणाम कुंभ में 25 वर्षो के कार्यो की समीक्षा करेंगे. कार्य आगे कैसे बढ़े, इस पर विचार करेंगे. रणनीति बदलनी पड़ सकती है. सिंहावलोकन कर देखेंगे कि कैसी राह चल कर आये, कैसे रास्ते पर चलेंग़े आगे काम में अनुकूलता-प्रतिकूलता आयेगी. राह कैसी थी, इस पर नहीं सोचना़ राह में जो अनुभव मिलें, इसे स्मरण रखना है़ 25 वर्षो में जो अच्छा मिला, उसे आगे बढ़ाना है़ जिस कारण से ठोकर लगी, उस पर विचार करना है़.

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