रांची: बिहार स्पंज आयरन कंपनी बंद होने पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उद्योग विभाग से पूरी स्थिति की जानकारी मांगी थी. विभाग द्वारा मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को बिहार स्पंज मामले में विस्तृत रिपोर्ट भेज दी गयी है. रिपोर्ट में लिखा गया है कि बिहार स्पंज आयरन कंपनी ने जिस प्रक्रिया के तहत कंपनी अचानक बंद कर दी है, गलत है. बंद करने के पूर्व श्रम एवं नियोजन विभाग से अनुमति ली जानी चाहिए थी. यह भी जिक्र है कि सीसीएल द्वारा कोल लिंकेज बंद करने से कंपनी ने कारखाना बंद कर दिया है.
गौरतलब है कि नौ अगस्त 2013 को चांडिल स्थित बिहार स्पंज आयरन कंपनी ने अचानक कारखाने को बंद कर दिया. इस कारण 1365 स्थायी कर्मचारी व 10 हजार ठेका मजदूरों के समक्ष बेरोजगारी का संकट मंडरा रहा है.
इस मामले में बिहार स्पंज आयरन वर्कर्स यूनियन के सचिव योगेश्वर बेसरा ने मुख्यमंत्री को पत्र भेज कर हस्तक्षेप करने की मांग की थी. उधर, उद्योग विभाग ने भी कंपनी को इ-मेल कर स्ष्टकीरण मांगा है.
32.5 करोड़ का सॉफ्ट लोन दे चुकी है सरकार
रिपोर्ट में जिक्र है कि बिहार स्पंज आयरन चांडिल मोदी ग्रुप की कंपनी है. इसकी क्षमता डेढ़ लाख टन प्रतिवर्ष है. 19.12.1996 को बीआइएफआर द्वारा कंपनी को रुग्ण घोषित किया गया. इसके बाद आइएफसीआइ ऑपरेटिंग एजेंसी द्वारा एक ड्राफ्ट रिहैबिलिटेशन स्कीम तैयार की गयी. रिपोर्ट के मुताबिक 25.5.2004 को मंत्रिपरिषद ने 32.5 करोड़ रुपये सॉफ्ट लोन दिये जाने पर सहमति दी. इसमें आठ प्रतिशत वार्षिक चक्रवृद्धि ब्याज के साथ मूल की वापसी करनी थी. इसके तहत जुलाई 2006 से जुलाई 2011 के बीच प्रत्येक वर्ष पांच करोड़ 42 लाख 50 हजार रुपये वापस करने थे. इस लोन के विरुद्ध कंपनी द्वारा 12.7.2005 को 2.6 करोड़, 2.8.2007 को 0.2 करोड़ और 27.10.2007 को 0.40 करोड़ कुल 3.20 करोड़ रुपये ही लौटाये गये.
राशि नहीं लौटाने पर आयाडा ने केस किया
कंपनी द्वारा ऋण एवं सूद का भुगतान न किये जाने पर आयाडा द्वारा सर्टिफिकेट केस दायकर किया गया था. जिसके खिलाफ कंपनी द्वारा हाईकोर्ट में केस दायर किया गया है. मामला कोर्ट में लंबित है.
सीसीएल ने कोयला बंद किया और कंपनी ने कारखाना
उद्योग विभाग द्वारा जिक्र किया गया है कि पिछले पांच-छह माह से सीसीएल द्वारा कोल लिंकेज बंद कर दिया गया है. इस कारण कंपनी ने कारखाने को बंद कर दिया. कंपनी के एक अधिकारी ने भी बताया कि बिना कोयला कैसे उत्पादन हो सकता है. कंपनी को लातेहार में मकरकुंडा कोल ब्लॉक आवंटित है, पर इसे डेवलप न किये जाने से आइएमजी ने इसे रद्द करने की अनुशंसा की है. इसके खिलाफ कंपनी ने हाइकोर्ट में केस दायर किया है. दूसरी ओर सीसीएल की पॉलिसी के तहत कोल ब्लॉक आवंटित कंपनियों को कोल लिंकेज नहीं दिया जा सकता. इसी पॉलिसी के तहत सीसीएल ने फरवरी 2013 से कोयले की आपूर्ति बंद कर दी. परिणामस्वरूप कपंनी ने पूरा शट डाउन ही कर दिया.