पांच एकड़ जमीन नहीं मिली रिजर्व बैंक को

विडंबना. सीएम ने एक माह पहले दिया था भूमि उपलब्ध कराने का आश्वासन, पर रांची : झारखंड में रिजर्व बैंक की शाखा खुले सात साल से ज्यादा हो गये हैं, लेकिन भवन के लिए जमीन नहीं मिल पायी है. इससे बैंकिंग कार्य प्रभावित हो रहा है. अभी भी पटना स्थित रिजर्व बैंक के कार्यालय के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 8, 2015 5:35 AM
विडंबना. सीएम ने एक माह पहले दिया था भूमि उपलब्ध कराने का आश्वासन, पर
रांची : झारखंड में रिजर्व बैंक की शाखा खुले सात साल से ज्यादा हो गये हैं, लेकिन भवन के लिए जमीन नहीं मिल पायी है. इससे बैंकिंग कार्य प्रभावित हो रहा है. अभी भी पटना स्थित रिजर्व बैंक के कार्यालय के अधीन ही झारखंड के बैंकों को काम करना पड़ रहा है. एक माह पहले मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी रिजर्व बैंक को जल्द भूमि उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया था. लेकिन अब तक इस दिशा में कोई कदम उठाया गया है.
पूर्ण शाखा नहीं होने से बैंकों को नयी शाखा के लिए लाइसेंस हो या सिक्कों की जरूरत, कटे-फटे नोट बदलना हो या बैंकों की लोकपाल से शिकायत, सभी के लिए पटना कार्यालय पर निर्भर रहना पड़ रहा है. इसके साथ ही चिटफंड कंपनियों की शिकायतें भी नहीं हो पाती हैं. इनके अलावा मोबाइल बैंकिंग, इ-बैंकिंग से संबंधित परेशानी के समाधान के लिए भी पटना कार्यालय की ओर देखना पड़ता है.
राज्य में एक ही विभाग कार्यरत
झारखंड में नवंबर 2007 से रिजर्व बैंक की एक इकाई वित्तीय समायोजन व विकास विभाग ही कार्यरत है. यह कार्यालय आरआरडीए की बिल्डिंग में चल रहा है. रिजर्व बैंक ने राज्य में पूर्ण शाखा के लिए काफी पहले ही सरकार को आवेदन दिया था. सरकार को बैंक के कार्यालय के लिए भूमि उपलब्ध कराना है, लेकिन इस क्षेत्र में कोई प्रगति नहीं हुई है. जानकारी के अनुसार, एचइसी क्षेत्र में सरकार द्वारा अधिग्रहित भूमि पर पांच एकड़ का स्थान बैंक ने मांगा था, लेकिन यह मामला लटका हुआ है. अब बैंक को बताया गया है कि न्यू कैपिटल एरिया डेवलप हो रहा है, वहीं जमीन मिलेगी. लेकिन कब? स्थिति स्पष्ट नहीं है. झारखंड के साथ ही अलग हुए दो अन्य राज्य (उत्तराखंड व छत्तीसगढ़ ) में रिजर्व बैंक का काम शुरू भी हो गया है. रिजर्व बैंक का पूर्ण कार्यालय राज्य में होता, तो आम लोगों के साथ ही सरकार को भी लाभ होता.
नोट व सिक्कों की समस्या दूर होगी
रिजर्व बैंक की पूर्ण शाखा बनने के बाद यहां करेंसी चेस्ट रहेगी. अभी बैंक सामान्यत: पुराने नोट लेने में आनाकानी करते हैं. नियमत: उन्हें ये नोट लेने चाहिए. बैंकों को परिचालन से हट गये नोटों को रिजर्व बैंक भेज कर नये नोटमंगाने होते हैं. अभी इसके लिए नोट पटना भेजना होता है. बैंक काफी समय तक नोटों को जमा कर एक साथ पटना भेजता है.
यहां आरबीआइ की शाखा खुलने के साथ ही इस समस्या से बचा जा सकेगा. इसी तरह सिक्कों की कमी का रोना भी नहीं रहेगा. लोगों के इंटरसिटी व इंटर स्टेट चेक क्लियरेंस में भी तेजी आयेगी. बैंकिंग लोकपाल की नियुक्ति होगी, जिससे आम लोगों की समस्याओं व शिकायतों को तवज्जो मिलेगी. जहां-तहां नोट बदली करने की दुकानें बंद होंगी और लोग ठगने से बचेंगे. अभी बैंकिंग लोकपाल पटना में बैठते हैं. वहीं से शिकायतों का निबटारा किया जा रहा है.
जमीन नहीं मिलने से 11 गोदामों का काम लंबित
रांची : जमीन नहीं मिलने की वजह से रांची जिले में 11 गोदामों का निर्माण कार्य लंबित है. वर्ष 2009 से लेकर वर्ष 2013 तक 28 गोदाम बनाये जाने थे, लेकिन अब तक मात्र 17 गोदाम ही बन पाये हैं. वहीं 13 पुराने गोदामों की स्थिति खराब है, जिसे मरम्मत कराने की आवश्यकता है. आंकड़ों पर गौर करें, तो पता चलता है कि वर्ष 2012-13 में सबसे अधिक आठ गोदामों का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका है. बताया जाता है कि अब राज्य में फूड सिक्यूरिटी एक्ट लागू किया जाना है. ऐसे में रांची जिले में पर्याप्त गोदामों की आवश्यकता है. लेकिन, अब तक गोदामों की संख्या आवश्यकता से कम है. बताया जाता है कि अनुभाजन क्षेत्र सहित कई प्रखंडों में 100 एमटी वाले 13 गोदामों की स्थिति जजर्र है, जबकि राज्य में खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू होना है. गोदामों की स्थिति यही रही, तो परेशानी बढ़ सकती है.
जमीन की सूची विभाग में
गोदाम बनाने के लिए जिला खाद्य आपूर्ति कार्यालय ने जमीन से संबंधित सारे दस्तावेज विभाग को भेज दिया है. 11 गोदाम जहां बनाये जा सकते हैं, उसके लिए जमीन चिह्न्ति कर उसकी सूची भी उपलब्ध करा दी गयी है.

Next Article

Exit mobile version