जेवर, बैंक खाता व नकदी बताने की बाध्यता खत्म की

बदल दिया अफसरों की संपत्ति की जानकारी देने का प्रोफॉर्मा शकील अख्तर रांची : राज्य सरकार ने राज्य प्रशासनिक सेवा व अन्य संवर्गो के अधिकारियों और कर्मचारियों की संपत्ति का ब्योरा देने संबंधी प्रपत्र (प्रॉपर्टी रिटर्न प्रोफॉर्मा) को बदल दिया है. इसके लिए कैबिनेट की सहमति भी नहीं ली गयी थी. बदले गये प्रपत्र में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 10, 2015 5:36 AM
बदल दिया अफसरों की संपत्ति की जानकारी देने का प्रोफॉर्मा
शकील अख्तर
रांची : राज्य सरकार ने राज्य प्रशासनिक सेवा व अन्य संवर्गो के अधिकारियों और कर्मचारियों की संपत्ति का ब्योरा देने संबंधी प्रपत्र (प्रॉपर्टी रिटर्न प्रोफॉर्मा) को बदल दिया है. इसके लिए कैबिनेट की सहमति भी नहीं ली गयी थी. बदले गये प्रपत्र में अब बैंक खाता, नकद राशि, जेवर सहित अन्य प्रकार की चल संपत्तियों का विशिष्ट ब्योरा देने की बाध्यता समाप्त कर दी गयी है.
यानी अधिकारियों और कर्मचारियों पर अपनी चल संपत्ति का विस्तृत ब्योरा देने की कोई बाध्यता नहीं होगी. इससे अधिकारी और कर्मचारी अपनी चल संपत्ति आसानी से छुपा सकते हैं.
पुराने प्रपत्र में थे चार हिस्से
राज्य प्रशासनिक सेवा और अन्य संवर्ग के अधिकारियों व कर्मचारियों को ‘ सरकारी सेवक आचार नियमावली ’ में निहित प्रावधानों के अनुसार अपने और आश्रितों की संपत्ति का ब्योरा देना आवश्यक है. राज्य में इसके लिए पहले एक प्रपत्र जारी किया गया था. इसमें कुल चार हिस्से थे. पहले हिस्से में अचल संपत्ति, दूसरे हिस्से में जेवर, गाड़ी व अन्य घरेलू उपकरण और तीसरे हिस्से में बैंक खाता, नकद राशि, सहित विभिन्न प्रकार के निवेश की जानकारी देने के लिए अलग-अलग कॉलम बने हुए थे. चौथे हिस्से में बैंक सहित अन्य संस्थाओं आदि से लिये गये कर्ज व देनदारी की जानकारी देने की बाध्यता थी.
नये प्रपत्र में सिर्फ दो हिस्से
राज्य सरकार ने 22 सितंबर 2014 को इस प्रपत्र को बदल दिया. इसके लिए कार्मिक सचिव संतोष शतपथी के हस्ताक्षर से आदेश और नया प्रपत्र जारी किया गया. नये प्रपत्र में सिर्फ दो हिस्से हैं. पहले हिस्से में अचल और दूसरे में चल संपत्ति का ब्योरा देने का प्रावधान किया गया है. इसमें बैंक खाता, नकद, जेवर, गाड़ी आदि की जानकारियों का कॉलम हटा दिया गया. सरकार की ओर से किये गये इस बदलाव की वजह से अब अचल संपत्ति की जानकारी देना संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों की मरजी पर निर्भर है.
बॉक्स में.
क्या है प्रावधान
सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए लागू ‘ सरकारी सेवक आचार नियमावली ’ के तहत सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों को हर साल अपनी संपत्ति का ब्योरा देना आवश्यक है. भ्रष्टाचार पर काबू पाने के लिए लोकपाल अधिनियम 2013 में मंत्रियों, विधायकों, सांसदों, अधिकारियों व कर्मचारियों से चल व अचल संपत्तियों की विस्तृत जानकारी लेने का प्रावधान है. इसके लिए प्रपत्र भी तैयार किया गया है. संपत्ति के इस ब्योरे को सार्वजनिक करने का प्रावधान किया गया है. ऐसा करना केंद्र व राज्य सरकारों के लिए बाध्यकारी है. उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश की संपत्ति का ब्योरा भी इसी नियम के तहत सार्वजनिक किया जाता है.
झारखंड में ब्योरा सार्वजनिक नहीं, बिहार ने किया है
पड़ोसी राज्य बिहार ने अपने अधिकारियों व कर्मचारियों की संपत्ति का ब्योरा भी सार्वजनिक कर रखा है. पर, झारखंड सरकार ने अपने किसी भी कर्मचारी या अधिकारी की संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक नहीं किया है.
चल संपत्ति के प्रपत्र से क्या-क्या हटाये गये
1 सोना, चांदी, हीरा व अन्य कीमती पत्थरों के जेवर का ब्योरा
2 मोटर गाड़ी, स्कूटर,मोटरसाइकिल आदि का ब्योरा
3 घरेलू उपकरण ( वाशिंग मशीन, एसी, म्यूजिक सिस्टम) का ब्योरा
4 इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण ( क ंप्यूटर लैप टॉप आदि) का ब्योरा
5 कृषि कार्य के उपकरण (ट्रैक्टर आदि)
6 नकद राशि का ब्योरा
7 बैंक खाते व जमा राशि का ब्योरा
8 बैंकों में सभी प्रकार की जमा राशि (फिक्स्ड व टर्म डिपोजिट ) का ब्योरा
9 एनएसी सहित अन्य बचत पत्र
10 बांड, शेयर, डिवेंचर, म्यूचुअल फंड बीमा सहित अन्य निवेश
क्या होगा असर
अधिकारी व कर्मचारी अपनी चल संपत्ति का ब्योरा छुपा सकते हैं
भ्रष्टाचार पर अंकुश के प्रयास को लग सकता है झटका

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