झारखंड : हर दिन चार लोग कर रहे आत्महत्या

झारखंड में हाल के दिनों में आत्महत्या करनेवालों की संख्या बढ़ती जा रही है. इनमें शादी-शुदा लोग अधिक हैं. परीक्षा का मौसम आते ही छात्र-छात्राओं में भी आत्महत्या करने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है. खबर छापने का मकसद निराश और हताश लोगों को ऐसी प्रवृत्ति और बेवजह परेशानी से बचाना है. रांची : झारखंड में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 13, 2015 5:35 AM
झारखंड में हाल के दिनों में आत्महत्या करनेवालों की संख्या बढ़ती जा रही है. इनमें शादी-शुदा लोग अधिक हैं. परीक्षा का मौसम आते ही छात्र-छात्राओं में भी आत्महत्या करने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है. खबर छापने का मकसद निराश और हताश लोगों को ऐसी प्रवृत्ति और बेवजह परेशानी से बचाना है.
रांची : झारखंड में औसतन प्रतिदिन चार लोग आत्महत्या कर रहे हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्डस ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2014 में राज्य में कुल 1460 लोगों ने आत्महत्या की थी. इनमें 984 पुरुष और 476 महिलाएं शामिल थे. वर्ष 2013 में झारखंड में आत्महत्या करनेवालों की संख्या 1319 थी. इससे स्पष्ट है कि राज्य में हर साल आत्महत्या करनेवालों की संख्या बढ़ रही है. इसके विपरीत देश में घट रही है. 2013 में देश भर में 135445 लोगों ने आत्महत्या की थी, जबकि 2014 में 134799 लोगों ने.
पारिवारिक कारण सबसे अधिक : एनसीआरबी की 2013 की रिपोर्ट के अनुसार, सबसे अधिक 180 लोगों (12.3%) ने पारिवारिक कारणों से आत्महत्या की. 98 (6.7%) लोगों ने प्रेम में आत्महत्या की. इसी तरह अवैध संबंध व नशे के कारण क्रमश: 60 (4.1%) व 78 (4.6%) लोगों ने आत्महत्या की थी.
घरेलू महिलाओं की संख्या अधिक : आत्महत्या करनेवालों की पेशे की बात करें, तो सबसे अधिक 193 (13.2%) घरेलू महिला थी. करीब 150 छात्रों (10.3%) ने आत्महत्या की. आत्महत्या करनेवालों में 139 (9.5%) बेरोजगार थे. अब सामाजिक स्थिति पर गौर करें, तो पता चलता है कि आत्महत्या करनेवालों में सबसे अधिक शादी-शुदा लोग हैं. 2014 में 790 शादीशुदा लोगों (54.1 प्रतिशत) ने आत्महत्या की. वहीं, अविवाहितों की संख्या 509 (34.9 प्रतिशत) थी.
15 से 29 वर्ष की उम्रवालों की संख्या ज्यादा
इनसान आत्महत्या तभी करता है, जब वह पूरी तरह हताश हो चुका होता है. उसे लगता है कि उसका जीवन व्यर्थ है. 15 से 18 तक की उम्रवाले किशोर सपने और हकीकत में फर्क नहीं कर पाते हैं. जब उनका सपना टूटता है और वे कुंठा, डिप्रेशन जैसी स्थितियों से गुजरते हैं, तो आत्महत्या की ओर प्रवृत्त होते हैं. वयस्क आदमी (25 से 45 वर्ष उम्र) अपने काम, पारिवारिक कारणों की वजह से आत्महत्या करते हैं. व्यक्ति को जब निराशा व हताशा की स्थिति में घर से सपोर्ट नहीं मिलता, तब उसे अपनी जिंदगी बेकार लगती है और वह आत्महत्या का रास्ता चुनता है.
डॉ केएस सेंगर, मनोचिकित्सक रिनपास
तो फोन करें
हेल्पलाइन नंबर
0651-2451058 (रिनपास)
रिनपास के निदेशक डॉ अमूल रंजन सिंह ने बताया कि वर्तमान में इस नंबर पर परीक्षा से परेशान छात्र और प्रेम की वजह से परेशान युवक-युवतियों के फोन अधिक आ रहे हैं. सभी तनाव की बातें कहते हैं. रिनपास के चिकित्सक व काउंसलर उनके मानसिक तनाव को कम करने के उपाय बताते हैं.

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