छोटी-छोटी बात पर युवा गंवा रहे अपनी जान, गत वर्ष 199 लोगों ने मानी जिंदगी से हार

झारखंड में हाल के दिनों में आत्महत्या करनेवालों की संख्या बढ़ी है. इनमें शादी-शुदा लोग अधिक हैं. परीक्षा का समय आते ही छात्र-छात्रओं में भी आत्महत्या करने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है. खबर छापने का मकसद निराश और हताश लोगों को ऐसी प्रवृत्ति और बेवजह परेशानी से बचाना है. त्रिलोचन सिंह जमशेदपुर : जीवन से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 16, 2015 5:52 AM
झारखंड में हाल के दिनों में आत्महत्या करनेवालों की संख्या बढ़ी है. इनमें शादी-शुदा लोग अधिक हैं. परीक्षा का समय आते ही छात्र-छात्रओं में भी आत्महत्या करने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है. खबर छापने का मकसद निराश और हताश लोगों को ऐसी प्रवृत्ति और बेवजह परेशानी से बचाना है.
त्रिलोचन सिंह
जमशेदपुर : जीवन से हताश होकर आत्महत्या करने की प्रवृत्ति लौह नगरी में तेजी से बढ़ी है. इसके कई कारण बताये जा रहे हैं. जीवन शैली में तेजी से आ रहा बदलाव, संयुक्त परिवार में बिखराव, व्यस्तता की वजह से परिवार में माता-पिता का बच्चों के लिए समय नहीं निकाल पाना, प्रतिस्पर्धा के दौर में बच्चों का पिछड़ना, सहन शक्ति का अभाव आदि आत्महत्या के मुख्य कारण के रूप में सामने आ रहे हैं.
आज की युवा पीढ़ी हर हाल में अपनी ख्वाइश पूरी करना चाहती है. यदि इसमें किसी तरह का व्यवधान उत्पन्न होता है या मुश्किलें पेश आती हैं, तो वे तनावग्रस्त हो जाते हैं. समस्या का समाधान नहीं ढूंढ़ पाने और उचित मार्ग दर्शन के अभाव में वे आत्महत्या का रास्ता अपना लेते हैं. कुछ मामलों में आर्थिक असमानता, बेरोजगारी भी आत्महत्या का कारण बन रहे हैं. आत्महत्या करने वालों में अधिकतर की उम्र 15 से 22 वर्ष के बीच की होती है. वर्ष 2014 में शहर में 199 लोगों ने आत्महत्या की. इनमें 50 छात्र-छात्रएं थे. वर्ष 2015 में मार्च तक 26 लोगों में से 11 युवाओं ने आत्महत्या की.
पिछले वर्ष 550 लोगों ने की थी काउंसलिंग
जीवन संस्था द्वारा पिछले वर्ष 550 लोगों की काउंसलिंग की गयी थी तथा उनमें जीवन के प्रति सकारात्मक भाव पैदा किया गया था. यह आंकड़ा दर्शाता है कि शहर के लोग किस कदर तनावग्रस्त हैं. संस्था द्वारा सुबह 10 बजे से लेकर शाम छह बजे तक लोगों की काउंसलिंग की जाती है.
पुलिस रिकॉर्ड में आत्महत्या का कारण
पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज आंकड़ों के मुताबिक अभिभावकों ने जो आत्महत्या के कारण बताये हैं, उनमें परीक्षा में फेल होना, इच्छा की पूर्ति नहीं होना, बेरोजगारी समेत कुछ निजी कारण शामिल हैं.
संस्थाएं चलाती है अभियान
टाटा स्टील, जीवन, सेफ और आशा जैसी संस्थाओं की ओर से समय-समय पर स्कूल व कॉलेजों में आत्महत्या की प्रवृत्ति को कम करने के लिए शहर में अभियान चलाया जाता है.
तनावग्रस्त लोगों के लिए हेल्पलाइन नंबर
तनावग्रस्त लोगों की मदद के लिए जीवन संस्था ने हेल्पलाइन नंबर- 0657-6555-555, 6453841 जारी किया है.जिंदगी से कभी हार नहीं माननी चाहिए. यदि समस्याएं हैं, तो उसका समाधान भी है. आत्महत्या रोकने के लिए जागरूकता के साथ-साथ मनोचिकित्सक से मिल कर अपनी समस्याएं रखनी चाहिए. हालांकि लोगों में इस ओर जागरूकता बढ़ी है, लेकिन इसे अभियान के रूप में लेना चाहिए.
डॉ दीपक गिरी, मनोचिकित्सक, एमजीएम जमशेदपुर

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