कहीं 15, तो कहीं तीन वर्ष रहने पर कहलाते हैं स्थानीय
झारखंड गठन के साथ ही यहां स्थानीयता नीति बनाने की मांग उठने लगी थी, पर दुर्भाग्य है कि राज्य गठन के 14 साल बाद भी झारखंड की अपनी स्थानीयता नीति नहीं बन सकी. इसका खमियाजा यहां के युवा भुगत रहे हैं. स्पष्ट स्थानीयता नीति के अभाव में दूसरे राज्य के लोग यहां नौकरी लेने में […]
झारखंड गठन के साथ ही यहां स्थानीयता नीति बनाने की मांग उठने लगी थी, पर दुर्भाग्य है कि राज्य गठन के 14 साल बाद भी झारखंड की अपनी स्थानीयता नीति नहीं बन सकी. इसका खमियाजा यहां के युवा भुगत रहे हैं. स्पष्ट स्थानीयता नीति के अभाव में दूसरे राज्य के लोग यहां नौकरी लेने में सफल होते रहे हैं.
खुद राजनीतिक दल भी लगातार यह बात कहते रहे हैं, पर इसे लेकर सत्ता में रहते किसी भी दल ने ठोस कदम नहीं उठाया. अब राज्य की नयी सरकार इस मुद्दे को लेकर गंभीर दिख रही है. सरकार ने विधानसभा में घोषणा की है कि दो माह के अंदर राज्य की स्थानीयता नीति घोषित कर दी जायेगी.
चलते सत्र में ही इस पर सर्वदलीय बैठक बुलाने की बात भी कही गयी है. इसे देखते हुए प्रभात खबर कैसी हो हमारी स्थानीयता नीति श्रृंखला की शुरुआत कर रहा है. इसमें हम आज अन्य राज्यों की स्थानीयता नीति के बारे में बता रहे हैं. कैसी हो स्थानीय नीति, इस मुद्दे पर आप अपने विचार भी हमें मेल कर सकते हैं या फिर लिख कर भेज सकते हैं. हमारा पता है : सिटी डेस्क, प्रभात खबर, 15-पी, कोकर इंडस्ट्रीयल एरिया, रांची या फिर हमें मेल करें.
सुनील चौधरी
रांची : झारखंड में अबतक भले ही स्थानीय नीति नहीं बनी हो. पर देश के लगभग सभी राज्यों की अपनी स्थानीयता नीति है. स्थानीयता प्रमाण पत्र के आधार पर व्यक्ति उस राज्य में शिक्षा या सरकारी नौकरी हासिल कर सकता है. किसी राज्य में स्थानीयता प्रमाण पत्र हासिल करने की योग्यता कम से कम 15 वर्ष रखी गयी है, तो कहीं तीन वर्ष. छत्तीसगढ़ में कोई व्यक्ति यदि पांच वर्ष से व्यवसाय कर रहा है, तो उसे स्थानीय माना जाता है. महिला के मामले में छत्तीसगढ़, बिहार में समानता है.
दूसरे राज्य की महिला हो और उसका विवाह राज्य के स्थायी निवासी के साथ हुआ हो तो वह भी स्थानीय मानी जायेंगी. कई राज्यों में ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत, वार्ड सदस्य, एमपी, एमएलए या राजपत्रित पदाधिकारी के प्रमाण पत्र को भी आधार माना गया है. वहीं छत्तीसगढ़, बिहार, यूपी, उत्तराखंड, प. बंगाल में स्कूल के प्रमाण पत्र को भी आधार माना गया है.
छत्तीसगढ़
व्यक्ति यदि छत्तीसगढ़ में जन्म लिया हो
व्यक्ति या उसके माता-पिता छत्तीसगढ़ में राज्य गठन से 15 वर्षो से रह रहे हों.
माता-पिता केंद्र या राज्य सरकार की नौकरी के दौरान छत्तीसगढ़ के किसी जिले में पदस्थापित रहे हों या सेवानिवृत्त हो चुके हों.
व्यक्ति या उसके माता-पिता का छत्तीसगढ़ में पिछले पांच वर्षो से अचल संपत्ति, उद्योग, कृषि या अन्य कोई व्यवसाय हो.
व्यक्ति ने कम से कम तीन वर्षो तक छत्तीसगढ़ में पढ़ाई की हो.
व्यक्ति जिसने कोई भी एक परीक्षा उच्च शिक्षा, कक्षा आठ, कक्षा चार या कक्षा पांच छत्तीसगढ़ से पास की हो.
कोई महिला भले ही राज्य की ना हो, पर यदि उसका विवाह राज्य के स्थायी निवासी के साथ हुआ हो तो वह डोमसाइल प्रमाण पत्र हासिल कर सकती है.
उत्तरप्रदेश
राज्य का स्थायी निवासी हो या कम से कम तीन वर्षो राज्य में स्थायी रूप से निवास कर रहा हो.
राज्य के निवासी हैं पर नौकरी दूसरे राज्य में कर रहे हैं, तो उन्हें नियोक्ता का प्रमाण पत्र देना होगा
ग्राम पंचायत या अध्यक्ष नगर निगम द्वारा भी स्थायी निवासी होने का प्रमाण पत्र मान्य होगा.
राज्य सरकार द्वारा निर्गत राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आइडी, पासपोर्ट, पैन कार्ड, गृह कर, जल कर या बिजली बिल को भी स्थानीय होने के सबूत के रूप में माना जायेगा.
राजपत्रित पदाधिकारी, एपी, एमएलए, जिला पर्षद अध्यक्ष, नगर पंचायत अध्यक्ष या राष्ट्रीयकृत बैंक के ब्रांच मैनेजर द्वारा अभिप्रमाणित प्रति देना होगा.
बिहार
व्यक्ति या माता-पिता का बिहार में जमीन हो.
बिहार के स्कूल से पढ़े होने का प्रमाण पत्र हो
पिछले 10 वर्षो से बिहार राज्य में स्थायी रूप से निवास कर रहे हों
बिहार राज्य के निवासी हैं, इसे साबित करने के लिए वोटर आइडी, पासपोर्ट, राशन कार्ड या अन्य वैध दस्तावेज पेश करना होगा.
कोई महिला भले ही राज्य की ना हो, पर यदि उसका विवाह राज्य के स्थायी निवासी के साथ हुआ हो .
उत्तराखंड
राज्य में स्थायी आवास हो.
राज्य में पिछले 15 वर्षो से रहता हो.
राज्य का स्थायी निवासी हो पर कमाने के लिए दूसरे राज्य में है तब भी डोमेसाइल प्रमाण पत्र के हकदार होंगे.
परिवार का निबंधन राज्य में हुआ हो या ग्राम प्रधान अथवा वार्ड सदस्य द्वारा निवासी होने का प्रमाण पत्र दिया गया हो.
हाई स्कूल, इंटरमीडिएट या उच्च शिक्षा का प्रमाण पत्र राज्य के संस्थानों से हों.
पश्चिम बंगाल
30.12.2014 से 10 वर्ष पहले से राज्य में रह रहे हों, इसका प्रमाण पत्र देना होगा.
एसडीओ द्वारा दिया गया आवासीय प्रमाण पत्र हो.
ग्राम पंचायत प्रधान, एमएलए या एमपी द्वारा राज्य का निवासी होने का प्रमाण पत्र दिया गया हो.
जमीन की खतियानी हो.
किराया में हैं तो रेंट रसीद या लैंड डीड की प्रति हो.
ओड़िशा
पिछले 10 वर्षो से राज्य में स्थायी रूप से रहते हों.
स्थानीयता की जांच के लिए जिले तहसीलदार द्वारा अधिकृत व्यक्ति की जांच रिपोर्ट हो.
राज्य के किसी हिस्से में व्यक्ति या माता-पिता के नाम से जमीन हो.
जमीन का पट्टा दिखाने पर भी मिल सकता है.
स्थानीय रेवेन्यू इंस्पेक्टर की रिपोर्ट में नाम हो.
राज्य के स्कूल का प्रमाण पत्र होना चाहिए.
जन्म प्रमाण पत्र राज्य सरकार द्वारा निर्गत हो.