ट्रेजरी में लगे सॉफ्टवेयर को धोखा देकर अग्रिम निकासी

रांची : सरकारी अधिकारी अब ट्रेजरी में लगे ‘सॉफ्टवेयर’ को धोखा देकर दूसरी बार अग्रिम निकासी कर रहे हैं. महालेखाकार ने सरकार को भेजे गये अपने पत्र में अधिकारियों द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे इस अनोखे तरीके का उल्लेख किया है. साथ ही इससे बड़े पैमाने पर सरकारी राशि के गबन की आशंका जतायी है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 21, 2015 6:00 AM
रांची : सरकारी अधिकारी अब ट्रेजरी में लगे ‘सॉफ्टवेयर’ को धोखा देकर दूसरी बार अग्रिम निकासी कर रहे हैं. महालेखाकार ने सरकार को भेजे गये अपने पत्र में अधिकारियों द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे इस अनोखे तरीके का उल्लेख किया है. साथ ही इससे बड़े पैमाने पर सरकारी राशि के गबन की आशंका जतायी है.
महालेखाकार (लेखा एवं हकदारी) मनोज सहाय ने इस सिलसिले में सरकार को पत्र लिखा है. इसमें कहा गया है कि वित्तीय गड़बड़ी से बचने के लिए ट्रेजरी में एक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जा रहा है.
इस सॉफ्टवेयर में ऐसी व्यवस्था की गयी है कि पहले के अग्रिम (एस बिल) के खर्च का हिसाब (डीसी बिल) दिये बिना दूसरी बार अग्रिम की निकासी नहीं की जा सकती है. पर, बिना खर्च का हिसाब दिये ही दूसरी बार अग्रिम निकासी करनेवालों ने इस सॉफ्टवेयर को धोखा देने का एक नायाब तरीका ढूंढ निकाला है. इसके तहत अब अग्रिम का हिसाब दिये बिना ही दूसरी बार अग्रिम निकासी के लिए तैयार प्रपत्र में ‘सबहेड’ बदल दिया जा रहा है. ऐसा करने से ट्रेजरी में लगा सॉफ्टवेयर धोखा खा जाता है और अग्रिम निकासी के प्रपत्र को स्वीकार कर लेता है.
महालेखाकार ने अग्रिम निकासी के लिए अपनाये जा रहे इस तरीके को अत्यधिक गंभीर बताते हुए पड़े पैमाने पर सरकारी राशि के गबन की आशंका जतायी है. साथ ही अब तक की अग्रिम निकासी और उसके खर्च का हिसाब नहीं देने का विस्तृत ब्योरा भी सरकार को उपलब्ध कराया है. इसमें यह कहा गया है कि राज्य गठन के समय नवंबर 2000 से फरवरी 2015 तक सरकार के विभिन्न विभागों ने पैसों की तत्काल आवश्यकता बता कर 15475.66 करोड़ रुपये की अग्रिम निकासी की. पर, अब तक सिर्फ 10480.62 करोड़ रुपये के ही खर्च का हिसाब दिया है.
सरकार के विभिन्न विभागों ने अब तक 4995.04 करोड़ रुपये के खर्च का हिसाब नहीं दिया है. 4995.04 करोड़ की इस राशि में से सिर्फ पांच विभागों ने अब तक 3051.11 करोड़ रुपये के खर्च का हिसाब नहीं दिया था. ग्रामीण विकास विभाग ने 1111.95 करोड़ रुपये की अग्रिम निकासी के खर्च का हिसाब नहीं दिया है. कल्याण विभाग ने 840.33 करोड़ रुपये की अग्रिम निकासी के खर्च का हिसाब नहीं दिया है. समाज कल्याण ने 472.80 करोड़, स्वास्थ्य विभाग ने 464.80 करोड़ और गृह विभाग ने 161.85 करोड़ रुपये की अग्रिम निकासी के खर्च का हिसाब अब तक नहीं दिया है.

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