चालीसा का पुण्यकाल – 34

फोटो लोगो क्रॉससोसाइटी ऑफ जीसस छोटानागपुर आनेवाले पहले जेसुइट पुरोहित फादर ऑगस्ट स्टॉकमैन थे. वे मिदनापुर से बैलगाड़ी से 25 नवंबर 1868 को चाईबासा पहुंचे. इसके बाद उन्होंने 10 जुलाई 1869 से वहां रहना शुरू किया. उनके कायार्ें की बदौलत आठ नवंबर 1873 को खूंटपानी में 24 वयस्क व चार बच्चों ने बपतिस्मा लेकर मसीही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 25, 2015 5:02 PM

फोटो लोगो क्रॉससोसाइटी ऑफ जीसस छोटानागपुर आनेवाले पहले जेसुइट पुरोहित फादर ऑगस्ट स्टॉकमैन थे. वे मिदनापुर से बैलगाड़ी से 25 नवंबर 1868 को चाईबासा पहुंचे. इसके बाद उन्होंने 10 जुलाई 1869 से वहां रहना शुरू किया. उनके कायार्ें की बदौलत आठ नवंबर 1873 को खूंटपानी में 24 वयस्क व चार बच्चों ने बपतिस्मा लेकर मसीही धर्म स्वीकार किया. इसके बाद जेसुइट फादर, कांस्टेंट लीवंस का आगमन 18 मार्च 1885 को डोरंडा में हुआ. उन्होंने 23 नवंबर 1885 को तोरपा में एक नये मिशन स्टेशन की शुरुआत की. अब तक मिशन कार्य मुख्यत: मुंडा आदिवासियों के बीच था, पर जल्द ही यह उरांव आदिवासियों के बीच भी फैलने लगा. मार्च 1887 में रांची का मनरेसा हाउस छोटानागपुर में कोलकाता मिशन का मुख्य केंद्र बन गया. 25 मई 1927 को रांची को कोलकाता आर्च डायसिस से अलग किया गया. 1932 में यहां के यीशु समाजियों के लिए एक स्वतंत्र प्रोविंस का निर्माण हुआ. इस सोसाइटी द्वारा संत एक्सआइएसएस, जेवियर इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटेक्निक एंड टेक्नोलॉजी (एक्सआइपीटी), संत जेवियर्स कॉलेज, संत जेवियर्स स्कूल, संत जॉन स्कूल, प्रभात तारा स्कूल व अन्य कई संस्थान चलाये जा रहे हैं.

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