राज्य गठन के पहले से रहने वाले सभी लोग स्थानीय (बहस)
मनीष जायसवालडोमिसाइल एक गंभीर मुद्दा है. इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. स्थानीयता को लोग अलग-अलग ढंग से परिभाषित कर रहे हैं. इसे लेकर सरकार ने 30 मार्च को सर्वदलीय बैठक बुलायी है. इस पर सभी दलों को एक मत होना चाहिए. जहां तक मेरा मानना है जैसे देश में रहने वाले सभी लोग भारतीय […]
मनीष जायसवालडोमिसाइल एक गंभीर मुद्दा है. इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. स्थानीयता को लोग अलग-अलग ढंग से परिभाषित कर रहे हैं. इसे लेकर सरकार ने 30 मार्च को सर्वदलीय बैठक बुलायी है. इस पर सभी दलों को एक मत होना चाहिए. जहां तक मेरा मानना है जैसे देश में रहने वाले सभी लोग भारतीय हैं. उसी प्रकार झारखंड में रहने वाले सभी लोग झारखंडी हैं. राज्य गठन के पहले से यहां रहने वाले सभी लोगों को स्थानीय माना चाहिए. कट ऑफ डेट के लिए राज्य गठन की तिथि को आधार बनाया जा सकता है. छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में इसे आधार बना कर स्थानीय नीति बनायी गयी है. स्थानीयता पर दलों को राजनीति से ऊपर उठ कर निर्णय लेना होगा. यहां रहने वाले लोगों को जाति, धर्म, जन्म के आधार पर विभेद नहीं करना चाहिए. राज्य के विकास में सभी लोगों का हाथ है. स्थानीयता को परिभाषित करना जरूरी है. इसमें पहले ही विलंब हो चुका है. राज्य गठन के 14 साल बीतने के बाद भी स्थानीयता नहीं तय हो पायी है. इसकी वजह से यहां रहने वाले लोगों को लाभ नहीं मिल पा रहा है. इसे तय करते समय राज्य में रहनेवाले सभी के हितों का ध्यान रखा जाना चाहिए. इसका सर्वमान्य हल निकालना चाहिए, ताकि की किसी की भावना को ठेस नहीं पहुंचे. समाज में समरसता का माहौल कायम रहे. (लेखक भाजपा के विधायक हैं)