शैक्षणिक शैली संबंधी दो दिवसीय प्रशिक्षण

…..दो तसवीर हैसंवाददाता रांचीएक अच्छा शिक्षक खुद भी बेहतर प्रशिक्षु (सीखने वाला) व प्रस्तुतकर्ता (डेमोंस्ट्रेटर) होता है. बीआइटी मेसरा के पूर्व कुलपति डॉ जनार्धन झा ने ये बात कही. वह बुधवार को सीआइटी, टाटीसिलवे में दो दिवसीय पेडागोजिकल (शैक्षणिक) प्रशिक्षण कार्यक्रम में लोगों को संबोधित कर रहे थे. डॉ झा ने कहा कि तकनीकी शिक्षा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 25, 2015 8:02 PM

…..दो तसवीर हैसंवाददाता रांचीएक अच्छा शिक्षक खुद भी बेहतर प्रशिक्षु (सीखने वाला) व प्रस्तुतकर्ता (डेमोंस्ट्रेटर) होता है. बीआइटी मेसरा के पूर्व कुलपति डॉ जनार्धन झा ने ये बात कही. वह बुधवार को सीआइटी, टाटीसिलवे में दो दिवसीय पेडागोजिकल (शैक्षणिक) प्रशिक्षण कार्यक्रम में लोगों को संबोधित कर रहे थे. डॉ झा ने कहा कि तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे लगातार बदलाव ने पेडागोजिक तरीके से अध्यापन के महत्व को बढ़ा दिया है. उन्होंने कहा कि हम सबको वैसे शिक्षक आज भी याद हैं, जिन्होंने अध्यापन की अपनी विशेष कला के जरिये हमें कुछ पढ़ाया था. पेडागोजिक का तरीका भी यही है. शिक्षकों व छात्रों के बीच बेहतर समन्वय, प्रभावी तरीके से अध्यापन, अद्यतन (अप-टू-डेट) वैज्ञानिक सूचनाओं की जानकारी तथा हर रोज कुछ नया सीखने के लिए जागरूक रहना, यही मूल बातें इसमें भी शामिल हैं. संस्थान के डॉ सुरेश प्रसाद सिंह ने भी पेडागोजिक पद्धति को प्रभावी शिक्षा प्रदान करने का बेहतर तरीका बताया तथा शिक्षकों को छात्र हित में इसे अपनाने की सलाह दी. उदघाटन सत्र को साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग के पूर्व उप निदेशक डॉ आरके सिंह, सीआइटी के निदेशक डॉ एसके सिंह, प्राचार्य आरपी शर्मा, कोऑर्डिनेटर डॉ ए भट्टाचार्य व डॉ एनके राय ने भी संबोधित किया. कार्यक्रम के दूसरे सत्र में बीआइटी सिंदरी के जियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ जी कुमार, व डॉ आरके सिंह ने बतौर रिसोर्स पर्सन प्रशिक्षु शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया. कार्यक्रम में विभिन्न तकनीकी शिक्षण संस्थानों के 48 शिक्षक -शिक्षिकाएं भाग ले रहे हैं. कार्यक्रम का संचालन टेकिप प्रभारी प्रो केपी दता ने किया.

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