Advertisement
लापरवाही से 37 करोड़ का नुकसान
जेएसएमडीसी : निगम की कार्यशैली पर सीएजी ने सवाल उठाये रांची : झारखंड राज्य खनिज विकास निगम(जेएसएमडीसी) को आवंटित आठ कोल ब्लॉक के कारण कुल 37.13 करोड़ रुपये की चपत हुई. सीएजी की रिपोर्ट में लिखा गया है कि इन कोल ब्लॉक का आवंटन रद्द भी हो गया और राशि भी जब्त हो गयी. निगम […]
जेएसएमडीसी : निगम की कार्यशैली पर सीएजी ने सवाल उठाये
रांची : झारखंड राज्य खनिज विकास निगम(जेएसएमडीसी) को आवंटित आठ कोल ब्लॉक के कारण कुल 37.13 करोड़ रुपये की चपत हुई. सीएजी की रिपोर्ट में लिखा गया है कि इन कोल ब्लॉक का आवंटन रद्द भी हो गया और राशि भी जब्त हो गयी.
निगम द्वारा दो कोल ब्लॉक राबोद एवं पतरातू के लिए जमा की गयी 18.82 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी जब्त कर ली गयी. वहीं आठों कोल ब्लॉक के लिए विभिन्न मद में खर्च किये गये 18.31 करोड़ रुपये का भी नुकसान हुआ. यानी कुल 37.13 करोड़ रुपये की चपत निगम को लगी. निगम की कार्यशैली पर भी सीएजी ने सवाल उठाया है.
क्या है मामला : सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार जेएसएमडीसी को वर्ष 2006 से 2008 के बीच आठ कोल ब्लॉक का आवंटन डिस्पेंसन रूट (सरकारी कंपनी के नाते)से मिला था. आवंटित इन आठ कोल ब्लॉक के विकास में जियोलॉजिकल रिपोर्ट(जीआर) बनाने, माइनिंग प्लान बनाने एवं अनुमोदन कराने तथा वन एवं पर्यावरण का एनओसी प्राप्त करने की प्रक्रिया संतोषप्रद नहीं थी.
कंपनी ने इन खानों को विकसित करने को लेकर ज्वाइंट वेंचर कंपनी बनाने के लिए सलाहकार नियुक्त किया था, जिस पर 40 लाख रुपये खर्च हुए. इसके बावजूद ज्वाइंट वेंचर कंपनी नहीं बनी. निगम द्वारा कोल ब्लॉक के लिए आवश्यक एनओसी की प्राप्ति में विफलता की वजह से कोयला मंत्रलय ने जनवरी 2013 में पहले चार पिंड्रा देवीपुर, लातेहार, राबोद और पतरातू का आवंटन रद्द कर दिया.
इसके साथ ही कोयला मंत्रलय ने राबोद व पतरातू के लिए जमा बैंक गारंटी की राशि 18.82 करोड़ रुपये भी जब्त कर ली. इसी बीच भारत सरकार के उच्चतम न्यायालय ने 24 सितंबर 2014 के अपने एक फैसले में डिस्पेंसन रूट से आवंटित कोल ब्लॉक को मनमाना एवं गैरकानूनी माना. जिसके चलते निगम को आवंटित आठों कोल ब्लॉक का आवंटन रद्द कर दिया गया.
निगम द्वारा पहले ही इन कोल ब्लॉक के विकास एवं खनन के लिए काफी खर्च किये गये थे. जिसमें कंसलटेंट पर 40 लाख, जीआर बनाने पर 84 लाख, जीआर रिपोर्ट के क्रय पर 16.33 करोड़, बैंक गारंटी कमीशन पर 74 लाख यानी 18.31 करोड़ रुपये खर्च किये गये थे, जो निर्थक साबित हुआ.
विलंब की वजह से हुआ नुकसान
सीएजी ने लिखा है कि निगम नियत तिथि के पश्चात छह माह से 59 माह बीत जाने के बावजूद कोल ब्लॉक से उत्खनन करने में विफल रहा. यदि निर्धारित समय में कोल ब्लॉक से उत्खनन आरंभ हो जाता, तो कोयला खानों के संचालन से अजिर्त राजस्व द्वारा इन खानों में किये गये लागत की वसूली की जा सकती थी.
जो भी खर्च किये गये वह बेकार गये. सीएजी ने लिखा है कि सरकार ने इस तथ्य को स्वीकार करते हुए कहा था कि ज्वाइंट वेंचर कंपनी बनाने के लिए पहल की गयी थी. हालांकि प्रक्रियात्मक विलंब और सीबीआइ जांच के कारण ज्वाइंट वेंचर का गठन नहीं हो सका. हालांकि सीएजी सरकार के इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ और लिखा है कि निगम द्वारा खानों के विकास करने में अत्यधिक विलंब किया गया. प्रगति में कमी से ही कोयला मंत्रलय ने चार कोल ब्लॉक का आवंटन रद्द कर दिया था.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement