जनजातीय कल्याण के अनुदान से सड़क निर्माण को प्राथमिकता

शिक्षा के क्षेत्र में खर्च करनी है 50 फीसदी राशि रांची : झारखंड में जनजातीय कल्याण के लिए मिलनेवाले अनुदान की राशि से सड़कों का निर्माण कराया जा रहा है. जबकि केंद्र सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि इस अनुदान का 50 फीसदी खर्च शिक्षा के क्षेत्र में करना है और आधारभूत संरचना के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 29, 2015 6:32 AM
शिक्षा के क्षेत्र में खर्च करनी है 50 फीसदी राशि
रांची : झारखंड में जनजातीय कल्याण के लिए मिलनेवाले अनुदान की राशि से सड़कों का निर्माण कराया जा रहा है. जबकि केंद्र सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि इस अनुदान का 50 फीसदी खर्च शिक्षा के क्षेत्र में करना है और आधारभूत संरचना के लिए शेष राशि खर्च की जानी है.
टीएसपी जिलों में राजधानी रांची समेत दुमका, लोहरदगा, खूंटी, सिमडेगा, पूर्वी और पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला-खरसांवां, साहेबगंज, पाकुड़, जामताड़ा, गिरिडीह, गोड्डा समेत 15 से अधिक जिले आते हैं. केंद्र सरकार संविधान की धारा 275(1) के तहत शत-प्रतिशत अनुदान देती है. टीएसपी जिलों के लिए विशेष केंद्रीय सहायता (एससीए टू टीएसपी) भी केंद्र से योजना के तहत दी जाती है. जानकारी के अनुसार, केंद्र की इस योजना के अधिकतर काम लंबित हैं. सरकार की ओर से दिये गये पैसे का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं भेजे जाने से यह स्थिति उत्पन्न हुई है.
केंद्र ने राशि खर्च करने का दिया है स्पष्ट निर्देश
जनजातीय कल्याण के लिए मिलने वाले अनुदान को कहां और कैसे खर्च करना है, इसका केंद्र सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिया है. इसमें कहा गया है कि 50 प्रतिशत राशि जो विशेष केंद्रीय सहायता के रूप में दी जाती है, उसे शिक्षा के क्षेत्र में खर्च किया जाना है. जबकि आधारभूत संरचना के लिए शेष राशि खर्च की जानी है. इसके अलावा केंद्रीय अनुदान से जनजातीय शोध केंद्र को मजबूत करने, आवासीय विद्यालय, सरकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को और बेहतर करने, जनजातीय आबादी के भविष्य की बेहतरी के लिए परियोजना लेने का आदेश भी दिया गया है.
क्या-क्या करना था काम
केंद्रीय अनुदान से राज्य सरकार को अनुसूचित जनजाति की आजीविका में सुधार के लिए कार्य करने थे. इनमें एकलव्य मॉडल स्कूलों को सुधारना, छात्रवास का निर्माण, स्कूल भवन की मरम्मत का काम, तसर उत्पादन और इससे संबंधित प्रशिक्षण का काम, सौर ऊर्जा पर आधारित टय़ूबवेल का निर्माण, सोलर स्ट्रीट लाइट लगाने का काम, वन भूमि पर रहनेवाले जनजातीयों को भूमि का पट्टा वितरित करना, जनजातीय कला और संस्कृति को विकसित करने, लघु सिंचाई योजनाओं का निर्माण, वाटर हार्वेस्टिंग और अन्य कार्य, बोकारो, पूर्वी सिंहभूम और खूंटी में आधारभूत संरचना का विकास, अस्पतालों का निर्माण जैसे कार्य शामिल हैं.

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