नगर निगम में खेल: महालेखाकार की रिपोर्ट में हुआ खुलासा, एटूजेड को काम देने के लिए की गयी हेरा-फेरी
रांची: रांची नगर निगम में शहर की सफाई के लिए आमंत्रित किये गये टेंडर के मूल्यांकन में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गयी. एटूजेड तकनीकी बिड में ही असफल हो गया था. उसके बावजूद मूल्यांकन समिति ने उसे जबरन 94 अंक देकर तकनीकी बिड में योग्य घोषित कर दिया. महालेखाकार ने अपनी रिपोर्ट में एटूजेड […]
रांची: रांची नगर निगम में शहर की सफाई के लिए आमंत्रित किये गये टेंडर के मूल्यांकन में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गयी. एटूजेड तकनीकी बिड में ही असफल हो गया था. उसके बावजूद मूल्यांकन समिति ने उसे जबरन 94 अंक देकर तकनीकी बिड में योग्य घोषित कर दिया. महालेखाकार ने अपनी रिपोर्ट में एटूजेड को गलत तरीके से काम दिये जाने की चर्चा की है.
लिखा है कि तकनीकी बिड के लिए निर्धारित नियम के तहत संस्था को किसी एक जिले में घर-घर जाकर कचरा संग्रह करने के अनुभव में कोई अंक नहीं मिलना चाहिए था. इसके बाद भी एटूजेड को 15 अंक दे दिये गये. घर-घर कचरा ढोने के अनुभव के आलोक में एटूजेड ने जो दस्तावेज समर्पित किया था, उससे उसका अनुभव सुनिश्चित किया जाना संभव नहीं था. एटूजेड ने केवल मई 2010 से अगस्त 2010 तक की अवधि में ही घर-घर कचरा संग्रह का ब्योरा दिया था. कचरा जमा करने और उसे ढोने के अनुभव के रूप में एटूजेड ने जो दस्तावेज दिये थे, उसमें इस बात का उल्लेख नहीं था कि पिछले तीन वित्तीय वर्षो में से किसी एक वित्तीय वर्ष में उसने कितना कचरा जमा किया और उसे ढोया.
एजी ने लिखा है कि सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए प्रोजेक्ट की डिजाइन तैयार करने और उसे चलाने व रख-रखाव के अनुभव में एटूजेड को केवल 17 नंबर मिलने चाहिए थे, लेकिन उसे 27 नंबर दिये गये. सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के सिलसिले में एटूजेड को कोई अंक नहीं मिलना चाहिए था, परंतु आंकड़ों में हेरा-फेरी करते हुए उसे 22 अंक प्रदान कर दिये गये थे. इस तरह एटूजेड को निविदा में सफल कराने के लिए मूल्यांकन कार्य में लगे अधिकारियों ने उसके वास्तविक अंक 44 को बढ़ा कर 94 कर दिया था.
इस बारे में रांची नगर निगम के अधिकारियों से पूछे जाने पर उन्होंने महालेखाकार से कहा कि अक्तूबर 2010 में निविदा की शर्तो में एक शुद्धिपत्र जारी किया गया था. इसमें घर-घर जाकर कचरा जमा करने और परिवहन करने के दो साल के अनुभव की आवश्यकता से संबंधित शर्त को खत्म कर दिया गया था. महालेखाकार ने नगर निगम की इस दलील को अमान्य कर दिया. क्योंकि, निविदा के मूल्यांकन में अन्य निविदादाताओं के लिए तीन वित्तीय वर्ष की शर्त को आधार मानते हुए अंक दिये गये थे.