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रांची-टाटा सड़क बनने में लगेंगे और दो साल

एनएच-33 : प्रगति अब तक मात्र 16 फीसदी रांची : रांची-जमशेदपुर सड़क बनने में और दो साल लगेंगे. यानी दो साल से पहले इस सड़क का निर्माण संभव नहीं है. पथ निर्माण विभाग की सचिव ने खुद इस संबंध में एनएचएआइ को पत्र लिख कर स्थिति की जानकारी दी है. उन्होंने लिखा है कि काम […]

एनएच-33 : प्रगति अब तक मात्र 16 फीसदी
रांची : रांची-जमशेदपुर सड़क बनने में और दो साल लगेंगे. यानी दो साल से पहले इस सड़क का निर्माण संभव नहीं है. पथ निर्माण विभाग की सचिव ने खुद इस संबंध में एनएचएआइ को पत्र लिख कर स्थिति की जानकारी दी है. उन्होंने लिखा है कि काम तय अवधि में समाप्त हो जाना था, लेकिन अब दो साल लगेंगे. यानी इस मार्ग से आने-जानेवालों को अब इतने समय तक परेशानी उठानी होगी.
जानकारी के मुताबिक इसका काम मधुकॉम को दिया गया था. रांची से महुलिया तक सड़क का निर्माण कराना था. इसमें करीब 1458 करोड़ रुपये की लागत आनी थी. एनएचएआइ की ओर से इसका निर्माण कराया जा रहा था. इसका शिलान्यास जून 2012 को हुआ था, जबकि काम समाप्त करने की अवधि जून 2015 थी. यह अवधि दो माह में समाप्त होनेवाली है.
दो साल में मामूली काम ही हुआ
दो साल तीन महीने बीत गये, पर अब तक इस सड़क पर मामूली काम ही हुए. विकास से लेकर रामपुर तक पूरी तरह नयी सड़क बननी है. इसका एलाइनमेंट तो हुआ. कुछ जमीन भी ली गयी, पर इसके निर्माण की दिशा में पर्याप्त कार्रवाई नहीं हो सकी है. वहीं रामपुर से जमशेदपुर तक रोड का निर्माण भी नहीं हो सका. चौड़ीकरण का काम भी लटका हुआ है.
केंद्रीय मंत्रियों की उपस्थिति में हुआ था शिलान्यास
इस सड़क का शिलान्यास पूर्व की केंद्र की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुआ था. तब राज्य में राष्ट्रपति शासन था. राज्यपाल के साथ ही तत्कालीन केंद्रीय सड़क एवं भूतल परिवहन मंत्री व अन्य की उपस्थिति में रामपुर के पास इसका शिलान्यास किया गया था. साथ ही इसे समय से पूरा करने का निर्देश भी दिया गया था.
यह सड़क बन जाये, तो दो घंटे
में रांची से टाटा तक की यात्रा
अगर इस सड़क का निर्माण हो जायेगा, तो रांची-जमशेदपुर की दूरी तय करने में ज्यादा से ज्यादा दो घंटे लगेंगे. अभी सड़क खराब होने की वजह से बस या अन्य यात्राी वाहनों से तीन घंटे तक लग रहे हैं. इस तरह एक घंटे का समय और ईंधन की भी बचत होगी. अभी बुंडू घाटी से लेकर जमशेदपुर तक जगह-जगह पर सड़क किनारे मिट्टी है. वहीं चौड़ीकरण के लिए मेटल भी गिराये जा रहे हैं. इससे सड़क पर गाड़ियों की गति काफी धीमी हो रही है.
देर से बढ़ती ही जा रही है सड़क निर्माण की लागत
इस सड़क की लागत भी बढ़ती जा रही है. सड़क निर्माण के जानकारों के मुताबिक दो साल में लागत 20 फीसदी से अधिक बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि इस दरम्यान सड़क निर्माण मेटेरियल की कीमत में काफी वृद्धि हुई है. वहीं सामग्रियों का अभाव भी हुआ है. मजदूरी भी तेजी से बढ़ी है.
जयराम रमेश ने भी किया था इसके लिए प्रयास
तत्कालीन केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने इस सड़क के निर्माण की दिशा में काफी प्रयास किया था. जब सड़क की स्थिति चलने लायक नहीं थी, तो उन्होंने केंद्रीय सड़क एवं भूतल परिवहन मंत्री से मोबाइल पर बात करके आवश्यक कार्रवाई का निर्देश संबंधित अफसरों को दिलाया. खुद राज्य के अफसरों व एनएचएआइ के अफसरों के साथ बैठक की थी.
अटक गया है मामला
इधर इस सड़क के निर्माण का मामला अटक गया है. कार्य समाप्त करने की अवधि पूर्ण होने में मात्र दो माह बचे हैं, जबकि काम मात्र 16 फीसदी ही हुआ है.
ऐसे में एजेंसी पर काम तेजी से करने का दबाव डाला जा रहा है. हाल ही में आला अफसरों व मंत्री के साथ हुई बैठक में भी इसका कोई स्पष्ट हल नहीं निकल सका. एजेंसी की कार्य प्रगति काफी धीमी होने पर क्या कार्रवाई हो, इस पर भी कुछ नहीं हुआ. काम यही एजेंसी करेगी या एजेंसी को बदली जायेगी, इस पर भी फैसला नहीं हुआ.
क्यों रही धीमी प्रगति
एजेंसी को काम तो दे दिया गया था, पर उसे कई जगहों पर जमीन नहीं मिली. बुंडू, तमाड़, नामकुम सहित अन्य जगहों पर जमीन नहीं मिल सकी थी. वहीं फॉरेस्ट क्लीयरेंस को लेकर भी मामला फंसा रहा. कई जगहों पर अब तक जमीन की समस्या बरकरार है. इतना ही नहीं एजेंसी के समक्ष राशि की भी समस्या हो गयी है. चूंकि सड़क का निर्माण पीपीपी मोड पर हो रहा है. ऐसे में बैंकों से राशि लेने में भी परेशानी होती रही. कुल मिला कर इसका असर काम पर पड़ा.

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