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स्कूल चलें, चलायें अभियान शुरू

तीन लाख से अधिक बच्चे जुड़ेंगे स्कूल से, शत प्रतिशत नामांकन का लक्ष्य रांची : एटीआइ सभागार में शुक्रवार को स्कूल चलें चलायें अभियान के संचालन को लेकर राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसमें मुख्यमंत्री रघुवर दास, शिक्षा मंत्री डॉ नीरा यादव, समाज कल्याण मंत्री लुइस मरांडी, मुख्य सचिव राजीव गौबा और मानव […]

तीन लाख से अधिक बच्चे जुड़ेंगे स्कूल से, शत प्रतिशत नामांकन का लक्ष्य
रांची : एटीआइ सभागार में शुक्रवार को स्कूल चलें चलायें अभियान के संचालन को लेकर राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसमें मुख्यमंत्री रघुवर दास, शिक्षा मंत्री डॉ नीरा यादव, समाज कल्याण मंत्री लुइस मरांडी, मुख्य सचिव राजीव गौबा और मानव संसाधन विकास विभाग की सचिव आराधना पटनायक सहित अन्य ने राज्य में स्कूल ड्रॉप आउट बच्चों और पढ़ाई नहीं करने वाले बच्चों को स्कूल से जोड़ने के अभियान की शुरुआत की.
राज्य के तीन लाख से अधिक बच्चों को स्कूल से जोड़ने और शत-प्रतिशत बच्चों का नामांकन सुनिश्चित कराने के लिए आवश्यक दिशा निर्देश दिये. अधिकारियों को एक दिन का वेतन देने के अलावा निर्देश दिया गया कि चेंबर से निकल कर पंचायतों तक जाएं और वहां की स्थित देखें. वहीं समाज कल्याण मंत्री ने शिक्षकों को शिक्षा जगत में हो रहे बदलाव से अवगत कराने के लिए प्रशिक्षण देने की बात कही.
निजी स्कूलों को बेलगाम नहीं छोड़ा जा सकता : शिक्षा मंत्री ने कहा कि निजी स्कूलों ने शिक्षा को व्यवसाय बना दिया है. प्रत्येक वर्ष री-एडमिशन के नाम पर बच्चों से पैसा लिये जाते हैं. हम निजी स्कूलों को परेशान नहीं करना चाहते, पर उन्हें बेलगाम नहीं छोड़ा जा सकता. आवश्यकता के अनुरूप उन पर कार्रवाई की जायेगी. शिक्षा के नाम पर सरकार अरबों रुपये खर्च करती है, इसके बाद भी स्थिति में संतोषजनक बदलाव नहीं आया है. स्कूल चले-चलायें अभियान को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है.
अधिकारी अपने चेंबर से निकल कर पंचायत तक जायें. सरकारी अधिकारी स्कूलों को गोद लें. हम अपना एक दिन का वेतन दे कर स्कूल में बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास करें.
प्री-स्कूलिंग को ले बना वार्षिक कैलेंडर : लुइस: समाज कल्याण मंत्री लुइस मरांडी ने कहा कि अभियान को सफल बनाने के लिए स्थानीय लोगों की सहभागिता सुनिश्चित की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकारी विद्यालयों में ऐसा माहौल बनाया जाये कि बच्चे स्वत: स्कूल आएं. विद्यालय के शिक्षकों को समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाये. जिससे की वे इस क्षेत्र में हो रहे बदलाव के बारे में जान सकें.
शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना चुनौती : राजीव गौबा : मुख्य सचिव राजीव गौबा ने कहा कि अभियान को सफल बनाने में सभी की सहभागिता आवश्यक है. अभियान में विद्यालय से जुड़े बच्चों का ठहराव भी सुनिश्चित किया जाये. नामांकन के बाद बच्चे को गुणवत्ता युक्त शिक्षा मिले. सरकारी विद्यालयों में दी जानेवाली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना सबसे बड़ी चुनौती है. उन्होंने कहा कि सरकारी विद्यालय के शिक्षकों को निजी विद्यालय के शिक्षकों की तुलना में अधिक वेतन व अन्य सुविधा मिलती है, फिर भी लोगों को निजी स्कूल की पढ़ाई बेहतर लगती है. लोग निजी स्कूल में बच्चों का नामांकन कराना चाहते हैं.
नामांकन के साथ ठहराव बड़ी चुनौती : पटनायक मानव संसाधन विकास विभाग की सचिव आराधना पटनायक ने कहा कि राज्य में स्कूलों को काफी हद तक संसाधन युक्त किया गया है.
अब सरकारी स्कूलों में गुणवत्ता युक्त शिक्षा देना हमारे समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है. हम स्कूल में बच्चों का नामांकन तो करा देते हैं, पर उनका ठहराव सुनिश्चित नहीं कर पाते हैं. नामांकन के साथ-साथ बच्चों का ठहराव सुनिश्चित करना बड़ी चुनौती है. स्कूलों में बच्चों के ठहराव को सुनिश्चित करने के लिए मध्याह्न् भोजन के बाद करके सीखो अभियान की शुरुआत की गयी है. शत-प्रतिशत उपस्थिति वाले बच्चे व अभिभावक को पुरस्कृत किया जायेगा.
जब सीएम ने शिक्षा मंत्री को घड़ी दिखायी
कार्यक्रम का निर्धारित समय सुबह दस बजे था. मुख्यमंत्री समय सेकार्यक्रम में पहुंच गये थे. अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत भी कर दी थी. मुख्यमंत्री कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि व शिक्षा मंत्री नीरा यादव विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित थीं. शिक्षा मंत्री कार्यक्रम में लगभग 15 मिनट विलंब से पहुंचीं. पहुंचने के साथ वह अपनी जगह पर बैठने लगीं. तभी मुख्यमंत्री की नजर उन पर पड़ी, मुख्यमंत्री ने शिक्षा मंत्री को बुला कर घड़ी दिखायी. मुख्यमंत्री ने उनसे कुछ कहा भी, इसके बाद शिक्षा मंत्री आ कर अपनी जगह पर बैठ गयीं.

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