मानव तस्करी के शिकार झारखंड के चार बच्चे दिल्ली से रेस्क्यू, CM हेमंत सोरेन के प्रयास का दिखा असर
मानव तस्करी के शिकार झारखंड के चार बच्चे दिल्ली से रेस्क्यू हुए हैं. इसमें रांची के तीन लड़के और गुमला की एक लड़की शामिल है. मानव तस्करी की शिकार चारों बच्चों को तस्कर अलग-अलग समय पर दिल्ली लाया था. मानव तस्करी के खिलाफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का प्रयास रंग ला रहा है.
Jharkhand News: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सार्थक प्रयास से लगातार मानव तस्करी के शिकार लड़के-लड़कियों को मुक्त कराकर उनके घरों में पुनर्वास किया जा रहा है. इस कड़ी में मानव तस्करी की शिकार रांची जिले के तीन लड़के और गुमला की एक लड़की को दिल्ली में मुक्त कराया गया है.
मानव तस्करी के शिकार चारों बच्चे अलग-अलग समय पर आये दिल्ली
इस संबंध में एकीकृत पुनर्वास सह संसाधन केंद्र, नई दिल्ली की नोडल ऑफिसर नचिकेता ने बताया कि चारों बच्चे मानव तस्करी के शिकार होकर अलग-अलग समय पर दिल्ली आये थे. तीन लड़कों को दिल्ली पुलिस ने रेलवे स्टेशन से रेस्क्यू कराया, वहीं गुमला जिले की एक लड़की को मानव तस्कर दिल्ली लाया था. उसे एक कोठी में घरेलू काम करने के लिए बेच दिया गया था, जहां इस लड़की से दिन-रात काम कराया जाता था. उसको पैसे भी नहीं दिये जा रहे थे. आखिरकार शारीरिक यातना से प्रताड़ित होकर बच्ची यहां से भाग निकली. भागने के दौरान किसी की नजर उस बच्ची पर पड़ी और उसे रेस्क्यू किया गया. दिल्ली में रेस्क्यू किये गए बच्चों को नई दिल्ली से ट्रेन द्वारा रांची लाया जा रहा है. इन बच्चों को समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं से जोड़ा जाएगा, ताकि ये दोबारा मानव तस्करी का शिकार न बनने पाएं.
महिला एवं बाल विकास विभाग का सख्त निर्देश
महिला एवं बाल विकास विभाग के निदेशक छवि रंजन द्वारा सभी जिले को सख्त निर्देश दिया गया है कि जिस भी जिले के बच्चे को दिल्ली में रेस्क्यू किया जाता है, उस जिले के जिला समाज कल्याण पदाधिकारी एवं बाल संरक्षण पदाधिकारी द्वारा उन्हें वापस उनके जिले में पुनर्वास किया जाएगा. इसी कड़ी में रांची जिले की जिला समाज कल्याण पदाधिकारी श्वेता भारती ने जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी के नेतृत्व में एक टीम बनाकर इन बच्चों को झारखंड लाकर पुनर्वास के लिए दिल्ली भेजा है. जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी वेद प्रकाश तिवारी एवं दुर्गा शंकर ने त्वरित कार्रवाई करते हुए बच्चों को वापस झारखंड में उनके गृह जिले में पुनर्वासित करने की कार्यवाही की जा रही है.
मानव तस्करी के खिलाफ सरकार गंभीर
बता दें कि मानव तस्करी पर झारखंड सरकार तथा महिला एवं बाल विकास विभाग काफी संवेदनशील है. यही कारण है कि दिल्ली में एकीकृत पुनर्वास संसाधन केंद्र चलाया जा रहा है, जिसकी नोडल ऑफिसर नचिकेता द्वारा झारखंड के मानव तस्करी के शिकार बच्चे एवं बच्चियों को मुक्त कराकर वापस उन्हें झारखंड के उनके जिले में पुनर्वास कराने का कार्य किया जा रहा है.
स्थानिक आयुक्त का निर्देश
मालूम हो कि स्थानिक आयुक्त मस्तराम मीणा के निर्देशानुसार एकीकृत पुनर्वास सह संसाधन केंद्र, नई दिल्ली द्वारा लगातार दिल्ली के विभिन्न बालगृहों का भ्रमण कर मानव तस्करी के शिकार, भूले-भटके या किसी के बहकावे में फंसकर असुरक्षित पलायन कर चुके बच्चे, युवतियों को वापस भेजने की कार्रवाई की जा रही है. इसे लेकर दिल्ली पुलिस, बाल कल्याण समिति नई दिल्ली एवं सीमावर्ती राज्यों की बाल कल्याण समिति से लगातार समन्वय स्थापित कर मानव तस्करी के शिकार लोगों की पहचान कर मुक्त कराया जा रहा है. उसके बाद मुक्त लोगों को सुरक्षित उनके गृह जिला भेजने का कार्य किया जा रहा है, जहां उनका पुनर्वास किया जा रहा है.
दलालों के माध्यम से किये थे पलायन
दिल्ली से मुक्त कराये गये बच्चों को दलालों के माध्यम से लाया गया था. झारखंड में ऐसे दलाल बहुत सक्रिय हैं, जो छोटी बच्चियों को बहला-फुसलाकर अच्छी जिंदगी जीने का लालच देकर उन्हें दिल्ली लाते हैं और विभिन्न घरों में उन्हें काम पर लगाने के बहाने से बेच देते हैं. इससे उन्हें एक मोटी रकम प्राप्त होती है और इन बच्चियों की जिंदगी नर्क से भी बदतर बना दी जाती है.
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माता-पिता भी हैं जिम्मेदार
दलालों के चंगुल में बच्चों को भेजने में उनके माता-पिता की भी अहम भूमिका होती है. कई बार ऐसा देखा गया है कि बच्चे अपने माता-पिता, अपने रिश्तेदारों की सहमति से ही दलालों के चंगुल में फंसकर मानव तस्करी के शिकार बन जाते हैं.
मुक्त लोगों की होगी सतत निगरानी
समाज कल्याण महिला बाल विकास विभाग के निर्देशानुसार झारखंड भेजे जा रहे बच्चों को जिले में संचालित कल्याणकारी योजनाओं, स्पॉन्सरशिप, फॉस्टरकेयर, कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय से जोड़ते हुए उनकी ग्राम बाल संरक्षण समिति (VLCPC)) के माध्यम से सतत निगरानी की जाएगी, ताकि इन्हें दोबारा मानव तस्करी का शिकार होने से बचाया जा सके. एस्कॉर्ट टीम में एकीकृत पुनर्वास सह संसाधन केंद्र की परामर्शी निर्मला खलखो एवं कार्यालय सहायक राहुल सिंह ने अहम भूमिका निभाई.