रांची, राजलक्ष्मी : एक तरफ हेमंत सरकार के 4 साल पूरे हो रहे हैं, दूसरी तरफ विपक्ष सरकार की नाकामियों को गिनवाने का काम कर रही है. इसे लेकर आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने पार्टी मुख्यालय में प्रेस वार्ता की. सुदेश महतो ने सरकार के चार साल पूरे होने पर एक वीडियो रिपोर्ट प्रस्तुत किया. इस वीडियो में सुदेश महतो ने प्वॉइंटर्स के माध्यम से सरकार की खामियां गिनाईं. जैसे-
-
5 लाख लोगों को रोजगार देने में फेल हुई सरकार
-
हर प्रखंड में नशा मुक्ति केंद्र खोलने में नाकाम हुई सरकार
-
शहीद के परिवार से एक-एक को नौकरी देने में नाकाम हुई सरकार
-
शहीदों के परिवार को पेंशन देने में नाकाम हुई सरकार
-
मॉडल स्कूल खोलने में नाकाम हुई सरकार
-
बिना दोष के जेलों में बंद आदिवासियों को छुड़वाने में नाकाम हुई सरकार
-
अतिक्रमण रोकने में नाकाम हुई सरकार
-
विस्थापित लोगों को पुनर्स्थापित करने में नाकाम हुई सरकार
-
अनुसूचित जनजातियों के हॉस्टल पुनरुद्धार में फेल हुई सरकार
-
स्वास्थ्य सेवा बहाल करने में फेल हुई सरकार
-
ट्रैफिक व्यवस्था बहाल करने में फेल हुई सरकार
-
रिश्वतखोरी पर लगाम लगाने में फेल हुई सरकार
-
अनुबंध कर्मियों को हक देने में फेल हुई सरकार, आदि.
सरकार न नियोजन नीति बना सकी, न उद्योग नीति : सुदेश महतो
सुदेश महतो ने कहा कि आज हम हेमंत सरकार के 4 साल होने पर यही कहते हैं कि इन चार सालों में सरकार न नीति पर काम कर सकी, न ही नियोजन पर. सरकार न नियोजन नीति बना सकी, न उद्योग नीति बना सकी. इन अवसरों का लाभ लेने वाले नौजवान छात्रों पर इसका असर पड़ा है. इस राज्य में 7 लाख से ज्यादा रजिस्टर्ड बेरोजगार हैं. नौकरी न मिलने पर 8 लाख से ज्यादा पलायन कर गए. नीतियों के लिए मांग कर रहे पारा टीचर 4 साल पहले भी सड़क पर थे और आज भी सड़क पर ही हैं.
“युवा झारखंड के भटकते कदम”
सुदेश महतो ने कहा कि आज के अखबार में प्रचार पर मैंने देखा “युवा झारखंड के बढ़ते कदम”, लेकिन मैं कहना चाहता हूं, “युवा झारखंड के भटकते कदम”. 1932 की दुहाई देने वाली ये सरकार एक भी नौकरी नहीं दे सकी. चूंकि नीति बनी नहीं, तो नौकरी मिली नहीं. एसटी-एससी के वादे करने वाली सरकार अब षड्यंत्र पर उतर आई है. यर हर मुद्दे पर ध्यान भटकाने का काम कर रही है. प्रस्ताव का बार-बार सदन में आना और जाना उसी का हिस्सा है. जिस सरकार को काम करना है, वो फाइल पर नहीं चलती बल्कि लागू करती है. बिहार को हम देख सकते हैं. सरकार को जिस उसूल पर चलना चाहिए था, वहां से अब वसूली हो रही है. इसका परिणाम यह हुआ कि आपने शासन तंत्र को कमजोर बना दिया है. इसका परिणाम राज्य में अराजकता के तौर पर देखने को मिल रहा है.
“झारखंड के 10 सालों के भविष्य को खराब कर दिया”
सुदेश महतो कहते हैं कि अब इसलिए किसी आम पब्लिक को एक छोटे से काम के लिए भी सरकार पर भरोसा नहीं रहा है. इस सरकार ने आने वाले झारखंड के 10 सालों के भविष्य को खराब कर दिया है. इसके लिए एक इमानदार सरकार को झारखंड पर 10 साल तक मेहनत करनी होगी. हेमंत सरकार ने राज्य में न वैकल्पिक रोजगार के अवसर दिए और न ही खड़े किए. प्रारंभिक काल में मुम्बई-दिल्ली का दौरा तो हुआ, उद्योगपतियों को न्यौता तो दिया, लेकिन एक भी चिमनी तक खड़ी नहीं हो सकी.
“पुरानी योजनाएं गिनवा रही हेमंत सरकार”
तत्कालीन काल में साइकिल वितरण की योजना शुरू हुई थी, लेकिन 3 साल में ये सरकार बच्चों के लिए साइकिल नहीं खरीद सकी. सारी योजनाएं जो सरकार गिनवा रही है, वो पुरानी है. सरकार जो अबुआ आवास योजना को गिनवा रही है, तो उन्हें पता होना चाहिए कि 1 पंचायत में हजारों लोगों को इसकी जरूरत है, लेकिन नजदीक से देखने पर पता चलता है कि हर पंचायत से सिर्फ 150 लोगों को ही इसका लाभ मिल पायेगा. लाख आवेदन ऐसे ही पड़े रहने वाले हैं. आपकी सरकार आपके द्वार योजना पर वह कहते हैं कि आज सरकार तीसरे चरण में है, लेकिन पिछले 2 चरण पर वह घूमकर देखने नहीं जाती कि कार्य पूरा हुआ कि नहीं.
कानून व्यवस्था पर सरकार को घेरा
कानून व्यवस्था ठप है. देश में सबसे अधिक अपराध होने वाले राज्य में हम टॉप 5 पर हैं और भी गौर करने पर पता चलता है कि एक भी केस का निष्पादन नहीं हो पा रहा है. सरकार को लिखना चाहिए था कि मैंने अपराध का ग्राफ छोटा कर दिया. इनमें से अधिक विभाग पर खुद मुख्यमंत्री के हाथों में है. सरकार ने गुरुजी क्रेडिट कार्ड योजना की शुरुआत की. राज्य में शिक्षकों के 90 हजार पद खाली हैं. जिस राज्य की ऐसी स्थिति है, वहां पढ़ाई का क्या हाल है आप अंदाजा लगा सकते हैं. स्कूल और कॉलेज खोलने को लेकर एक भी वादा पूरा नहीं किया है. सभी की स्थिति खराब है. वहां शिक्षा का माहौल ही नहीं है. मुख्यमंत्री जी कहते हैं स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई मुफ्त होगी. कौन से कॉलेज में मुफ्त पढ़ाई हो रही है, सरकार बताए.
“शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों ही ओर सरकार का ध्यान नहीं”
रिम्स पर सुदेश महतो कहते हैं कि उसके कॉरिडोर में खड़े होने पर ही पता चल जाएगा झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था कितनी बद्तर है. बिना पैरवी कर वहां इलाज संभव नहीं है. किसी भी राज्य के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य महत्वपूर्ण है. लेकिन सरकार का दोनों ही ओर कोई ध्यान नहीं है. चार साल पहले स्कूलों के मर्ज होने पर हल्ला कर रही थी. 4 साल में सरकार एक भी स्कूल खोल पाई है क्या? जल जंगल जमीन की बात कहने वाली सरकार एक भी वन पट्टा बांट नहीं पाई. जिस आंदोलन की दुहाई देकर सत्ता में सरकार बैठी, आज उन्हीं की सरकार नहीं सुनती है. सभी सड़क पर हैं, जिन्हें सरकार को सम्मान देना चाहिए वे आज सड़क पर हैं. इसलिए आखिरी साल सरकार का विदाई वर्ष है. जनता ने तय कर लिया है कि अब 2024 में सरकार को विदा ही करना है.
Also Read: 4 Years of Hemant Sarkar: 4500 करोड़ की 350 योजनाओं का होगा शिलान्यास और उद्घाटन