Ranchi News: मसीहियों का 40 दिनों का महा उपवास काल राख बुधवार के साथ शुरू हुआ. गिरजाघरों में विशेष प्रार्थना की गयी. मसीही विश्वासियों ने अपने पापों का प्रायश्चित किया और भलाई की राह पर चलने का संकल्प लिया. धर्म गुरुओं ने उनके माथे पर राख लगाया और क्रूस का चिन्ह अंकित किया. उन्होंने कहा कि माथे पर लगा राख पश्चाताप का प्रतीक है. इसका अर्थ है कि अपनी आत्मा से शुद्ध बनें, प्रार्थना करें, पड़ोसी से प्यार करें और दुखियों को सांत्वना देने के लिए खुद को समर्पित करें. यह इस बात की प्रतिज्ञा भी है कि हम अपना नवीनीकरण करेंगे.
चालीसा काल में इसकी आध्यात्मिक तैयारी करें कि ख्रीस्त ने हमारे पापों के लिए बलिदान दिया और मृत्यु पर विजय पायी है. अपने पापों के लिए हृदय से पश्चाताप करें. चालीसा में हम वाह्य रूप से जो करते हैं वह भी उचित है. जैसे हम उपवास करते हैं, जो संयम के लिए है. वहीं हमारा आंतरिक संयम बुरी प्रवृत्तियों से दूर रखता है.
गिरजाघरों में गीत-भजनों के जरिये मानव की मुक्ति के लिए यीशु के बलिदान को स्मरण किया गया. वो प्यार का दरिया है, सच्चाई का रास्ता है, जो क्रूस पर कुर्बां है, वो मेरा मसीहा है…, मुक्ति दिलाये यीशु नाम… जैसे गीत गाये गये. संत मरिया महागिरजाघर समेत अन्य रोमन कैथोलिक गिरजाघरों में चालीसा 2023 के लिए पोप फ्रांसिस का संदेश सुनाया गया.
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चालीसा काल पास्का की तैयारी में उपवास व संयम रखने, त्याग और तपस्या करने का समय है. प्रभु यीशु मसीह का अनुसरण करें, जिन्होंने निर्जन प्रदेश में प्रार्थना और उपवास में 40 दिन बिताये.
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चालीसा नवीकरण और प्रार्थना का समय है. आमंत्रित किया जाता है कि हम रविवारीय यूखरिस्तीय समारोह में सहभागी, मेल-मिलाप संस्कार और यूखरिस्त में उपस्थित प्रभु यीशु को ग्रहण करने के प्रति निष्ठा का नवीकरण करें. व्यक्तिगत और पारिवारिक विनती को बढ़ावा दें. क्रूस रास्ता में सहभागी हों. विनती उपवास और पवित्र घड़ी में भाग लें. यूखरिस्तीय प्रभु से भेंट करने जायें.
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राख बुध अैर पुण्य शुक्रवार को उपवास और परहेज का आदेश है. इन दिनों में सिर्फ एक बार पूरा भोजन लें और परहेज करें. चालीसा काल के दूसरे शुक्रवार को भी परहेज करने का आदेश है.
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14 वर्ष की आयु से लेकर सभी कैथोलिकों को परहेज करने का हुक्म है. 18 वर्ष की उम्र से 60वें वर्ष के शुरू तक उपवास करने का हुक्म लागू रहता है. कम उम्र वालों के संबंध में आध्यात्मिक गुरु और माता-पता विशेष देखभाल करें कि वे भी तपस्या का उत्तम अभ्यास करें.
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तपस्या के कुछ तरीके हैं: शराब, धूम्रपान और मिठाईयों का त्याग करना. कलीसिया के विभिन्न सेवा कार्यों के लिए दान करना. जिन बातों से सुख- संतोष मिलता हो, उनका परित्याग करना. जैसे : सिनेमा, नाच-गान आदि. इस सब के परे नियमित पाप स्वीकार को प्रोत्साहित किया जाता है.