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एक साल डिबार रही कंपनी को दे दिया 400 करोड़ का काम

‘जल जीवन मिशन’ के तहत झारखंड में चल रही ‘हर घर नल जल योजना’ खस्ताहाल है. आधिकारिक तौर पर तो झारखंड में 54 प्रतिशत काम पूरा हो गया है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है. जांच हो जाये, तो योजना की पूरी सच्चाई सामने आ जायेगी.

सतीश कुमार (रांची).

‘जल जीवन मिशन’ के तहत झारखंड में चल रही ‘हर घर नल जल योजना’ खस्ताहाल है. आधिकारिक तौर पर तो झारखंड में 54 प्रतिशत काम पूरा हो गया है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है. जांच हो जाये, तो योजना की पूरी सच्चाई सामने आ जायेगी. योजनाओं की स्थिति बयां करने के लिए सिर्फ एक मामला काफी है. चेन्नई की एक कंपनी श्रीराम इसीपी झारखंड में काम कर रही है. कंपनी को करीब 300 करोड़ का काम मिला था. उसमें लापरवाही बरतने का आरोप लगा, तो कंपनी को एक साल के लिए डिबार कर दिया गया, लेकिन पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने उसी कंपनी को फिर से 400 करोड़ का काम सौंप दिया. मेसर्स श्रीराम इपीसी लिमिटेड को वर्ष 2018 में तांतनगर (चाईबासा), आयता (चाईबासा), मार्गो मुंडा (मधुपुर) और बाघमारा (धनबाद) में करीब 300 करोड़ का काम मिला. यह काम पूरा हुआ नहीं. अधिकारियों ने जब इन योजनाओं की जांच की, तो भारी गड़बड़ी पकड़ी. विभागीय मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने भी गड़बड़ी पायी. इसके बाद कंपनी को डिबार कर दिया गया था. अब पुन: निरसा गोविंदपुर और चौपारण में ‘हर घर नल योजना’ का काम इस कंपनी को दे दिया है. करीब 400 करोड़ की इस योजना को पूरा करने के लिए संबंधित कंपनी को मार्च 2026 तक का समय दिया गया है, जबकि ‘जल जीवन मिशन’ की योजना दिसंबर 2024 में ही समाप्त हो रही है. इस योजना में केंद्र व राज्य सरकार के खर्च का शेयर 50-50 प्रतिशत है. अगर केंद्र सरकार की ओर से इसके बाद ‘जल जीवन मिशन’ योजना को विस्तार नहीं दिया जाता है, तो पूरा खर्च राज्य सरकार को वहन करना पड़ेगा. पहले यह मेगा जलापूर्ति योजना का काम इस्राइल की कंपनी टहल को दिया गया था. अनियमितता पाये जाने पर संबंधित कार्यादेश को रद्द करते हुए मेसर्स श्रीराम इपीसी लिमिटेड को काम दिया गया. योजना के तहत निरसा से गोविंदपुर के बीच स्थित 439 गांवों में रहनेवाले लगभग 6.5 लाख लोगों तक नल से जल पहुंचाना है. लोगों के घर तक मैथन और पंचेत डैम से पाइपलाइन के माध्यम से पानी पहुंचाना है.

तांतनगर योजना पूरी हुई नहीं :

पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने तांतनगर जलापूर्ति योजना में चेन्नई की श्रीराम इपीसी कंपनी को वर्ष 2021 में एक साल के लिए डिबार किया था. कंपनी को 14 सिंतबर 2021 से 13 सितंबर 2022 तक निविदा में भाग लेने से भी रोक दिया गया था. विभागीय मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने तांतनगर जलापूर्ति योजना के निरीक्षण दौरान अनियमितता पायी थी. पाया गया था कि श्रीराम इपीसी कंपनी को 94 करोड़ के तांतनगर जलापूर्ति योजना का काम मिला था. काम लेने के बाद कंपनी ने नियमों को दरकिनार करते हुए करोड़ों रुपये का काम दूसरी कंपनी को सबलेट कर दिया था. जांच समिति ने श्रीराम इपीसी को दोषी पाया था. उस समय कंपनी को डिबार करते हुए इस योजना का काम 31 मार्च 2022 तक पूरा करने निर्देश दिया था. अभी तक इस योजना का काम पूरा नहीं हो पाया है.

आयता में डूब गया था वाटर ट्रीटमेंट प्लांट :

पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की ओर से आयता पुराना ग्रामीण जलापूर्ति योजना का काम मेसर्स श्रीराम इपीसी को दिया गया था. करीब 94 करोड़ की इस जलापूर्ति योजना से चाईबासा के अगल-बगल के लगभग 80 गांवों में पेयजल पहुंचाने की योजना थी. 20 अगस्त 2022 को कुजू नदी में पानी बढ़ जाने के कारण वाटर ट्रीटमेंट प्लांट ही डूबा गया था. इसमें त्रुटिपूर्ण डिजाइन व ड्राइंग के लिए कंपनी को दोषी पाया गया था. अब भी इस योजना का 50-60 प्रतिशत ही काम हो पाया है.

मधुपुर व टंडवा जलापूर्ति का काम भी नहीं हुआ पूरा :

मेसर्स श्रीराम इपीसी झारखंड में लगभग 100 करोड़ की मार्गो मुंडा, मधुपुर जलापूर्ति योजना व लगभग 150 करोड़ की टंडवा संपूर्ण ब्लॉक योजना का भी काम कर रही है. मधुपुर मार्गो मुंडा जलापूर्ति योजना का काम अभी 40 प्रतिशत ही पूरा हो पाया है. वहीं, टंडवा संपूर्ण ब्लॉक योजना का काम पूरा करने के लिए कंपनी को सितंबर 2024 तक विस्तार दिया गया है. उक्त दोनों योजनाएं अभी अधूरी हैं.

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