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कुरमी जाति को नहीं मिलेगा एसटी का दर्जा

टीआरआइ की अनुशंसा, केंद्र को भेजी रिपोर्ट उत्तम महतो रांची : राज्य की कुरमी /कुड़मी जाति (महतो) को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा नहीं मिलेगा. जनजातीय शोध संस्थान (टीआरआइ) ने कुरमी को एसटी में शामिल नहीं करने की अनुशंसा की है. राज्य सरकार ने टीआरआइ की अनुशंसा 10 फरवरी 2015 को ही केंद्र सरकार को […]

टीआरआइ की अनुशंसा, केंद्र को भेजी रिपोर्ट
उत्तम महतो
रांची : राज्य की कुरमी /कुड़मी जाति (महतो) को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा नहीं मिलेगा. जनजातीय शोध संस्थान (टीआरआइ) ने कुरमी को एसटी में शामिल नहीं करने की अनुशंसा की है. राज्य सरकार ने टीआरआइ की अनुशंसा 10 फरवरी 2015 को ही केंद्र सरकार को भेज दी है. टीआरआइ ने कुरमी जाति को पिछड़ा वर्ग में बनाये रखने की अनुशंसा की है.
2004 में कैबिनेट से मिली थी स्वीकृति : 23 नवंबर 2004 को हुई कैबिनेट की बैठक में कुरमी को एसटी में शामिल करने संबंधी प्रस्ताव पेश किया गया था.
बैठक में इस बात की चर्चा हुई थी कि छोटानागपुर की कुरमी जाति 1913 और 1918 में अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल थी. पर 1950 और 1952 की सूची में कुरमी जाति का नाम छूट गया था. इसके बाद कैबिनेट ने कुरमी/कुड़मी जाति को एसटी में शामिल करने की अनुशंसा केंद्र से करने पर सहमति जतायी थी. साथ ही इस मामले में टीआरआइ से शोध कर उसकी राय जानने का फैसला भी किया था.
टीआरआइ ने 2008 को सौंपी थी रिपोर्ट
कैबिनेट के फैसले के आलोक में टीआरआइ ने 2008 को राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी. इसमें कहा गया कि झारखंड की कुरमी/कुड़मी (महतो) जाति में एसटी में पायी जानेवाली विशेषताओं का अभाव है.
वर्तमान में कुरमी जाति सामाजिक, आर्थिक व शैक्षिक दृष्टिकोण से समग्र और मजबूत हैं. इनके बीच छुआ-छूत जैसा सामाजिक कलंक नहीं है. दूसरे समुदायों के लोगों से संपर्क करने में भी वे संकोच नहीं करते. इस स्थिति में झारखंड में रहनेवाले कुरमी/कुड़मी(महतो) जाति को अनुसूचित जनजाति या अनुसूचित जाति की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता.
राज्य सरकार ने गलत प्रतिवेदन केंद्र को भेजा है. राज्य सरकार इसे वापस ले. हम इस मामले को लेकर जल्द ही मुख्यमंत्री से मिलेंगे. कुरमी की भाषा-संस्कृति से लेकर पर्व -त्योहार तक आदिवासियों से मिलते- जुलते हैं.
– डॉ राजाराम महतो, संयोजक, कुरमी संघर्ष मोरचा
कुरमी संगठनों ने जताया विरोध
कुरमी संगठनों ने विरोध में चार मई को राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में सरकार का पुतला दहन करने का कार्यक्रम रखा है. कुरमी विकास मोरचा के शीतल ओहदार ने कहा कि राज्य सरकार केंद्र को भेजे अपने प्रतिवेदन को अविलंब वापस ले, अन्यथा झारखंड अशांत हो जायेगा.

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