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मांस निर्यात में झारखंड का भविष्य बेहतर

रांची. समिट के दौरान मीट एंड मीट प्रोडक्ट अपॉरच्यूनिटिज एनालिसिस : फ्रोजन प्रोडक्ट्स एंड एक्सपोर्ट्स विषय पर कार्यशाला आयोजित की गयी. सुगना फूड्स के डीजीएम प्रबीन नायक की अध्यक्षता में हुए सेशन में एग्रीकल्चर स्किल काउंसिल ऑफ इंडिया के सीइओ डॉ सत्येंद्र सिंह आर्या, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज टेक्नोलॉजी के वरीय वैज्ञानिक एमएम प्रसाद और […]

रांची. समिट के दौरान मीट एंड मीट प्रोडक्ट अपॉरच्यूनिटिज एनालिसिस : फ्रोजन प्रोडक्ट्स एंड एक्सपोर्ट्स विषय पर कार्यशाला आयोजित की गयी. सुगना फूड्स के डीजीएम प्रबीन नायक की अध्यक्षता में हुए सेशन में एग्रीकल्चर स्किल काउंसिल ऑफ इंडिया के सीइओ डॉ सत्येंद्र सिंह आर्या, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज टेक्नोलॉजी के वरीय वैज्ञानिक एमएम प्रसाद और झारखंड सरकार के पशुपालन विभाग के डॉ राजीव रंजन ने विचार रखे. विशेषज्ञों का कहना था कि राज्य की 59 फीसदी आबादी कृषि पर निर्भर करती है. झारखंड में कृषि, बागवानी और पशुपालन के क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं. उन्होंने बताया कि राज्य की पॉल्ट्री फार्म से करीब 65 लाख अंडों का उत्पादन हर महीने होता है. अभी केवल 250 किसान ही पॉल्ट्री के व्यवसाय से जुड़े हैं. इस वजह से राज्य में अंडों और बॉयलर मुर्गियों के लिए झारखंड पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और ओडि़शा जैसे राज्यों पर निर्भर है. कृषक अगर पॉल्ट्री के व्यवसाय से जुड़े तो वह हर महीने तीन से छह हजार रुपये की अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं. विशेषज्ञों ने कहा कि मांस निर्यात में झारखंड का भविष्य उज्ज्वल है. यहां 15.05 लाख भैंसे, 4.82 लाख भेड़ और 65.91 लाख बकरियां हैं. मांस निर्यात के लिए यह काफी अच्छी स्थिति हैै. विशेषज्ञों ने झारखंड में बॉयलर फार्म से होने वाले फायदों को बताते हुए कहा कि इसमें पैसे की वापसी तुरंत होती है. किसानों को खेती की तुलना में अधिक आसानी होती है. बॉयलर फार्म के लिए किसानों को आसानी से बैंक लोन सुलभ है. राज्य सरकार हाइजेनिक स्लाटर हाउस बना कर किसानों को काफी मदद पहुंचा सकती है.

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