एजेंसियां, लखनऊ/पटनानरेंद्र मोदी के प्रभाव को रोकने के लिए जनता परिवार के छह दल एक साथ हुए थे. अब छह दलों के विलय का मामला ठंडे बस्ते में जाता दिख रहा है. समाजवादी पार्टी (सपा) की बेरुखी और बिहार में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के बीच विधानसभा चुनावों में सीटों के बंटवारे की दिक्कतें इसमें बड़ी अड़चन बन गयी हैं. बिहार के दो बड़े दलों में खींचतान की आशंका के मद्देनजर सपा को जनता परिवार के विलय पर पुनर्विचार करने के लिए बाध्य होना पड़ा है. बिहार विधानसभा की 243 सीटों पर होनेवाले चुनाव में दोनों दल 100 से अधिक सीटों पर लड़ने का दावा कर रहे हैं.जदयू के एक बड़े नेता ने बताया कि दोनों दलों ने 243 सीटों के लिए अपने-अपने उम्मीदवार घोषित कर दिये हैं. जनता परिवार के विलय के बाद सीटों के बंटवारे की वजह से जिन्हें टिकट नहीं मिलेगा, उनके बागी होने की आशंका है. कहा कि दरअसल यह विलय नहीं, सपा के सामने अन्य दलों का समर्पण है. विलय की एक प्रक्रि या होती है, लेकिन यहां तो अन्य दलों ने सपा के हाथ सब कुछ सौंप दिया है. चुनावों में सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव को यद्यपि जनता परिवार का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है, लेकिन प्रस्तावित नये दल का झंडा, चुनाव चिह्न, नीतियां और कार्यक्र म अभी तय नहीं हुए.मुलायम को आभास है कि नये दल को स्वत: राष्ट्रीय दल का दर्जा नहीं मिलेगा. राष्ट्रीय दर्जा न मिलने पर नया दल सपा का चुनाव चिह्न साइकिल का इस्तेमाल नहीं कर पायेगा.कांग्रेस बेचैनविलय के प्रयासों में आ रही रुकावट से कांग्रेस में भी बेचैनी है, क्योंकि वह इस साल होनेवाले बिहार विधानसभा चुनाव में विलय के बाद एक होनेवाली पार्टी से चुनावी गंठबंधन करना चाहती है.
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सपा की बेरु खी से ठंडे बस्ते में जनता परिवार का विलय
एजेंसियां, लखनऊ/पटनानरेंद्र मोदी के प्रभाव को रोकने के लिए जनता परिवार के छह दल एक साथ हुए थे. अब छह दलों के विलय का मामला ठंडे बस्ते में जाता दिख रहा है. समाजवादी पार्टी (सपा) की बेरुखी और बिहार में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के बीच विधानसभा चुनावों में सीटों […]
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