वहां बसायें, जहां बिना विवाद सुरक्षित रह सकें

इसलाम नगर से हटाये गये परिवारों के पुनर्वास के मामले में हाइकोर्ट की मौखिक टिप्पणी प्रार्थी ने जवाब देने के लिए लिया समय मामले की अगली सुनवाई 20 मई को रांची : हाइकोर्ट में बुधवार को इसलाम नगर से हटाये गये परिवारों के पुनर्वास को लेकर दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस वीरेंदर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 30, 2015 6:00 AM
इसलाम नगर से हटाये गये परिवारों के पुनर्वास के मामले में हाइकोर्ट की मौखिक टिप्पणी
प्रार्थी ने जवाब देने के लिए लिया समय
मामले की अगली सुनवाई 20 मई को
रांची : हाइकोर्ट में बुधवार को इसलाम नगर से हटाये गये परिवारों के पुनर्वास को लेकर दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से जवाब देने के लिए समय देने का आग्रह किया गया.
खंडपीठ ने आग्रह स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई स्थगित कर दी. अगली सुनवाई के लिए 20 मई की तिथि निर्धारित की. खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि इसलाम नगर से हटाये गये परिवारों के पुनर्वास के लिए राज्य सरकार को वैसे स्थान का चयन करना चाहिए था, जहां वे बिना विवाद के और सुरक्षित वातावरण में रह सकें. पांचों वक्त की नमाज अदा कर सके. लोगों को सुरक्षित वातावरण देना सरकार का दायित्व है. यह मामला वर्ष 2012 से चल रहा है.
इतनी मेहनत के बाद भी पीड़ित लोगों को उनका आशियाना नहीं मिल पाया है. अधिकारियों को विजनरी होना चाहिए. प्रार्थी की ओर से भी कहा गया कि जहां फ्लैट देने की बात हो रही है, वह जगह सुरक्षित नहीं है. हमेशा भय बना रहेगा.
राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता जय प्रकाश ने कहा कि सरकार लोगों का सुरक्षित वातावरण में पुनर्वास करना चाहती है. प्रार्थी का जवाब नहीं मिल पाया है कि वह चाहता क्या है.
गौरतलब है कि मो शकील ने अवमानना याचिका दायर कर कोर्ट के आदेश का अनुपालन कराने का आग्रह किया है. इसलामनगर से हटाये गये लोगों के पुनर्वास के लिए सरकार ने नगर निगम के माध्यम से रातू रोड मधुकम खादगढ़ा में फ्लैट का निर्माण कराया है. 336 फ्लैट तैयार है. 444 पीड़ित परिवारों का पुनर्वास करना है.

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